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Shoorveer Web Series 2022: जान हथेली पर रखकर देश की रक्षा करेंगे मनीष चौधरी, कहा- अब बात करो नए हिंदुस्तान की

जब प्राण साहब बलराज साहनी या नूतन जी स्क्रीन पर आते थे तो उनके स्क्रीन पर आने पर उनके किरदार से जुड़ जाते थे। वह जो कहते या करते लगता वो सच है। मुझे उन्हें देखकर कभी नहीं लगा कि शायद यह सही नहीं है।

By Priti KushwahaEdited By: Updated: Sat, 09 Jul 2022 11:58 AM (IST)
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Photo Credit : Manish Chaudhari Instagram Photo Screenshot
मुंबई। सत्यमेव जयते, बाटला हाउस जैसी फिल्में और वेब सीरीज आर्या वेब सीरीज कर चुके अभिनेता मनीष चौधरी का मानना है कि उनका काम किरदार को विश्वसनीय बनाना है। अब वह 15 जुलाई को डिज्नी प्लस हाटस्टार पर रिलीज होने वाली मिलिट्री ड्रामा वेब सीरीज शूरवीर में स्पेशल फोर्स कमांडर रंजन मलिक के किरदार में नजर आएंगे। उनसे स्मिता श्रीवास्तव की बातचीत के प्रमुख अंश ..

वेब सीरीज शूरवीर से कैसे जुड़ना हुआ?

जब इस तरह की देशभक्ति वाली कहानियां आपके पास आती है और निर्माता निर्देशक हमारे साथ काम करने में दिलचस्पी दिखाते हैं तो मुझे लगता है कि आप इन्कार नहीं कर सकते। वैसे मुझे लगता है कि हर हिंदुस्तानी में देशभक्ति कूट कूट कर भरी होती है। मुझमें हमेशा से ही थी। बतौर कलाकार भी हम चाहते हैं कि ऐसे किरदार करें जो हीरोइक और देशभक्ति से ओतप्रोत हो। मुझे हमेशा ही ऐसे किरदारों को करने में बहुत मजा आता है। जब मैंने शूरवीर की स्क्रिप्ट पढ़ी तो मुझे लगा कि ऐसा रोल तो मैं 20 और 30 साल की उम्र में करना चाहता था। (हसंते हुए) 50 की उम्र में दिया जा रहा है कोई बात नहीं। देर आए दुरुस्त आए, लेकिन मिला जरुर। मैं इस किरदार को लेकर बहुत उत्साहित हूं।

जब देशभक्ति आधारित कंटेंट बनता है तो कितनी जिम्मेदारी आप लोग महसूस करते हैं ?

जब प्राण साहब, बलराज साहनी या नूतन जी स्क्रीन पर आते थे तो उनके स्क्रीन पर आने पर उनके किरदार से जुड़ जाते थे। वह जो कहते या करते लगता वो सच है। मुझे उन्हें देखकर कभी नहीं लगा कि शायद यह सही नहीं है। इसका मतलब यह था कि वह अपना काम करते हुए ध्यान रखते थे कि जो बोला जाए वह विश्वसनीय हो। उन्हें देखकर ही हम बड़े हुए हैं। कलाकार की किरदार को लेकर जो विश्वसनीयता होती है आडियंस के लिए मुझे लगता है कि उससे बड़ा तोहफा कलाकार के लिए और कुछ नहीं हो सकता है।

इस शो को लेकर आपकी क्या तैयारी रही?

एक बात स्पष्ट थी कि बतौर मनीष जाकर मैं रंजन मलिक का किरदार नहीं निभा पाउंगा। क्योंकि स्पेशल फोर्स कमांडर की सोच आम आदमी की तरह नहीं होती। न ही उनके अनुभव आम लोगों के जैसे होते हैं। उनके काम राष्ट्रीय सुरक्षा के चलते बहुत अहम होते हैं बहुत सटीक से वह आपरेशन करते हैं। मुझे लगता है कि किसी किरदार को बनाने के लिए कुछ छोटी-छोटी चीजों को अपने मन में डालना शुरु करें। चूंकि अब गूगल है और यू ट्यूब वीडियो आसानी से उपलब्ध हैं । वहां से सूचना मिल जाती है। हालांकि करीब दस साल पहले ऐसा करना मुश्किल था। मुझे याद है कि एक फिल्म के लिए लाइब्रेरी जाकर मुझे कुछ ढूंढना पड़ा था, लेकिन अब मुझे लाइब्रेरी जाने की जरुरत नहीं होती। मैं अपने फोन पर ही सर्च करके उसे चेक कर लेता हूं। कारगिल युद्ध के बाद हमारे सैनिकों और अधिकारियों को उसके बारे में बात करने की इजाजत नहीं थी। राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत कुछ नियम होते हैं कि कितने समय तक आप मीडिया से उसके बारे में बात नहीं कर सकते हैं। जब वह समय सीमा खत्म हुई तो कुछ लोगों ने मिलकर डाक्यूमेंट्री बनाई कारगिल वार पर, जिसमें आफिसर और सैनिकों के कारगिल युद्ध के निजी अनुभव हैं। उनके दोस्त जो शहीद हो गए युद्ध में उनको लेकर उनकी क्या प्रतिक्रिया रही ? उनके साथ क्या हुआ था? वह वास्तव में मेरे लिए बहुत मजबूत नींव बन गई किरदार की तैयारी के लिए। उनकी यादों ने मुझे शूरवीर की दुनिया में जाने में बहुत मदद की।

शो में आपका किरदार न्यू इंडिया की बात करता है। आपके हिसाब से नया इंडिया क्या है ?

न्यू इंडिया जो अपने आप में कांफिडेंट (आत्मविश्वासी) है, युवा है, जो आगे बढ़ना चाहता है। जो अपनी इतिहास को साथ लेकर चलता और अपनी विविधता को समझता है। दुनिया में अपना नाम करना चाहता है।

अपने आसपास घटित हो रही घटनाओं पर रिएक्ट करना कितना जरुरी मानते हैं?

कलाकार भी समाज का हिस्सा होता है और उसका काम है समाज को आईना दिखाना। यह किसी भी आर्टिस्ट का काम होता है इसलिए उसे आर्टिस्ट कहा जाता है। तो आपके आसपास जो हो रहा है आप उसे लेकर ही आगे बढ़कर अपना काम करेंगे। आप उससे अलग नहीं हो सकते। पर यह मान लेना कि आप एक्टर हैं तो आपको बहुत सारी चीजों के बारे में बहुत कुछ पता होना चाहिए यह कोई जरुरी नहीं। आप समाज का छोटा सा हिस्सा हैं। सबकुछ नहीं हैं। हम भी अपना काम कर रहे हैं ठीक वैसे ही जैसे पुलिसकर्मी या पत्रकार अपना काम करते हैं। मैं हमेशा से स्पष्ट रहा हूं कि अपने काम में समाज की छवि को दिखाना है। मैं कहीं बाहर से आकर ऐसा नहीं करुंगा मैं समाज में रह कर ही ऐसा करुंगा।

मकरंद देशपांडे के साथ काम का अनुभव कैसा रहा?

यह बात मकरंद को भी नहीं पता जब वह रामगोपाल वर्मा के साथ फिल्म सत्या की शूटिंग कर रहे थे तब मैं फिल्म के सेट पर पहुंचा था। मैं वहां पर मनोज बाजपेयी, सौरभ शुक्ला और मकरंद को दो-तीन घंटे तक एक कोने में बैठकर आराम से देखा रहा था। मुझे याद नहीं कि फिल्म के सेट पर पहुंचा कैसे, शायद किसी दोस्त ने पहुंचा दिया था। वह दिन लेकिन मुझे आज भी याद है।