Move to Jagran APP

Mohun Bagan के लिए 17 साल खेला फुटबॉल, एशियन गेम्स में दिलाया कांस्य; ऐसी दिलकश रही 'इंडियन पेले' की कहानी

साल 1948 में आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में जन्मे हबीब ने 1965-75 तक भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। इस टीम में 1970 में बैंकाक एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने ईस्ट बंगाल क्लब के साथ कई कार्यकाल मोहन बागान और मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब के लिए खेले। भारत के लिए 35 इंटरनेशनल मैच खेले और इस दौरान 11 गोल दागे।

By Jagran NewsEdited By: Umesh KumarUpdated: Thu, 17 Aug 2023 10:23 AM (IST)
Hero Image
एक फुटबॉल मैच के दौरान मोहम्मद हबीब। फाइल फोटो
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। टाटा फुटबॉल अकादमी के पूर्व कोच और अर्जुन पुरस्कार प्राप्त पूर्व फुटबॉलर मो. हबीब का मंगलवार को हैदराबाद में निधन हो गया। वह 72 साल के थे। 1977 में पेले की टीम न्यूयार्क कास्मास कोलकाता खेलने आई थी। इस मैच में मोहन बागान की ओर से खेलते हुए मो. हबीब ने एक गोल दागा था। पेले भी हबीब के इस प्रयास की बखूबी प्रशंसा की।

साल 1948 में आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में जन्मे हबीब ने 1965-75 तक भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। इस टीम में 1970 में बैंकाक एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने ईस्ट बंगाल क्लब के साथ कई कार्यकाल (1966-68, 1970-74 और 1980-81) , मोहन बागान (1968-69, 1976-78, और1982-84) और मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब (1975 और 1979) के लिए खेले।

पेले की टीम के खिलाफ दागा गोल

मोहम्मद हबीब के करियर का सबसे शानदार पल 1977 में आया, जब उन्होंने एक फैंडली मैच में अपनी टीम मोहन बगान के लिए खेलते हुए पेले (Pele) की टीम कॉसमॉस क्लब के खिलाफ गोल दागा था। उस टीम में पेले, कार्लोस अलबर्टो, जॉर्जियो सी जैसे धुरंधर थे। बारिश में खेले गए इस मैच में उनके गोल के चलते मैच 2-2 से ड्रॉ रहा था। कई लोग उन्हें ''इंडियन पेले'' भी कहते थे। हबीब को देश का ''पहला पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी'' माना जाता है।

35 अंतरराष्ट्रीय मैच में 11 गोल दागे

भारत के पूर्व कप्तान मो. हबीब ने कुआलालंपुर में 1967 में मर्डेका कप में थाईलैंड के खिलाफ पदार्पण करने के बाद, उन्होंने 35 इंटरनेशनल मैच खेले, जिसमें उन्होंने दमदार अंदाज में 11 गोल दागे। हबीब ने हल्दिया में भारतीय फुटबॉल संघ अकादमी के मुख्य कोच के रूप में भी काम किया था। फुटबॉल के मैदान पर जब हबीब उतरते थे, तो विपक्षी टीम सहम सी जाती थी। ऐसे दिग्गज प्लेयर को भूलने की बीमारी थी। इसके अलावा पार्किंसन से भी जूझ रहे थे।

आक्रामक मिडफील्डर मो. हबीब गोल करने से पहले तीन या चार खिलाड़ियों को चकमा देते थे। उनके पास यह अद्भुत क्षमता थी। वह फॉरवर्ड खिलाड़ियों को व्यस्त रखते थे। वह आगे बढ़कर खेलने में भी सक्षम थे, क्योंकि उसके पास गति और ड्रिब्लिंग क्षमता गजब की थी। 17 साल तक बंगाल के लिए खेलने पर इनकी यहां नायक की तरह पूजा की जाती है।