Bilkis Bano Case: 'दोषियों को फांसी या पूरी जिंदगी जेल में रखे जाने से ही न्याय मिलेगा', बिलकिस बानो मामले में एकमात्र चश्मदीद ने कही ये बात
बिलकिस बानो मामले के एकमात्र चश्मदीद ने कहा है कि इस जघन्य अपराध के लिए दोषी व्यक्तियों को फांसी दी जानी चाहिए या उनके शेष जीवन के लिए जेल में रखा जाना चाहिए तभी न्याय मिलेगा। चश्मदीद उस वक्त सात वर्ष का था जब एक भीड़ ने उनकी रिश्ते की बहन बिलकीस और अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य सदस्यों पर दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में हमला किया था।
पीटीआई, अहमदाबाद। बिलकिस बानो मामले के एकमात्र चश्मदीद ने कहा है कि इस जघन्य अपराध के लिए दोषी व्यक्तियों को फांसी दी जानी चाहिए या उनके शेष जीवन के लिए जेल में रखा जाना चाहिए, तभी न्याय मिलेगा। चश्मदीद उस वक्त सात वर्ष का था जब एक भीड़ ने उनकी रिश्ते की बहन बिलकीस और अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य सदस्यों पर दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में हमला किया था।
साल 2002 में गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद भड़के इन दंगों के दौरान भीड़ ने उनमें से 14 की हत्या कर दी थी। चश्मदीद व्यक्ति अब 28 वर्ष का है और अहमदाबाद में अपनी पत्नी और पांच वर्षीय बेटे के साथ रहता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपनी आंखों के सामने अपने प्रियजनों को मरते हुए देखने का आघात सहा। मैं अब भी रात में जागता हूं और रोता हूं क्योंकि इतने सालों के बाद भी वो पल मुझे परेशान करते हैं।’’
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इस साल 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और 14 लोगों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के अगस्त 2022 में लिए गए गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था।
चश्मदीद ने सुनाई आपबीती
चश्मदीद ने जोर देकर कहा, ‘‘जब उन्हें (दोषियों को) रिहा किया गया तो मुझे बहुत दुख हुआ। अब मुझे कुछ हद तक राहत मिली है क्योंकि उन्हें एक बार फिर जेल भेजा जाएगा। मेरी मां और मेरी बड़ी बहन उन 14 लोगों में शामिल थीं जो उस दिन मेरी आंखों के सामने मारी गई थीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सभी दोषियों को या तो फांसी दी जानी चाहिए या उन्हें शेष जीवन के लिए जेल में रखा जाना चाहिए, तभी न्याय मिलेगा। इन लोगों को फिर कभी मुक्त नहीं किया जाना चाहिए।’’उल्लेखनीय है कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में दंगे भड़क उठे थे।
उन्होंने बताया, “चूंकि वह एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी था। उसने 2005 में मुंबई में एक विशेष सीबीआई अदालत के सामने गवाही दी। उनकी गवाही महत्वपूर्ण साबित हुई, क्योंकि यह शिकायतकर्ता बिलकिस बानो द्वारा बताई गई घटनाओं के क्रम से मेल खाती थी। उन्होंने सुनवाई के दौरान 11 आरोपियों में से चार की पहचान भी की।"
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उस समय को चश्मदीद को आश्रय देने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, खुद को बचाने के लिए 17 लोगों का एक समूह, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे, दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रणधीकपुर गांव को छोड़कर जंगल के रास्ते देवगढ़ बारिया शहर की ओर चले गए। कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “इस लड़के (प्रत्यक्षदर्शी) और उसकी मां और बड़ी बहन के साथ बिलकिस बानो भी उस समूह में थीं, जिस पर 3 मार्च को भीड़ ने हमला किया था। भीड़ ने उन 17 में से 14 को मार डाला, जिसमें एक शिशु भी शामिल था। उसके बाद भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।"उन्होंने कहा कि, "भीड़ में शामिल युवकों ने बिलकिस और इस लड़के को मारने की कोशिश की लेकिन वे बच गए। एक 4 साल का लड़का भी हमले में बच गया। क्योंकि भीड़ में शामिल युवकों को लगा कि वह मरा हुआ है।” लड़के ने घटना के बाद गोधरा के एक राहत शिविर में कुछ समय बिताया और फिर उसे कच्छ के एक आवासीय विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। कार्यकर्ता ने कहा कि आवासीय विद्यालय में ही उसका पालन-पोषण किया गया। वहां वह चश्मदीद के अभिभावक बने।यह भी पढ़ें: Bilkis Bano Case: 'बिलकिस बानो से माफी...', ओवैसी से लेकर राहुल गांधी तक; सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विपक्षी नेताओं ने भाजपा पर साधा निशानाउन्होंने बताया, “चूंकि वह एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी था। उसने 2005 में मुंबई में एक विशेष सीबीआई अदालत के सामने गवाही दी। उनकी गवाही महत्वपूर्ण साबित हुई, क्योंकि यह शिकायतकर्ता बिलकिस बानो द्वारा बताई गई घटनाओं के क्रम से मेल खाती थी। उन्होंने सुनवाई के दौरान 11 आरोपियों में से चार की पहचान भी की।"