Gujarat News: गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी सहित 19 दोषियों को छह माह की सजा
Gujarat News अहमदाबाद कोर्ट ने कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी सहित 19 दोषियों को छह माह की सजा सुनाई है। जिग्नेश मेवाणी के अलावा सुबोध परमार राकेश मेहरिया को भी सजा सुनाई गई है।
अहमदाबाद, जेएनएन। Gujarat News: गुजरात में अहमदाबाद कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस (Congress) के कार्यकारी अध्यक्ष व वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mevani) सहित 19 दोषियों को छह माह की सजा सुनाई है। अहमदाबाद के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट नंबर-21 ने जिग्नेश मेवाणी के अलावा सुबोध परमार, राकेश मेहरिया समेत 19 दोषियों को सजा सुनाई है।
जानें, क्या है मामला
वर्ष 2016 में गुजरात विश्वविद्यालय में बन रहे कानून विभाग के एक निर्माणाधीन भवन का नाम डा. बीआर अंबेडकर रखने की मांग को लेकर जिग्नेश मेवाणी ने विरोध-प्रदर्शन किया था। इस संबंध में जिग्नेश मेवाणी और 19 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। इस मामले की सुनवाई के दौरान एक की मौत हो चुकी है।इसी मामले में 19 दोषियों को कोर्ट ने छह माह की सजा सुनाई है। हालांकि सेशंस कोर्ट में अपील करने के लिए सजा पर 17 अक्टूबर तक रोक लगा दी गई है। साथ ही, सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। मेवाणी ने 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय जीता था। बाद में पार्टी ने उन्हें गुजरात इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। दलित अधिकार मंच की ओर से ही मेहसाणा में पुलिस की मंजूरी के बिना 2017 में रैली निकालने के लिए मेहसाणा की अदालत मेवाणी व नौ अन्य को मई 2022 में तीन-तीन माह की सजा सुना चुकी है।
गत दिनों कोर्ट ने जिग्नेश मेवाणी के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी व धमकी मामले के आरोपित की जमानत याचिका सत्र अदालत ने ठुकरा दी थी। सरकारी वकील ने अदालत के समक्ष जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एट्रोसिटी मामले में जांच चल रही है, अगर आरोपित को जमानत दी जाती है तो समाज में कानून का डर समाप्त हो जाएगा।
सूरत कामरेज इलाके में रहने वाले रमेश हरीभाई सावलिया ने चार जुलाई, 2022 को इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट वायरल कर विधायक जिग्नेश मेवाणी को धमकी भरे लहजे में कहा कि "मेवाणी तुझे गुजरात की जनता देख लेगी" सावलिया ने यह जानते हुए कि मेवाणी अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं, उन्हें जातिसूचक शब्दों से संबोधित कर अपमानित करने का भी प्रयास किया।
अतिरिक्त सत्र न्यायालय के जज एम ए भट्टी ने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपित की जमानत याचिका को ठुकरा दिया। सरकारी वकील नीलेश लोधा ने अदालत को बताया कि आरोपित ने जानबूझकर यह अपराध किया है, इससे समाज में एक गलत संदेश गया है। ऐसे संदेश के कारण दो समुदायों में वैमनस्य व टकराव की स्थिति पैदा हो सकती थी।