'आरोप झूठे हैं, षड्यंत्र का शिकार बनाया गया', आसाराम ने लगाई राहत की गुहार; याचिका पर क्या बोला हाई कोर्ट?
Asaram Bapu दुष्कर्म मामले में आजीवन कैद की सजा काट रहे आसाराम ने गुजरात हाई कोर्ट में सजा निलंबित करने की गुहार लगाई थी। आसाराम ने याचिका में कहा था कि उस पर दुष्कर्म के आरोप झूठे हैं। उसे षड्यंत्र का शिकार बनाया गया है। शनिवार को गुजरात हाई कोर्ट की जस्टिस इलेश वोरा और जस्टिस विमल व्यास की खंडपीठ ने इस मामले नें आदेश पारित किया।
पीटीआई, अहमदाबाद। दुष्कर्म मामले में जेल में बंद आसाराम की उम्रकैद की सजा जारी रहेगी। गुजरात हाई कोर्ट ने सजा को निलंबित करने की आसाराम की याचिका खारिज कर दी है।
इस मामले में गांधीनगर की एक अदालत ने 2023 में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा को निलंबित करने और जमानत देने से इन्कार करते हुए जस्टिस इलेश वोरा और जस्टिस विमल व्यास की खंडपीठ ने गुरुवार को पारित आदेश में कहा कि आसाराम को राहत देने का कोई मामला नहीं बनता।
सत्र अदालत ने ठहराया था दोषी
जनवरी 2023 में सत्र अदालत ने आसाराम को 2013 के दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने एक महिला की याचिका पर यह फैसला सुनाया था, जो अपराध के समय गांधीनगर के पास आसाराम के आश्रम में रह रही थी। आसाराम दुष्कर्म के एक अन्य मामले में राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद है।याचिका पर विचार करने से कोर्ट का इनकार
हाई कोर्ट ने कहा, अपील में संभावित देरी, बीमारी, जेल में दस साल की सजा पूरी करने के आधार पर आसाराम की याचिका पर विचार करना प्रासंगिक नहीं है। आसाराम ने याचिका में कहा कि उस पर दुष्कर्म के आरोप झूठे हैं। उसे षड्यंत्र का शिकार बनाया गया है।
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