Pele Death News: नहीं रहे फुटबाल के 'द किंग' पेले, 82 साल की उम्र में ली अंतिम सांस; कैंसर का चल रहा था इलाज
Pele Death News ब्राजील के दिग्गज फुटबॉलर पेले का निधन हो गया। 82 वर्षीय पेले 29 नवंबर से साओ पाउलो में अल्बर्ट आइंस्टीन इजराइली अस्पताल में भर्ती थे। पेले ने 1958 1962 और 1970 के विश्व कप में ब्राजील को जीत दिलाई थी।
By AgencyEdited By: Piyush KumarUpdated: Fri, 30 Dec 2022 04:46 AM (IST)
ब्राजीलिया, एजेंसी। ब्राजील के महान फुटबॅालर एडसन अरांतेस डो नासिमेंटो 'पेले' (Pele) का 82 वर्ष की उम्र में गुरुवार को यहां निधन हो गया। वह 2021 से पेट के कैंसर से जूझ रहे थे और विगत एक माह से अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें 29 नवंबर से साओ पाउलो में अल्बर्ट आइंस्टीन इजराइली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पेले किडनी और कार्डियक डिसफंक्शन की बीमारी से भी जूझ रहे थे। तीन बार के विश्व कप विजेता पेले के निधन की आधिकारिक जानकारी उनके परिवार वालों ने दी है। पेले की बेटी केली नैसिमेंटो ने इंस्टाग्राम पर निधन की जानकारी देते हुए लिखा, 'हम जो कुछ भी हैं, वह आपकी बदौलत हैं। हम आपको असीम प्यार करते हैं। रेस्ट इन पीस।'
तीन बार विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे पेले फुटबाॅल के इस शताब्दी के सबसे महानतम खिलाड़ियों में से एक थे। उनके एजेंट जो फ्रैगा ने उनके देहांत की पुष्टि की। दो दशकों तक उन्होंने ब्राजील की राष्ट्रीय टीम और ब्राजील के क्लब सैंटोस में सेवाएं दी र्थी। उन्होंने इस खेल और ब्राजील का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया था। उन्होंने ब्राजील को फुटबॅाल जगत में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
1958 में पहली बार लिया था विश्व कप में हिस्सा
द किंग के नाम से मशहूर पेले ने 17 वर्ष की उम्र में 1958 में स्वीडन में पहली बार विश्व कप में हिस्सा लिया था। फाइनल मैच में मेजबान देश के विरुद्ध दो गोल दागने वाले पेले को साथी खिलाड़ियों ने जीत के बाद कंधे पर उठा लिया था। ब्राजील ने यह मैच 5-2 से जीता था। इसके अगले विश्व कप में चोट के कारण वह केवल दो मैच ही खेल सके। हालांकि, ब्राजील फिर भी चैंपियन बना था। 1970 में मेक्सिको में खेला गया विश्व कप पेले के जीवन का यादगार टूर्नामेंट बन गया।
उन्होंने इस विश्व कप के फाइनल में एक गोल करने के अलावा कार्लोस अल्बर्टो को पास देकर गोल करने में मदद भी की थी। ब्राजील ने यह फाइनल 4-1 से जीता था। सुनहरे पीले रंग की ब्राजीली जर्सी और उसपर अंकित 10, पेले की प्रशंसकों के बीच पहचान बन गई थी। मैदान पर चपलता, गेंद पर नियंत्रण और खिलाड़ियों को चकमा देने की क्षमता पेले को अन्य खिलाड़ियों से अलग करती थी। उन्होंने मैदान पर अपनी एक अलग शैली विकसित कर ली थी जिसमें गति की सबसे अहम भूमिका थी।
दो दशक का चमकदार करियर
दो दशक तक पेले ब्राजील की राष्ट्रीय टीम और वहां के क्लब सैंटोस के लिए खेले। कभी नंगे पांव खेलने वाले पेले इस खेल के सबसे चमकदार सितारों में शुमार हुए और ब्राजील का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया। उन्होंने 17 वर्ष की उम्र में वर्ष 1958 में स्वीडन में पहली बार विश्व कप में हिस्सा लिया था। फाइनल मैच में मेजबान देश के विरुद्ध दो गोल दागने वाले पेले को तब साथी खिलाडि़यों ने जीत के बाद कंधे पर उठा लिया था। ब्राजील ने यह मैच 5-2 से जीता था। चिली में खेले गए विश्व कप में चोट के कारण पेले दो मैच ही खेल सके, लेकिन ब्राजील चैंपियन बना।1970 का विश्व कप बन गया यादगार
साल 1970 में मेक्सिको में खेला गया विश्व कप पेले के जीवन का यादगार टूर्नामेंट बन गया। उन्होंने इस विश्व कप के फाइनल में एक गोल करने के अलावा कार्लोस अल्बर्टो को पास देकर ब्राजील की तरफ से इस मैच में अंतिम गोल करने में मदद भी की थी। ब्राजील ने यह फाइनल 4-1 से जीता। अब ब्राजील की सुनहरे पीले रंग की और उसपर अंकित नंबर 10 प्रशंसकों के बीच पेले की पहचान बन चुका था। 21 वर्ष के सुनहरे करियर में पेले ने 1,283 गोल किए। उन्हें 20वीं सदी का पहला वैश्विक आइकन माना जाता है। अपनी बाल सुलभ मुस्कान और सहज व्यवहार से वह ताउम्र प्रशंसकों के चहेते बने रहे। उन्हें अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने एथलीट आफ द सेंचुरी और फीफा ने सदी का फुटबालर और ब्राजील सरकार ने नेशनल ट्रेजर घोषित किया था।चपलता, नियंत्रण और चकमा देने की क्षमता
मैदान पर चपलता, गेंद पर नियंत्रण और खिलाडि़यों को चकमा देने की क्षमता पेले को अन्य खिलाडि़यों से अलग करती थी। उनका वास्तविक नाम एडसन अरांतेस डो नैसिमेंटो था। उस दौर में उन्होंने मैदान पर अपनी एक अलग शैली विकसित कर ली थी जिसमें गति की सबसे अहम भूमिका थी। कहा जाता था कि ब्राजील के सांबा नृत्य की तरह पेले का खेल मैदान में उनके देश का प्रतिनिधित्व करता था। खेल में अभूतपूर्व योगदान के अलावा वह समाजसेवा में भी आगे रहे। बीते कुछ वर्षों से पेले स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। वर्ष 2012 में कूल्हे के आपरेशन के बाद उन्हें चलने में भी दिक्कत होती थी। दो वर्ष पहले उनके बेटे एडिन्हो ने कहा था कि बीमारी के कारण पेले अवसादग्रस्त हो गए थे।