Gujarat High Court On Maharaj: आमिर खान के बेटे की पहली फिल्म पर बवाल, मूवी देखने के बाद ही कोई निर्णय करेगा गुजरात हाई कोर्ट
आमिर खान के बेटे जुनैद की पहली फिल्म महाराज की रिलीज 20 जून तक अटक गई है। गुजरात हाई कोर्ट गुरुवार को यह फिल्म देखने के बाद ही इस पर निर्णय करेगा। याचिकाकर्ता शैलेष पटवारी ने बताया कि इसके जरिये सनातन धर्म को बदनाम करने का प्रयास किया गया है। इसके चलते धार्मिक आस्था के आहत होने और समाज में हिंसा फैलने का डर है।
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। आमिर खान के बेटे जुनैद की पहली फिल्म महाराज की रिलीज 20 जून तक अटक गई है। गुजरात हाई कोर्ट गुरुवार को यह फिल्म देखने के बाद ही इस पर निर्णय करेगा। वैष्णव समुदाय का अपमान करने का आरोप लगाते हुए पुष्टीमार्गी संप्रदाय ने इसके रिलीज को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
लगातार दो दिनों तक चली सुनवाई
हाई कोर्ट की न्यायाधीश संगीता विशेन की खंडपीठ ने लगातार दो दिन तक इस मामले में सुनवाई की। यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी महाराज फिल्म ओटीटी (ओवर द टाप) प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर 14 जून को रिलीज होनी थी। याचिकाकर्ता शैलेष पटवारी ने बताया कि इसके जरिये सनातन धर्म को बदनाम करने का प्रयास किया गया है। इसके चलते धार्मिक आस्था के आहत होने और समाज में हिंसा फैलने का डर है।
नेटफ्लिक्स ने क्या कहा?
नेटफ्लिक्स की ओर से पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि इस फिल्म के लिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से प्रमाणपत्र लिया गया था। अब याचिकाकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं। इस कथानक पर 2013 में एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है, लेकिन उस पर भी कभी कोई आपत्ति नहीं जताई गई। सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र मिलने के बाद अब इसके रिलीज पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।न्यायालय परिसर में फिल्म देखेंगी न्यायाधीश संगीता विशेन
उनका कहना है कि बैंडिट क्वीन, गंगु बाई काठियावाड़ी, पद्मावत को लेकर भी विरोध हुआ था। उनका यह भी कहना है कि ओटीटी के लिए किसी तरह के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। न्यायाधीश संगीता विशेन गुरुवार को न्यायालय परिसर में यह फिल्म देखेंगी। यशराज बैनर की ओर से इस फिल्म का लिंक कोर्ट को भेजा जाएगा।
सनातन का अपमान करने का लगाया आरोप
उधर, वैष्णव पुष्टिमार्गी संप्रदाय के वकील ने कहा कि इस फिल्म में सनातन का अपमान करने के साथ ही भगवान कृष्ण का भी अभ्रद्र चित्रण किया गया है। यह फिल्म 1862 में मुंबई हाई कोर्ट में दायर एक मानहानि केस पर आधारित है। मानहानि का 1862 का मामला वैष्णव धार्मिक नेता और समाज सुधारक करसनदास मूलजी के बीच टकराव पर केंद्रित था। उन्होंने गुजराती साप्ताहिक के एक लेख में धर्मगुरु पर सवाल उठाया था।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।