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'बानो को 'आज न्याय' मिला', Bilkis मामले के गवाह ने जताई खुशी; सुुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिश्तेदारों ने फोड़े पटाखे

बिलकिस बानो मामले ( Bilkis Bano case) में एक गवाह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की। इस मामले के गवाहों में से एक अब्दुल रजाक मंसूरी ने कहा मैं इस मामले में गवाहों में से एक हूं। इन 11 दोषियों को महाराष्ट्र की एक अदालत ने सजा सुनाई थी। गुजरात सरकार का उन्हें रिहा करने का फैसला गलत था। इसलिए हमने इसे अदालत में चुनौती दी।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Mon, 08 Jan 2024 03:47 PM (IST)
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सुुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिश्तेदारों ने फोड़े पटाखे (Image: ANI)

पीटीआई, दाहोद। बिलकिस बानो मामले में एक गवाह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि बानो को 'आज न्याय' मिला है। इस बीच दाहोद जिले के देवगढ़ बारिया शहर में बानो के कुछ रिश्तेदारों ने पटाखे जलाकर जश्न मनाया।

इस मामले के गवाहों में से एक अब्दुल रजाक मंसूरी ने कहा, 'मैं इस मामले में गवाहों में से एक हूं। इन 11 दोषियों को महाराष्ट्र की एक अदालत ने सजा सुनाई थी। गुजरात सरकार का उन्हें रिहा करने का फैसला गलत था। इसलिए हमने इसे अदालत में चुनौती दी।'

खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द किया

वर्तमान में देवगढ़ बारिया शहर में रह रहे मंसूरी ने संवाददाताओं से कहा, 'मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया और दोषियों को सरेंडर करने को कहा। मुझे लगता है कि आज हमें न्याय मिला है।' समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, बिलकिस बानो के कुछ दूर के रिश्तेदार देवगढ़ बैरिया में बसे हैं। जैसे ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खबर टेलीविजन स्क्रीन पर आई, उनमें से कुछ ने फैसले का स्वागत करने के लिए पटाखे फोड़े।

— ANI (@ANI) January 8, 2024

2002 के दंगों के दौरान हुआ था सामूहिक दुष्कर्म

बता दें कि शीर्ष अदालत ने 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषी 11 लोगों की सजा रद्द कर दी। साथ ही आदेश दिया कि उन्हें दो सप्ताह के भीतर वापस जेल भेजा जाए।

बानो 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी जब फरवरी 2002 में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के डर से भागते समय उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। उसकी तीन साल की बेटी मारे गए परिवार के सात सदस्यों में से एक थी। सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा छूट दी गई थी और 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया था।

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