उत्तर प्रदेश में सुधर रहा किसानों का जीवन स्तर, आय में बढ़ोतरी से चेहरों पर बिखरी मुस्कान
सीएम योगी ने सख्त हिदायत दी है कि न सिर्फ धान खरीद के 55 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य को समय से पूरा करें बल्कि किसानों का हिसाब जल्द किया जाए। किसान से धान क्रय के बाद मूल्य उसके खाते में 72 घंटे में ऑनलाइन क्रेडिट कर दिया जाए।
By Umesh Kumar TiwariEdited By: Updated: Thu, 14 Jan 2021 10:24 PM (IST)
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के किसान समृद्ध हो रहे हैं। योगी सरकार में किसानों का न सिर्फ जीवन स्तर सुधरा है, बल्कि उनकी आय भी उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि न सिर्फ धान खरीद के 55 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य को समय से पूरा करें, बल्कि किसानों के एक-एक दाने की पाई-पाई का हिसाब भी जल्द किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि किसान से धान क्रय के उपरांत धान का मूल्य उसके खाते में 72 घंटे में ऑनलाइन क्रेडिट कर दिया जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी धान क्रय केंद्रों की क्रियाशीलता सुनिश्चित की जाए। इसके लिए अधिकारी फील्ड में निकलकर धान क्रय केंद्रों का नियमित निरीक्षण करें। इन केंद्रों पर किसानों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि धान बेचने के इच्छुक किसानों को कोई परेशानी न हो। धान क्रय के संबंध में किसी भी प्रकार की शिथिलता और लापरवाही क्षम्य नहीं होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को मूल्य समर्थन योजना का पूरा लाभ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार किसानों की खुशहाली के लिए सभी कदम उठा रही है और समृद्धि के लिए कटिबद्ध है।
गेहूं किसानों के चेहरों पर मुस्कान
केंद्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी से सहूलियत : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को सहूलियत देने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017-18 में 5,105 गेहूं खरीद केंद्र खोले थे। इसके बाद 2018-19 में प्रदेश सरकार ने खरीद केंद्रों की संख्या बढाकर 6,459 कर दी। प्रदेश में किसानों की कड़ी मेहनत और अनुकूल सरकारी योजनाओं के चलते लगातार पैदावार बढती गई। इसे समझते हुए प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019-20 में गेहूं खरीद केंद्रों की संख्या 6,796 तक बढ़ा दी। आगामी खरीद वर्ष 2020-21 के लिए प्रदेश सरकार ने समय से पूर्व ही खरीद केंद्रों की संख्या 5,896 करने का निर्णय लिया है। गेहूं खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ने से किसानों को काफी सहूलियत मिली है। इससे उनको घर के निकट ही उपज बेचने की सुविधा मिल रही है। इससे किसानों का परिवहन व्यय के साथ समय में भी काफी बचत हो रही है। अब किसानों को लाइन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एडवांस टोकन सिस्टम के चलते गेहूं खरीद केंद्रों पर अव्यवस्थाओं से मुक्ति मिल गई है, वहीं, किसानों का अतिरिक्त मानव श्रम और समय भी बच सकेगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना बढ़ोतरी : सरकार गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में लगातार बढ़ोत्तरी कर रही है। इससे किसानों को लागत के हिसाब से उपज का बेहतर मूल्य मिल रहा है। वर्ष 2017-18 में सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1,625 रुपये घोषित किया था, इसे 2018-19 में 1,735 और 2019-20 में 1,840 प्रति क्वींटल घोषित किया। आगामी खरीद वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना का इजाफा करते हुए 1,925 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। इससे किसानों को उनकी उपज की बेहतर कीमत मिल सकेगी। एमएसपी में बढ़ोतरी से किसानों के चेहरों पर मुस्कान और परिवार में खुशियां हैं।
लक्ष्य के साथ बढ़ी खरीद : उत्तर प्रदेश सरकार ने गेहूं किसानों को सहूलियत पहुंचाने के लिए वार्षिक खरीद लक्ष्य में लगातार बढ़ोतरी की है। 2017-18 में सरकार ने 40 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य तय किया था। लक्ष्य के सापेक्ष सभी खरीद केंद्रों पर सरकार ने 36.99 लाख मीट्रिक टन खरीद की। 2018-19 में खरीद लक्ष्य 50 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष 52.92 लाख मीट्रिक टन खरीद की गई। 2019-20 में 50 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 37.04 लाख मीट्रिक टन खरीद की गई। 2020-21 में 55 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 35.76 लाख मीट्रिक टन खरीद की गई। पिछले चार वर्षों में कुल 200 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष सरकार ने 162.71 मीट्रिक टन हुई गेहूं खरीद की है।
उपज का पूरा भुगतान : उत्तर प्रदेश सरकार ने गेहूं किसानों को उनकी उपज का पूरा भुगतान मिल रहा है। वर्ष 2017-18 में गेहूं किसानों को 6,011.15 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2018-19 में 9,231.99 करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 6,889.15 करोड़ रुपये और 2020-21 में 6,885.16 करोड़ रुपये का भुगतान गेहूं किसानों को किया गया है। पिछले चार खरीद वर्षों में गेहूं किसानों को अब तक कुल 29,017.45 करोड़ रुपये का भुगतान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से किया गया है।
लगातार बढ़ी लाभान्वित किसानों की संख्या : सरकार प्रदेश के प्रत्येक किसान की उपज को बिना किसी भेदभाव के निकटतम केंद्र पर खरीद रही है। सरकारी खरीद केन्द्रों पर गेहूं बेचकर लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2017-18 में 8,00,646 ने सरकारी खरीद केन्द्रों पर अपना गेहूं बेंचा था। यह संख्या कर्ष 2018-19 में 11,27,195 तक पहुंची, 2019-20 में 7,53,414 किसानों ने अपना गेहूं सरकारी खरीद केन्द्रों पर बेंचकर लाभ प्राप्त किया। वर्ष 2020-21 में 6,63,810 किसानों ने खरीद केन्द्रों तक अपनी गेहूं की उपज पहुंचाई। अब तक कुल 33,45,065 किसानों से सरकार ने गेहूं खरीदकर उनकी पाई-पाई का हिसाब किया।
धान किसानों को सहूलियतें बेमिसालदलालों से मुक्ति, परेशानी से छुट्टी : प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीद की तरह ही धान खरीद के लिए भी केंद्रों की संख्या में इजाफा किया है। अब खरीद केंद्रों पर प्रशासनिक सक्रियता से दलालों को फटकने तक नहीं दिया जा रहा है। किसानों को परिवहन और समय की होने वाली परेशानी से भी छुट्टी मिल गई है। खरीद केंद्र बढ़ने से उनको अपना धान बेचने में सहूलियत हो रही है। एडवांस टोकन सिस्टम से समय की बचत हो रही है। वर्ष 2017-18 में खरीद केंद्र 3420, वर्ष 2018-19 में 3173 केंद्र थे जिसे वर्ष 2019-20 में बढ़ाकर 3967 कर दिया गया। वर्ष 2020-21 में धान खरीद केंद्रों की संख्या में पुनः बढ़ोतरी करते हुए इसकी संख्या 4342 कर दी गई। धान खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ने से किसानों को पर्याप्त सहूलियत मिल रही है। इससे किसानों का धान निकटतम खरीद केंद्रों पर आसानी से विक्रय हो रहा है।
एमएसपी में बढ़ोतरी, किसानों की तरक्की : सरकार ने धान खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार बढ़ोतरी की है। औने-पौने भाव में धान बेंचने को मजबूर किसान एमएसपी बढने से खुशहाल हो रहे हैं। सरकार ने वर्ष 2017-18 में सामान्य धान के 1550 और ग्रेड ए के लिए 1590 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया। इसे 2018-19 में बढ़ाकर सामान्य के लिए 1750 और ग्रेड ए के लिए 1770 किया गया। वर्ष 2019-20 में सामान्य की दर 1815 और ग्रेड ए के लिए 1835 रुपये कीमत तय की थी। वर्ष 2020-21 में सरकार ने इसे बढाते हुए सामान्य किस्म के धान के लिए 1868 और ग्रेड ए के लिए 1888 रुपये प्रति क्वींटल धान की एमएसपी निर्धारित की है। धान की एमएसपी में बढ़ोतरी से किसानों को उनकी उपज की पूरी कीमत मिल रही है।
लक्ष्य को पीछे छोड़ बनाया कीर्तिमान : प्रदेश सरकार धान खरीद के मामले में साल दर साल कीर्तिमान बना रही है। वर्ष 2017-18 में सरकार ने 50 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य तय किया था, इसके सापेक्ष 42.90 लाख मीट्रिक टन खरीद की गई। वर्ष 2018-19 में भी सरकार ने 50 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 48.25 लाख मीट्रिक टन धान खरीद सुनिश्चित की। वर्ष 2019-20 में 50 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 56.47 लाख मीट्रिक टन खरीद का आंकड़ा पहुंच गया। वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने लक्ष्य की सीमा 55 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ा दी है। 06 जनवरी, 2021 तक सरकार 555.25 लाख क्विंटल धान की खरीद कर चुकी है। खरीद की गति के हिसाब से देखें तो सरकार 06 जनवरी, 2021 को ही लक्ष्य को पीछे छोड़ते हुए काफी आगे बढ़ चुकी है। अब तक सरकार ने कुल 205 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 179.48 मीट्रिक टन धान खरीद की है।
गौरवान्वित हो रहे किसान : अपनी उपज की पूरी कीमत पाकर प्रदेश के किसान गौरवान्वित हो रहे हैं। सरकार ने धान खरीद के सापेक्ष किसानों को वर्ष दर वर्ष अधिक भुगतान करने का रिकॉर्ड बनाया है। वर्ष 2017-18 में 6,663.32 किसानों ने अपनी धान की उपज बेचकर एमएसपी का लाभ लिया था। वर्ष 2018-19 में लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या 8,449.39 तक पहुंच गई। वर्ष 2019-20 में यह संख्या बढ़कर 10,274.25 तक पहुंच गई थी। वर्ष 2020-21 में 14 दिसंबर 2020 तक 6,517.82 किसान अपनी धान की उपज बेचकर पूरी कीमत प्राप्त कर चुके हैं। धान किसानों को अब तक कुल 31,904.78 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
धान किसानों को भुगतान में भी बना रिकॉर्ड : प्रदेश सरकार धान किसानों को उपज का पाई-पाई भुगतान कर रही है, इससे किसानों का सम्मान बढ़ रहा है। वर्ष 2017-18 में 4,92,038 किसानों ने अपनी उपज खरीद केन्द्रों के जरिये बेचीं थी। वर्ष 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 6,44,013 पहुंच गई। 2019-20 में 7,06,549 किसान लाभान्वित हुए। वर्ष 2020-21 में 6,47,160 किसान 15 दिसंबर, 2020 तक अपनी फसल बेंचकर लाभ उठा चुके हैं। पिछले चार वर्षों में कुल 25,29,760 किसानों से सरकार ने धान खरीदकर उसका पूरा भुगतान कराया है। पाई-पाई भुगतान पाकर किसान खुशहाल हैं।