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MahaShivaratri 2023: अमेरिका के जोसफ बने साधु और भवनाथ के किए दर्शन, साधु-संतों से ले रहे हिंदू धर्म का ज्ञान

जूनागढ़ के भवनाथ में महाशिवरात्रि मेले का आयोजन होता है। मेले में महादेव की पूजा अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में नागा साधुओं के अलावा विभिन्न संप्रदायों के साधु भवनाथ पहुंच रहे हैं। इस मेले में अमेरिका से आए एक साधु रॉबर्ट जोसेफ भी शामिल हुए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Fri, 17 Feb 2023 12:26 PM (IST)
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अमेरिका के जोसफ बने साधु और भवनाथ के किए दर्शन
जूनागढ़ (गुजरात): जूनागढ़ के भवनाथ में महाशिवरात्रि मेले का आयोजन होता है। मेले में महादेव की पूजा अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में नागा साधुओं के अलावा विभिन्न संप्रदायों के साधु भवनाथ पहुंच रहे हैं। न केवल भारत से बल्कि विदेशों से भी कई नागरिक यहां आकर साधु बन चुके हैं। ऐसे ही एक साधु हैं अमेरिका के रॉबर्ट जोसेफ। जो सनातन धर्म अपनाकर साधु-संतों से धर्म का ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं।

यहां होता है अलग महसूस

भवनाथ मेले में आए एक अमेरिकी साधु ने कहा है कि 'मैं अमेरिका से हूं और मेरा नाम रॉबर्ट जोसेफ है। मैं पहली बार शिवरात्रि पर यहां आया हूं। यह एक अद्भुत जगह है। यहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और एक अलग ही अनुभूति होती है। मैं दूसरी बार गुजरात आया हूं। मैं 2020 में गुजरात आया था और अब तीन साल बाद 2023 में गुजरात वापस आया हूं। इस बार मैंने भवनाथ मेले में भाग लिया है। मैंने गिरनार पर चढ़ाई कर ली है। मैं दत्तात्रेय गया हूं और साधु संतों से भारतीय संस्कृति और धर्म के बारे में ज्ञान प्राप्त कर रहा हूं।'

रॉबर्ट जोसेफ अमेरिका के शिकागो में रहते हैं। साधु बनने से पहले वह एक योग शिक्षक और गिटार वादक थे। उन्होंने सप्ताह में तीन दिन योग की कक्षाएं लगाईं। उन्होंने महंत दीपक भारती से गुरु दक्षिणा ली है। साधु बनने के पीछे की वजह यह है कि जब वह छोटे थे तो मंदिर जाया करते थे। श्रीराम जय राम जय जय राम सहित धुन बजाते थे। धीरे-धीरे वे सनातन धर्म से प्रभावित हुए और इस वर्ष जब वे गुजरात आए तो विशेष महाशिवरात्रि में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे।

रोम के एक नागरिक ने सनातन धर्म अपना लिया और सन्यासी बन गया

मूल रूप से रोम, इटली का रहने वाला एक विदेशी नागरिक पिछले चार वर्षों से सनातन धर्म अपनाकर साधु बन गया है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का मूल सनातन धर्म है। उसने अपना नाम शिवानी भारती और अमर भारती रखा। भारत में आयोजित होने वाले कुंभ मेले का बड़ा आध्यात्मिक महत्व है। फिर भवनाथ में लगने वाले शिवरात्रि मेले को भी मिनी कुंभ माना जाता है। जिसके चलते ये विदेशी श्रद्धालु पहली बार जूनागढ़ मेले में आए हैं।

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