कुणाल कोहली ने बताया 'पुराणों में है सच्चा प्रेम', 'रामयुग' को लेकर की खास बातचीत
‘हम तुम’ और ‘फना’ जैसी फिल्मों के निर्देशक कुणाल कोहली द्वारा निर्देशित वेब सीरीज ‘रामयुग’ हाल ही में एमएक्स प्लेयर पर रिलीज हुई है। भगवान श्रीराम और उनके युग पर आधारित यह शो पहले फिल्म के तौर पर रिलीज होना था लेकिन अब वेब सीरीज के तौर पर रिलीज हुआ।
By Pratiksha RanawatEdited By: Updated: Mon, 10 May 2021 07:14 PM (IST)
दीपेश पांडे, मुंबई। ‘हम तुम’ और ‘फना’ जैसी फिल्मों के निर्देशक कुणाल कोहली द्वारा निर्देशित वेब सीरीज ‘रामयुग’ हाल ही में एमएक्स प्लेयर पर रिलीज हुई है। भगवान श्रीराम और उनके युग पर आधारित यह शो पहले फिल्म के तौर पर रिलीज होना था, लेकिन अब वेब सीरीज के तौर पर रिलीज हुआ है। कुणाल कोहली से हाल ही में हुई दीपेश पांडेय की बातचीत के अंश...
इस वेब सीरीज की संकल्पना विकसित करने का विचार कैसे आया?मेरे मन में हमेशा से रामायण के दृश्यों को लेकर कल्पनाएं चलती रहती थीं कि फलां दृश्य ऐसा हुआ होगा या वैसा हुआ होगा। बतौर फिल्मकार हम भले ही अलग-अलग विषयों पर काम करते हैं, लेकिन कुछ विषय हमारे दिल के करीब होते हैं। यह भी मेरे लिए वैसा ही है। पहले इसको हम फिल्म के तौर पर रिलीज करना चाहते थे, लेकिन हमारे पास इतना कंटेंट था कि हमने इसे आराम से वेब शो के रूप में बदल दिया। इसकी शूटिंग साल 2018 में शुरू की थी, करीब एक-डेढ़ वर्ष तक इसके वीएफएक्स पर काम किया। बीच में कोरोना महामारी आने से काम धीमा हो गया। अब यह लोगों के सामने है। इससे पहले भी रामायण पर आधारित कई फिल्में और धारावाहिक बन चुके हैं।
आप क्या नया दिखा रहे हैं?हमारे पुराणों और ग्रंथों में जो चीजें लिखी गई हैं राम की कहानी में उससे कुछ नया या अलग शामिल नहीं किया जा सकता है, लेकिन वक्त के साथ विजुअली चीजों को अलग दिखाया जा सकता है। हमने रामायण की पुरानी कहानी को नए कैमरा, तकनीक, विजुअल इफेक्ट्स और नजरिए के साथ बनाया है। रामायण की कहानियों में इतनी गहराई है कि इस पर आगे भी कई फिल्में और वेब शो बनेंगे, लोग उन्हें देखेंगे, पसंद करेंगे और सीखेंगे।
शो में नए कलाकारों की कास्टिंग, मॉरीशस में इसकी शूटिंग के पीछे क्या वजह रही?इस शो में सिर्फ ऐसे नए कलाकारों को लेना चाहता था जिनकी पहले की कोई खास छवि न हो ताकि दर्शक सिर्फ उनके आज के किरदार को देखें। नए कलाकारों को मौका देना अच्छा भी लगता है। मॉरीशस को शूटिंग लोकेशन चुनने की सबसे मुख्य वजह यह है कि वहां के जंगल सालभर हरे-भरे रहते हैं। इसके अलावा वहां की नदियों और समुद्र तट का पानी हमारे घरों में आने वाले पानी जितना साफ है।
शो के लिए रिसर्च किन पुस्तकों के आधार पर किया?मैं उतना योग्य नहीं हूं, मेरी जिंदगी गुजर जाएगी, लेकिन मैं रामायण की कहानी और पात्रों पर ठीक से रिसर्च नहीं कर पाऊंगा। इस शो के लिए समस्त रिसर्च प्रख्यात लेखक नरेंद्र कोहली जी ने वाल्मीकि रामायण के आधार पर किया था। दुर्भाग्य से कुछ दिनों पहले ही उनका निधन हो गया। उन्होंने रामायण पर आधारित कई पुस्तकें लिखी हैं। उन्हीं के मार्गदर्शन में यह शो बनाया। स्क्रीनप्ले और डायलॉग कमलेश पांडे ने लिखे हैं।
आपका ज्यादातर रुझान रोमांटिक और विविध रिश्तों को दर्शाती फिल्मों में रहा है, फिर पौराणिक कहानियों में कैसे दिलचस्पी आई?पौराणिक कहानियों में भी प्रेम और रोमांस कम नहीं है। रामायण की बात करें तो इसमें पिता-पुत्र, भाई-भाई, पति-पत्नी, राजा का अपनी प्रजा के प्रति तथा प्रजा का अपने राजा से हर किस्म का प्रेम उपस्थित है। हम जितने रिश्तों के बारे में सोच सकते हैं, वो सभी रामायण में हैं। हमारे पुराणों और ग्रंथों में इतनी ज्यादा चीजें हैं कि इस पर आधारित हम कितने भी शो और फिल्में बना लें इनकी प्रासंगिकता कभी कम नहीं होती है। हमारी पौराणिक कहानियों से सच्चा और पवित्र प्रेम और कहां मिल सकता है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ज्यादातर क्राइम थ्रिलर कहानियां बनती हैं, क्या भविष्य में धार्मिक कहानियों की मांग बढ़ सकती है?यह डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए बनाया गया पहला धार्मिक शो है। इससे पहले जो कुछ शो बने हैं वो एनीमेशन शो हैं। ऐसा नहीं है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दर्शकों को सिर्फ एक ही किस्म के शो देखने हैं। सिनेमा, फिल्मों और टेलीविजन की तरह यहां भी लोग हर किस्म की कहानियां देखना चाहते हैं। ये तो फिल्मकारों पर निर्भर करता है कि वह दर्शकों के सामने क्या पेश करते हैं।
अपने व्यक्तित्व पर श्रीराम के किन गुणों का प्रभाव सबसे ज्यादा देखते हैं?यूं तो श्रीराम द्वारा निभाया पुत्र, भाई, पति, पिता और राजा हर रिश्ता आदर्श है, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी सीता के प्रति जो सम्मान और समर्पण प्रदर्शित किया, मैं उससे सबसे ज्यादा प्रभावित हूं। उन्होंने सीता जी को वापस लाने के लिए अकेले रावण जैसे शक्तिशाली राजा से युद्ध किया और हर परिस्थिति में सीता का साथ दिया। रामयुग को शब्दों में परिभाषित कर पाना बहुत मुश्किल है। अगर संक्षेप में कहें तो जहां लोग बिना किसी द्वेष और घृणा के प्यार से रहते हैं, वही वास्तविक रामयुग है।