Ambaji Prasad: भक्तों की जीत, अंबाजी मंदिर में जारी रहेगा मोहनथाल का प्रसाद; राज्य सरकार का फैसला
Ambaji Prasad Controversy गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर में पारंपरिक प्रसाद की जगह चिक्की चढ़ाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसको लेकर राजनीतिक दलों के साथ-साथ हिंदू संगठन भी लगातार विरोध कर रहे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Tue, 14 Mar 2023 03:26 PM (IST)
पालनपुर, जागरण डेस्क। Ambaji Prasad Controversy: गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर में पारंपरिक प्रसाद को लेकर बड़ा फैसला आ गया है। गुजरात राज्य के गृह मंत्री हर्ष सांघवी द्वारा बुलाई गई बैठक में प्रसाद को लेकर एक अहम फैसला लिया गया है। बता दें कि भक्तों को मोहनथाल प्रसाद के साथ चिक्की का भी प्रसाद भी दिया जाएगा।
श्रद्धालुओं में दौड़ी खुशी की लहर
अंबाजी मंदिर में मोहनथाल का प्रसाद चढ़ाए जाने के फैसले से खुश होकर श्रद्धालुओं ने अधिकारियों के फैसले को स्वागत योग्य बताया। श्रद्धालुओं ने कहा कि पारंपरिक रूप से चले आ रहे प्रसाद को जारी रखकर सही निर्णय लिया है।
'श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखकर लिया गया फैसला'
राज्य सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने इस फैसले को सही बताते हुए कहा कि श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखकर ये फैसला लिया गया है। अंबाजी में मोहनथाल और चिक्की दोनों ही प्रसाद के रूप में उपलब्ध होंगे। मोहनथाल के प्रसाद की गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी और मंदिर ट्रस्ट तय करेगा कि यह प्रसाद बनाने की अनुमति किसे दी जाए।गुजरात सरकार के प्रवक्ता ने दिया था ये तर्क
गुजरात सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने पहले तर्क दिया था कि मोहनथाल की तुलना में चिक्की प्रसाद की सेल्फ लाइफ लंबी होती है। प्रसाद में दिए जाने वाले चिक्की उपवास में भी खाए जा सकते हैं और करीब 3 महीने तक अच्छी क्वालिटी के रहते हैं। चिक्की प्रसाद बाजार में मिलने वाली आम चिक्की की तरह नहीं है। इस प्रसाद की चिक्की हेल्दी पीनट बटर से तैयार की जाती है। 3 महीने से ज्यादा सेल्फ लाइफ वाले इस चिक्की प्रसाद को नागरिकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।