Kisan Kalyan Yojana: गन्ना किसानों का बकाया भुगतान कर यूपी ने बनाया नया रिकॉर्ड, चीनी उत्पादन में हुआ अव्वल
वर्ष 2007 से 2012 के बीच यूपी में 19 और वर्ष 2012 से 2017 के बीच 10 चीनी मिलें बंद हुईं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कार्यभार संभालते ही गन्ना किसानों की वर्षों पुरानी समस्याओं पर फोकस किया। नतीजतन यूपी चीनी उत्पादन में अव्वल हो चुका है।
By Amit SinghEdited By: Updated: Fri, 08 Jan 2021 06:32 PM (IST)
लखनऊ। कोरोना काल में उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ जनता के संरक्षक बनकर उभरे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना किसानों की लंबे समय से बकाया राशि का भुगतान कराया। मुख्यमंत्री ने 19 जून, 2020 को गन्ना किसानों के खाते में 418 करोड़ रुपये की धनराशि ऑनलाइन ट्रांसफर करवाई थी। योगी सरकार के साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान किसानों को 1.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान कर उत्तर प्रदेश ने नया रिकॉर्ड बनाया है।
वहीं अन्नदाताओं ने भी 'जहां चाह वहां राह' की कहावत को चरितार्थ करते हुए, उत्तर प्रदेश को गन्ना और चीनी उत्पादन में अव्वल बनाया है। कोरोना की वजह से मार्च के पहले हफ्ते में सैनिटाइजर का संकट खड़ा हुआ। ऐसी आपात स्थिति में उत्तर प्रदेश की सभी चीनी मिलों ने सैनिटाइजर का रिकॉर्ड उत्पादन किया। उत्तर प्रदेश ने देश के लगभग सभी राज्यों में आपूर्ति की। साथ ही अन्य देशों को निर्यात भी किया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना किसानों को तकनीक से जोड़ने पर जोर दिया है। ई-गन्ना एप के जरिये किसानों को कई तरह की सहूलियतें दी गई हैं। खांडसारी उद्योग को बढ़ावा देने के साथ सरकार किसानों से जैविक खेती अपनाने का आह्वान कर रही है। इससे उत्पादकता बढ़ाने के साथ गंभीर बीमारियों से निजात पाया जा सकेगा। 2017-20 के बीच किसानों को 1.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना मूल्य भुगतान किया गया। यह भुगतान इससे पहले के तीन वर्षों के कुल गन्ना मूल्य भुगतान 53,367 करोड़ रुपये से 56,133 करोड़ रुपये अधिक है।
चीनी मिलों में फूंकी जान
पिछली सरकार के कार्यकाल 2012-17 में गन्ना किसानों को किये गये कुल गन्ना मूल्य भुगतान 95,215 करोड़ रुपये से भी 14,285 करोड़ रुपये अधिक है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने वर्ष 2012-17 की अवधि के बकाये गन्ना मूल्य 4,468 करोड़ रुपये का भी भुगतान कराया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की बंद पड़ी चीनी मिलों में जान फूंकने का काम किया है। योगी ने इस कड़ी में सबसे पहले चैधरी चरण सिंह की कर्मभूमि पर स्थित रमाला चीनी मिल का पुनरुद्धार कराया।
गन्ना उत्पादन में यूपी अव्वल बीते तीन वर्षों में गन्ना खेती का रकबा 20 लाख से बढ़कर 27 लाख हेक्टेयर हो गया है। गन्ने की उत्पादकता 70 टन से बढ़कर 80 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है। किसान विरोधी नीतियों के कारण तबाह हो चुके खांडसारी उद्योग को योगी सरकार ने खड़ा किया और पूरे प्रदेश में 116 नए लाइसेंस जारी किए। आज उत्तर प्रदेश गन्ने के उत्पादन, पेराई, चीनी की रिकवरी और उत्पादन में देश में नंबर एक स्थान पर लगातार तीन वर्षों से है।
यूपी में गन्ना उत्तापदन • गन्ना एवं चीनी उत्पादन में नं. 1• 95215 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था 2012-17 के दौरान• 14285 करोड़ रुपये से अधिक साढ़े तीन वर्षों में हुआ भुगतान• 4468 करोड़ रुपये का पिछली सरकार का बकाया दिया गया• 414 करोड़ रुपये का भुगतान 19 जून 2020 को हुआ था• 27 लाख हेक्टेयर हुआ गन्ने का रकबा, पहले ये 20 लाख था
गन्ना और चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश ने बनाया रिकॉर्ड योगी सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश ने 126.37 लाख टन चीनी का उत्पादन कर कीर्तिमान कायम किया है। पहली बार किसानों के त्वरित गन्ना मूल्य भुगतान के लिए चीनी मिलों को सरल ब्याज पर ऋण की व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई है। सरकार ने 4,000 करोड़ रुपये के ऋण का प्रावधान कर 53 चीनी मिलों को 2,916 करोड़ रुपये के ऋण का भुगतान किया। तो वहीं समय से हर खेत को बीज-खाद-पानी उपलब्ध कराने से औसत गन्ना उत्पादकता 72.38 से 81.10 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हुई है। प्रति हेक्टेयर 8.72 मीट्रिक टन अतिरिक्त गन्ने के उत्पादन से किसानों की आय में औसत 320 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 27,900 रुपये प्रति हेक्टेयर का अधिक लाभ हुआ है। गन्ना किसानों का उद्धार सरकार की कार्य नीति को स्पष्ट करता है। दो पेराई सत्रों में चीनी परता में 0.85 की वृद्धि हुई है। औसत चीनी परता में वृद्धि से 9.14 लाख टन अतिरिक्त चीनी का उत्पादन हुआ। गन्ना पेराई सत्र 2019-20 में चीनी मिलों ने रिकॉर्ड 1,118 लाख टन गन्ने की पेराई कर प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक 126.37 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। यह देश के कुल चीनी उत्पादन का 47 प्रतिशत है।
देश के अन्य राज्यों में भी सैनिटाइजर की आपूर्तिमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश ने 1,76,66,000 लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन कर इतिहास रच दिया है। प्रदेश में कुल उत्पादन क्षमता 6,00,000 लीटर से अधिक है। प्रदेश की सभी इकाइयों ने 1,60,07,600 पैकिंग की मार्केट में आपूर्ति की है। अभी वर्तमान में कुल 51,88,260 पैकिंग बिक्री हेतु उपलब्ध हैं। कोरोना आपदा से निपटने के प्रयास में वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सैनिटाइजर का उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने 91 कंपनियों को सैनिटाइजर बनाने का लाइसेंस दिया है। आम जनता को सस्ता और गुणवत्तापूर्ण सैनिटाइजर उपलब्ध हो सके इस ओर सरकार प्रयासरत है। इस दौरान 5.90 लाख लीटर सैनिटाइजर प्रतिदिन के हिसाब से उत्पादन किया गया। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलें, डिस्टिलरी, सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां और अन्य संस्थाएं सैनिटाइजर का उत्पादन कर रही हैं। ऐसे में कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में उत्तर प्रदेश का बना सैनिटाइजर भेजा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों, नगर निगम कर्मियों, पुलिस एवं जिला प्रशासन को निशुल्क सैनिटाइजर की आपूर्ति भी की जा रही है।
पूर्वांचल को चीनी का कटोरा बनाने में जुटे सीएम योगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल को चीनी का कटोरा बनाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं। इसके लिए वो एक ओर बंद हो चुकीं चीनी मिलों को चालू कर रहे हैं, वहीं अन्य की क्षमता विस्तार पर जोर दे रहे हैं। गोरखपुर-बस्ती मंडल की 17 चीनी मिलें पिछले 15 वर्षों के दौरान बंद हो गईं। पिपराइच और मुंडेरवा चीनी मिल के साथ इनके खुलने का सिलसिला शुरू हुआ है। वर्तमान में दोनों मंडल की 11 चीनी मिलें चालू हैं। गन्ना किसानों पर बीते 15 साल भारी पड़े, जिससे एक-एक कर मंडल की चीनी मिलें बंद होती रहीं। योगी सरकार ने दो चीनी मिलें खोल किसानों को नई उम्मीद दी है। दोनों चीनी मिलों की क्षमता रोजाना 50-50 हजार क्विंटल गन्ना पेरने की है।
गोरखपुर के पिपराइच में उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम के अंतर्गत पांच हजार टीसीडी पेराई क्षमता की नई चीनी मिल और 27 मेगावाट के को-जनरेशन प्लांट का लोकार्पण किया। इसको 2010-11 में पूरी तरह बंद किया गया था। 2017 में सरकार बनते ही मुख्यमंत्री योगी ने पहली बैठक में ही पिपराइच में नई चीनी मिल लगाने का फैसला लिया। पिपराइच चीनी मिल शुरू होने के बाद पहले चरण में 50 हजार क्विंटल गन्ना की पेराई प्रतिदिन की जा रही है। यहां सल्फर फ्री चीनी बनाई जाएगी। इसके साथ ही यहां 27 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा, जिससे 30 हजार करोड़ रुपये की आय होगी। इससे समय पर किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान हो सकेगा और लोगों को बिजली भी प्राप्त हो सकेगी। यह चीनी मिल किसानों की खुशहाली और युवाओं के रोजगार का आधार बनेगी। द्वितीय चरण में यहां अत्याधुनिक डिस्टलरी लगाई जाएगी और इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा। पिपराइच चीनी मिल रिकॉर्ड एक साल के भीतर तैयार हुई। इससे यहां प्रत्यक्ष तौर पर 15 हजार, अप्रत्यक्ष तौर पर 30 हजार किसानों को मिलाकर कुल 45 हजार लोगों को रोजगार मिला है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 नवंबर 2019 को मुंडेरवा चीनी मिल का शुभारंभ किया था। चीनी के साथ ही यहां बिजली का उत्पादन भी होगा। 2017 में कुर्सी संभालते ही योगी ने बंद पड़ी चीनी मिलों को दुबारा चालू करने और पुरानी मिलों की क्षमता बढ़ाने के एजेंडे पर प्राथमिकता से काम करना शुरू किया। मार्च 2018 में मुख्यमंत्री ने मुंडेरवा चीनी मिल का शिलान्यास किया। 383 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस मिल की क्षमता 50 हजार टीडीसी की है। यहां बनने वाली चीनी सल्फर मुक्त है। मिल में 27 मेगावाट का कोजेन प्लांट भी है। अप्रैल 2019 में इसका ट्रायल हो चुका है। पिछले पेराई सत्र में मुंडेरवा ने उत्पादन आरम्भ कर दिया था। वर्तमान पेराई सत्र में इसे बड़े पैमाने पर संचालित किए जाने की तैयारी है।
वर्ष 2007 से 2012 के बीच उत्तर प्रदेश में 19 चीनी मिलें बंद हुई थीं। वर्ष 2012 से 2017 के बीच 10 चीनी मिलें राज्य में बंद हुईं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कार्यभार संभालते ही गन्ना किसानों की वर्षों पुरानी समस्याओं के समाधान पर प्राथमिकता से काम शुरू किया। नतीजतन, यूपी में न केवल नई चीनी मिलें खुलीं, बल्कि पुरानी की क्षमता भी बढ़ी और प्रदेश चीनी उत्पादन में अव्वल हो गया।नई चीनी मिलों का शुभारम्भ, पुरानी की क्षमता बढ़ीमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के गन्ना किसानों के हितों के संरक्षण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। बसपा सरकार के वक्त 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश में 19 चीनी मिलें बंद हुई थीं। समाजवादी पार्टी की सरकार में 2012 से 2017 तक 10 मिले बंद हुईं थीं। इससे प्रदेश के गन्ना किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया था। मुख्यमंत्री योगी ने 2017 में बागडोर संभालते ही गन्ना किसानों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान शुरू किया। मुख्यमंत्री योगी ने जहां रमाला सहकारी चीनी मिल की पेराई क्षमता 5000 टीसीडी बढ़ाई है। पिपराइच और मुंडेरवा में 5000-5000 टीसीडी क्षमता की नई चीनी मिलों का शुभारंभ किया।• 5000 टीसीडी रमाला चीनी मिल की क्षमता का विस्तार• 5000 टीसीडी क्षमता की मुंडेरवा में नई मिल शुरू• 5000 टीसीडी क्षमता की पिपराईच में नई मिल शुरू• 5000 टीसीडी पिपराईच, मुंडेरवा में सल्फरलेस प्लांट का शुभांरभलॉकडाउन के दौरान भी चलती रहीं 119 चीनी मिलें उत्तर प्रदेश में 48 लाख गन्ना किसान हैं। इनके हितों को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन के दौरान 119 चीनी मिलें प्रदेश में चलती रहीं। प्रत्येक मिल में 25 से 40 हजार किसान जुड़े हुए हैं। एक-एक मिल 8 से 10 हजार लोगों को रोजगार देती है। लॉकडाउन में भी इन मिलों के चलते रहने से कोई परेशानी नहीं आई। नतीजा रहा कि उत्तर प्रदेश में गन्ना और चीनी उत्पादन में प्रदेश पहले स्थान पर रहा। उत्तर प्रदेश में 2007 से 2012 तक 19 चीनी मिलें बंद हुईं थीं, जबकि 2012 से 2017 तक 10 मिलें बंद की गईं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन साल में 18 से ज्यादा चीनी मिलों की क्षमता बढ़ाई है। साथ ही तीन पुरानी मिलों को भी चालू कर संचालन कराया।मुजफ्फरनगर में पहले अपहरण और अपराध उद्योग फलफूल रहा था, अब स्थिति बदली है। योगी सरकार में किसानों को उनकी मेहनत का पूरा भुगतान हो रहा। अब किसी किसान का गन्ना भुगतान बकाया नहीं है। समय पर भुगतान मिलने से किसानों के मायूस चेहरों पर मुस्कान लौट आई है। - अरविंद मालिक, मुजफ्फरनगरमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी कोरोना काल में भी किसानों से रूबरू होते रहे हैं। गन्ना किसानों के प्रति उनका विशेष प्रेम समय-समय पर योजनाओं के माध्यम से महसूस होता रहा। ई-पर्ची सिस्टम से हमको काफी सुविधा मिली। समय पर हमें मोबाइल के जरिये पेमेंट की जानकारी मिली और हम अपडेट रहे। - विनोद सैनी, मेरठ