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Rajkot: पीएम मोदी की मां को अनोखी श्रद्धांजलि, हीरा बा के नाम पर गुजरात में चेक डैम का निर्माण

गुजरात में एक चेक डैम का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिवंगत मां हीरा बा के नाम पर रखा गया। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि इस चेक डैम का निर्माण गुजरात के राजकोट शहर के बाहरी इलाके में हो रहा है।

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 06 Jan 2023 03:39 PM (IST)
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हीरा बा के नाम पर गुजरात में चेक डैम का निर्माण।

राजकोट, पीटीआइ। गुजरात में एक चेक डैम का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिवंगत मां हीरा बा के नाम पर रखा गया। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि इस चेक डैम का निर्माण गुजरात के राजकोट शहर के बाहरी इलाके में हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसका नाम हीरा बा के नाम पर रखने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि 30 दिसंबर 2022 को पीएम मोदी की मां का निधन हो गया था।

हीरा बा की याद में चेक डैम का निर्माण

बता दें कि इस चेक डैम का निर्माण गिर गंगा परिवार ट्रस्ट द्वारा कराया जा रहा है। ट्रस्ट के अध्यक्ष दिलीप सखिया ने कहा कि राजकोट-कलावाड रोड पर वागुदाद गांव के पास न्यारी नदी के निचले हिस्से में गिर गंगा परिवार ट्रस्ट द्वारा 15 लाख रुपये की लागत से चेक डैम बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस चेक डैम का नाम दिवंगत हीरा बा के नाम पर रखने का निर्णय लिया गया।

हीरा बा को गुजरात में अनोखी श्रद्धांजलि

इस क्षेत्र की स्थानीय विधायक दर्शिता शाह और राजकोट के मेयर प्रदीप दाव की उपस्थिति में बुधवार को बांध के लिए एक ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह आयोजित किया गया था। यह कहा गया था। दिलीप सखिया ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी की मां को श्रद्धांजलि के रूप में, हमने चेक डैम का नाम हीराबा स्मृति सरोवर रखने का फैसला किया है, क्योंकि यह उनकी स्मृति में बनाया जा रहा है। यह दूसरों को भी उनके निधन के बाद परिवार के प्रियजन को कुछ करने या अच्छे कामों के लिए दान करने के लिए प्रेरित करेगा।'

ट्रस्ट ने कई चेक डैम का कराया निर्माण

दिलीप सखिया ने कहा कि ट्रस्ट ने दानदाताओं की आर्थिक मदद से पिछले चार महीनों में 75 चेक डैम बनाए हैं। उन्होंने कहा कि नवीनतम बांध दो सप्ताह के भीतर पूरा हो जाएगा और इसमें लगभग 2.5 करोड़ लीटर पानी जमा करने की क्षमता होगी। उन्होंने कहा, "बांध 400 फीट लंबा और 150 फीट चौड़ा होगा। एक बार भरने के बाद यह नौ महीने तक सूखा नहीं रहेगा। यह भूजल को रिचार्ज करेगा और आसपास के गांवों के किसानों और पशुपालकों की मदद करेगा।'

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