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Fact Check: घरेलू हिंसा का पुराना वीडियो गलत दावे से वायरल

Fact Check कर्नाटक के घरेलू हिंसा के करीब सात साल पुराने वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। वीडियो में दिख रहे महिला और पुरुष दोनों ही मुस्लिम हैं। बताया गया है कि वायरल वीडियो 2015 का है।

By Jagran NewsEdited By: Babli KumariUpdated: Tue, 13 Dec 2022 01:48 PM (IST)
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घरेलू हिंसा का पुराना वीडियो गलत दावे से वायरल
नई दिल्ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर श्रद्धा हत्याकांड के बाद लव जिहाद का रंग देकर कई पोस्ट वायरल हो रही हैं। इनमें एक वीडियो में शख्स छोटे बच्चे के सामने महिला को मार रहा है। वहां जन्मदिन मनाया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि व्यक्ति का नाम मोहम्मद मुश्ताक जीके है। वह बेंगलुरु की आईटी कंपनी में काम करता है। वीडियो शेयर कर कुछ यूजर्स दावा कर रहे हैं कि पुरुष मुस्लिम, जबकि महिला हिंदू है।

दैनिक जागरण की फैक्ट चेकिंग विंग 'विश्‍वास न्‍यूज' ने अपनी पड़ताल में पाया कि वीडियो 2015 का है। इसमें दिख रहे पति-पत्नी दोनों ही मुस्लिम हैं। घरेलू हिंसा के केस को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावा किया जा रहा है।

पड़ताल के लिए 'विश्‍वास न्‍यूज' ने एक कीफ्रेम निकालकर गूगल लेंस के जरिए सर्च किया। इसमें दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के ट्विटर अकाउंट पर वायरल वीडियो मिला। 3 अक्टूबर 2022 को पोस्ट किए गए वीडियो के साथ में लिखा है कि इस आदमी को पत्नी को पीटते हुए देखकर मुझे बहुत गुस्सा आता है, जबकि महिला बच्चे के जन्मदिन को खास बनाने की कोशिश कर रही है। इसमें जस्टिस फॉर आयशा का हैशटैग भी दिया हुआ है।

इसके बाद 'विश्‍वास न्‍यूज' ने कीवर्ड से इसे गूगल पर ओपन सर्च किया। इसमें Sultana38 official यूट्यूब चैनल पर भी वायरल वीडियो दिखा। इसे 7 अक्टूबर 2022 को अपलोड किया गया है। इसमें महिला का नाम आयशा बताया गया है। इसमें आयशा ने खुद वीडियो कॉल के माध्यम से आपबीती बताई है। इसमें यह भी बताया गया है कि वायरल वीडियो 2015 का है।

1 नवंबर को ऑफिशियल ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर भी अपलोड किया गया एक वीडियो मिला। इसमें भी महिला अपनी आपबीती बताती दिख रही है। वायरल वीडियो को भी इसमें देखा जा सकता है। महिला का नाम आयशा बताया गया है। इसमें बच्चे का नाम और वर्ष 2013 दिया गया है।

28 दिसंबर 2021 को न्यूज 18 में खबर छपी है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर को एक मुस्लिम परिवार के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जीके मोहम्मद मुश्ताक ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि उनके 8 साल के बेटे की पूरी कस्टडी उसे दी जाए। उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका खारिज कर दी। बच्चे की कस्टडी मुस्लिम पत्नी के पास ही रहेगी। इंडियन कानून डॉट ओआरजी वेबसाइट पर इस फैसले की कॉपी को भी देखा जा सकता है। इसमें दिया गया है कि दोनों सुन्नी मुस्लिम हैं।

इस बारे में कर्नाटक एशियानेट की पत्रकार निरुपमा का कहना है, 'पुलिस ने भी वीडियो को पुराना बताया है। दोनों ही मुस्लिम हैं। कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।'

पूरी रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।