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उत्तर प्रदेश सरकार ने धान और गेहूं किसानों को सबसे अधिक भुगतान करने का बनाया कीर्तिमान

योगी आदित्यनाथ सरकार ने किसानों को धान और गेहूं के भुगतान का नया रिकॉर्ड बनाया है। राज्‍य सरकार ने 14 दिसंबर 2020 तक प्रदेश के गेहूं और धान किसानों को 60922.23 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर पिछली सरकारों के रिकॉर्ड को तोड़कर काफी आगे निकल गई है।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Updated: Thu, 14 Jan 2021 10:07 PM (IST)
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यूपी सरकार ने उत्तर प्रदेश के धान और गेहूं किसानों को सबसे अधिक भुगतान करने का कीर्तिमान बनाया है।

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में सरकार ने उत्तर प्रदेश के धान और गेहूं किसानों को सबसे अधिक भुगतान करने का कीर्तिमान बनाया है। राज्‍य सरकार ने पिछले चार साल में उत्तर प्रदेश के धान किसानों को 31904.78 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। प्रदेश में धान किसानों को सबसे अधिक भुगतान किये जाने का यह एक रिकॉर्ड है। गेहूं किसानों को भुगतान के मामले में भी योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछली सरकारों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। चार साल के कार्यकाल में राज्‍य सरकार ने 33 लाख से ज्‍यादा गेहूं किसानों की फसल के लिए 29017.45 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। किसानों की फसल के दाने-दाने का भुगतान करने के अपने संकल्‍प पर योगी आदित्यनाथ सरकार खरी उतरी है। उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य तथा रसद विभाग के ताजा आंकड़े इसके गवाह हैं।

पिछली सरकार के बकाये समेत गन्‍ना किसानों को अब तक का सबसे अधिक भुगतान कर नया कीर्तिमान कायम करने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब धान और गेहूं के भुगतान का नया रिकॉर्ड बनाया है। राज्‍य सरकार ने 14 दिसंबर, 2020 तक प्रदेश के गेहूं और धान किसानों को 60,922.23 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर पिछली सरकारों के रिकॉर्ड को तोड़कर काफी आगे निकल गई है। योगी सरकार ने चार साल में प्रदेश के धान और गेहूं किसानों को अब तक का सबसे अधिक भुगतान किया है। किसानों की फसल के दाने-दाने का भुगतान करने की नीति के तहत राज्‍य सरकार ने कार्यकाल के पहले वर्ष 2017-18 में 42.90 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद के लिए 6,663.32 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

प्रदेश सरकार ने 2018-19 में 48.25 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद के लिए 8,449.39 करोड़ रुपये का भुगतान किया। वर्ष 2019-20 में 56.47 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद के लिए 10,274.25 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। 2020-21 में 55 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 6 जनवरी, 2021 तक 555.25 लाख कुंतल धान की खरीद की गई है। लक्ष्य के मुकाबले प्रदेश सरकार 6 जनवरी, 2021 तक ही 100.96% खरीद कर चुकी है। इससे 10,62,714 किसानों को 10,377.76 करोड़ मूल्य के सापेक्ष अब तक 7784.55 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। शेष बचा करोड़ 2593.21 रुपये का भुगतान भी जल्द ही कर दिया जाएगा।

पिछले वर्ष इस समयावधि के दौरान कुल 443.76 लाख क्विंटल धान खरीद हुई थी। गेहूं खरीद के मामले में भी योगी सरकार ने जबरदस्‍त बढ़ोतरी दर्ज की है। खाद्य तथा रसद विभाग के 14 दिसंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, योगी सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में 33,45,065 किसानों से कुल 162.71 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की। प्रदेश में सबसे ज्‍यादा 2,42,56 क्रय केंद्रों के जरिये खरीदे गए गेहूं के लिए राज्‍य सरकार ने किसानों को कुल 29,017.71 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

धान और गेहूं किसानों को खाद्यान्‍न की सीधी और पारदर्शी त्‍वरित भुगतान प्रक्रिया के पीछे मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के प्रयासों को बड़ा कारण माना जा रहा है। योगी सरकार ने किसानों को बेहतर कीमत देने के लिए सत्‍ता संभालने के साथ ही कई बड़े कदम उठाए। क्रय केंद्रों पर वर्षों से किसानों के साथ चली आ रही बिचौलियों की परंपरा को समाप्‍त करते हुए योगी सरकार ने किसानों से सीधे खरीद की प्रक्रिया शुरू की। ई-उपार्जन पोर्टल बना कर किसानों को सीधे पंजीकरण की सुविधा दी गई ताकि बिचौलियों को बाहर किया जा सके। ई-उपार्जन पोर्टल को राजस्‍व पोर्टल से लिंक कराया गया ताकि खतौनी के गाटा संख्‍या का आनलाइन सत्‍यापन किया जा सके। सीमांत एवं लघु किसानों को खाद्यन्‍न बेचने में कठिनाई न हो इसके लिए 100 क्वींटल तक खरीद को राजस्‍व विभाग के सत्‍यापन से मुक्‍त रखा गया और 100 क्विंटल से अधिक विक्री करने वाले किसानों को राजस्‍व विभाग से सत्‍यापन की सुविधा दी गई। लघु  व सीमांत किसानों को खाद्यान्‍न बेचने के लिए दो दिन योगी सरकार ने आरक्षित किए। महिला किसानों को खाद्यान्‍न बेचने में योगी सरकार ने प्राथमिकता दी।  

गौरतलब है कि इससे पहले गन्‍ना किसानों को 1,11,063.34 करोड़ रुपये का भुगतान कर योगी सरकार ने प्रदेश में नया कीर्तिमान स्‍थापित किया है। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में गन्‍ना किसानों के 10,659.42 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान भी योगी सरकार ने किसानों को किया है। कोरोना काल में भी चीनी मीलों का संचालन करवाकर एक-एक गन्ने का पाई-पाई किसानों के खाते तक पहुंचाने का काम किया है।

पिछले बीस साल से सरकारें जहां चीनी मिल मालिकों के आगे घुटने टेकने का काम करती थीं, वहीं योगी आदित्यनाथ सरकार ने लापरवाह चीनी मिल मालिकों के खिलाफ सख्ती करते हुए किसान हित में फैसले लेने का संकल्प निभाया। पिछली सरकारें जहां सहकारी चीनी मीलों को बंद कर उनको बेचने पर तुली थीं। वहीं योगी आदित्यनाथ सरकार ने न सिर्फ बंद हो चुकी गोरखपुर की पिपराइच और बस्ती की मुंडेरवा चीनी मिल की क्षमता विस्तार करते हुए पुनः सचालन शुरू करवाया, बल्कि पिपराइच और मुंडेरवा में 5,000-5,000 टीसीडी क्षमता की नई चीनी मिल का शुभारंभ भी किया गया। रमाला चीनी मिल की क्षमता भी 5,000 टीसीडी बढाई गई।