Surat: गणेश चतुर्थी पर बनाए जा रहे हैं इको-फ्रेंडली मूर्तियां, एक महिला ने साबुन का उपयोग कर बनाई प्रतिमाएं
Surat News गणेश चतुर्थी के अवसर पर पर्यावरण-अनुकूल (Eco-Friendly) मूर्तियां बनाई जा रही है। इन मूर्तियां को बनाने के पिछे मकसद यह है कि नदियों को दूषित होने से बचाया जाए। अलग-अलग राज्यों में पर्यावरण-अनुकूल गणेश मूर्तियां बनाई जा रही है। गुजरात के सूरत की एक महिला कलाकार ने साबुन का उपयोग करके भगवान गणेश की एक पर्यावरण-अनुकूल मूर्ति बनाई है।
सूरत, एजेंसी। गणेश चतुर्थी के पावन पर्व की रौनक हर ओर देखी जा रही है। भगवान गणेश की पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों का क्रेज इसबार भी है। लोग तरह-तरह की इको-फ्रेंडली मूर्तियां पसंद कर रहे है। कई कलाकार भी इसबार पर्यावरण-अनुकूल गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं।
गुजरात के सूरत की एक महिला कलाकार ने गणेश चतुर्थी से पहले साबुन का उपयोग करके भगवान गणेश की एक पर्यावरण-अनुकूल मूर्ति बनाई। अदिति मित्तल ने बताया कि वह पिछले छह साल से ऐसी मूर्तियां बना रही हैं।
मित्तल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में बताया, “पिछले छह वर्षों से मैं पर्यावरण-अनुकूल गणेश मूर्तियां बना रही हूं। इस साल, मैंने पीएम मोदी के 'स्वच्छता अभियान' को अपनाकर गणेश की मूर्तियां बनाने के बारे में सोचा। इस बार मैंने स्वच्छता अभियान की थीम को लेकर साबुन से गणेश की मुर्ति बनाई है...मैंने इसमें चंद्रयान और शिव शक्ति प्वाइंट भी बनाया है। इसमें कुल 2,655 किलो साबुन का इस्तेमाल किया गया है। मैंने इसे अकेले ही बनाया है और इसे बनाने में मुझे कुल 7 दिन लगे हैं।"
#WATCH | Gujarat: "For the last six years I have been making eco-friendly Ganesha idols & this year I thought of carving out Ganesha idols on the concept of PM Modi's 'Swachta Abhiyan'. Therefore, I have made the idol using soap...A total of 2655 kg of soap has been used...It… pic.twitter.com/HydaWp5PhL— ANI (@ANI) September 18, 2023
भुवनेश्वर स्थित एक अन्य लघु कलाकार, एल ईश्वर राव ने भी ठोस मिट्टी पर देवी सरस्वती और लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियां तैयार कीं। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, राव ने कहा, "पिछले 22 वर्षों से मैं पेनाइल निब, चॉक, हल्दी के बीज, बोतल के अंदर और कई अन्य चीज़ों पर लघु कला बना रहा हूं। मैंने देवी सरस्वती के साथ भगवान गणेश की पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियां तैयार की हैं।"