जागरण न्यूज, नेटवर्क मुंबई। टीवी की दुनिया से निकल कर कई कलाकारों ने डिजिटल प्लेटफार्म का रुख किया है। इनमें दिव्यांका त्रिपाठी
(Divyanka Tripathi) भी शामिल हैं। ‘कोल्ड लस्सी एंड चिकन मसाला’, ‘अदृश्यम’ के बाद अब वह हालिया प्रदर्शित वेब शो ‘द मैजिक ऑफ शिरी’ (The Magic Of Shiri) में जादूगर की भूमिका में नजर आई हैं। जागरण से बातचीत के दौरान उन्होंने डिजिटल प्लेटफार्म की दुनिया को लेकर खुलकर बात की है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बोलीं दिव्यांका
मुझे तो यह दुनिया बहुत अच्छी लग रही है। वेब सीरीज में थोड़ा एक्सपोजर तो हो ही गया था। हां, काम करने के तरीके में इतना भी बड़ा बदलाव नहीं था। जब आप लीड होते हैं, तो आपके ऊपर जिम्मेदारियां बहुत ज्यादा होती हैं। यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि प्रोजेक्ट के निर्माण की लागत बहुत ज्यादा ना हो जाए।
इन चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं अपना ज्यादा से ज्यादा समय प्रोजेक्ट को ही देती हूं। काम करने का तरीका वैसा ही होता है, बस डिजिटल प्लेटफार्म पर अच्छी बात यह होती है कि आपको वर्कशाप करने के लिए पहले समय मिल जाता है। स्क्रिप्ट काफी पहले ही हाथ में मिल जाती है। टीवी की दुनिया ने हमें इतना तैयार कर दिया है कि अगर हमें बहुत कम समय में स्क्रिप्ट मिले, तो भी हम कर लेंगे।
बचपन के कुछ मैजिक ट्रिक्स यहां भी काम आए या हर चीज नई सीखनी पड़ी?
बचपन वाले मैजिक ट्रिक्स तो बिल्कुल भी काम नहीं आए। बचपन में सर्कस जाना और इस तरह के मैजिक ट्रिक मुझे बहुत अच्छे लगते थे। जब इस शो में वह सारी चीजें जीने को मिलीं तो लगा कि इसमें बहुत ही ज्यादा मेहनत, अभ्यास और समर्पण लगता है।
ये भी पढ़ें- इटली में पासपोर्ट चोरी होने के बाद भारत लौटे दिव्यांका त्रिपाठी और विवेक दहिया, घटना पर एक्ट्रेस ने किया रिएक्टअगर आप नियमित अभ्यास नहीं करते हैं तो आपके हाथों में वह जादू नहीं आता है। मैं प्रैक्टिस इस हद तक करती थी कि सफर के दौरान भी इससे जुड़े कुछ सामान की किट साथ लेकर जाती थी। अब अगर कोई मुझे जादू दिखाने के लिए कहे तो मैं कुछ चीजें कर सकती हूं।
जादू दिखाने और मैजिक ट्रिक्स करने में पहले की अपेक्षा महिलाओं को कितनी ज्यादा जगह मिल पा रही है?
हमारे शो की कहानी पिछली सदी के नौवें दशक की है। ऐसा नहीं था कि उसे दौर में महिलाओं में प्रतिभा नहीं थी या वो कुछ बन नहीं सकती थीं, लेकिन वह हमेशा जादूगर की असिस्टेंट ही होती थीं, कभी मुख्य जादूगर नहीं होती थीं। अब काफी चीजें बदल चुकी हैं। अब महिला जादूगर भी सामने आ रही हैं। उस दौर में पितृसत्ता की सोच के माहौल में कुछ अलग करने में कैसे स्वीकृति मिलती, यही मेरा पात्र है।
कभी किसी स्तर पर किसी बात को लेकर समझौता करना पड़ा?
हम जिस संदर्भ में इस समझौता शब्द की बात कर रहे हैं, अगर उस मामले में बताऊं तो बचपन से ही मैं बहुत हिम्मती थी। मुझे बस पता चल जाता था कि किसके क्या इरादे हैं। अगर मैंने कभी समझौता किया है तो वह पैसों को लेकर ही किया। अगर मेरे पास पैसे नहीं हैं और काम उतना ज्यादा नहीं आ रहा है तो फिर कोई छोटा कैटलाग, बड़ा कैटलाग, प्रिंट शूट जैसे काम भी चलेंगे। सम्मान तो मिल रहा है ना। मैंने इन चीजों को लेकर कई बार समझौता किया है कि बस घर चल जाएगा।
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