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Exclusive: UAE में 14 फरवरी को पहले हिंदू मंदिर का होगा शुभारंभ, गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का दिखेगा संगम, पढ़ें अन्य खासियत

BAPS Hindu Mandir Abu Dhabi अबू धाबी में पहला शिखरयुक्त BAPS हिंदू मंदिर बनकर तैयार है। जिसका शुभारंभ 14 फरवरी को महंत स्वामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। संयुक्त अरब अमीरात आम तौर पर अपने विशाल रेगिस्तानों के लिए जाना जाता है जबकि भारत दुनिया की कई महानतम और पवित्र नदियों का घर है। इस मंदिर में भारत के कई पवित्र नदियों का इस्तेमाल किया गया है।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Sun, 11 Feb 2024 01:12 PM (IST)
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बनकर तैयार हुआ अबू धाबी का पहला भव्य हिंदू मंदिर (फोटो- गुजराती जागरण)

डिजिटल डेस्क, किशन प्रजापति। BAPS Hindu Mandir Abu Dhabi: अबू धाबी में पहला शिखरयुक्त BAPS हिंदू मंदिर बनकर तैयार है। जिसका शुभारंभ 14 फरवरी को महंत स्वामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। संयुक्त अरब अमीरात आम तौर पर अपने विशाल रेगिस्तानों के लिए जाना जाता है, जबकि भारत दुनिया की कई महानतम और पवित्र नदियों का घर है। इस मंदिर में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक पुल स्थापित करने की कोशिश हुई है।

भारत की इन पवित्र नदियों का जल यहां लाया गया है। मंदिर के एक तरफ गंगा नदी और दूसरी तरफ यमुना नदी का जल रखा गया है। हल्का भूरा पानी जहां गंगा नदी का प्रतिनिधित्व करता है और गहरा भूरा पानी यमुना नदी का प्रतिनिधित्व करता है। सरस्वती नदी के प्रवाह को प्रकाश के रूप में दर्शाया गया है। इन तीन नदियों के 'त्रिवेणी संगम' के सामने 'दिव्य नेत्र' प्रदर्शित है।

'जल का पहला कुंभ PM मोदी करेंगे अर्पित'

गौरतलब है कि इससे पहले गुजराती जागरण (दैनिक जागरण) से बात करते हुए ब्रह्मविहारी स्वामी ने कहा था, ''इसके साथ ही तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का जल भी यहां लाया जाएगा। इसके जल का पहला कुंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संत अर्पित करेंगे।"

मंदिर के दोनों तरफ पानी के प्रवाह को रोशन करने के लिए अंदर 2000 से अधिक लाइटों का उपयोग किया गया है। इस रचना के माध्यम से शांति, प्रेम और सद्भाव का संदेश दिया जा रहा है।

मंदिर में बने दो झरने हैं इसके प्रतीक

मंदिर के मध्य पथ से शुरू होने वाली गंगा और यमुना के प्रवाह से आगे बढ़ते हुए, दो झरने ऊपर की ओर जाते हुए देखे जा सकते हैं। आमतौर पर पानी का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर होता है, लेकिन इन दोनों झरनों की प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर जाते हुए की गई है, जो जीवन में आने वाली कठिनाइयों पर काबू पाने और जीवन को ऊंचे स्तर पर ले जाने का संदेश देते हैं।

इस झरने के सामने दो शंख रखे गए हैं, जिनसे आगंतुक पानी अपने सिर पर डाल सकते है और शुभ संकल्पों की पूर्ति के लिए प्रार्थना कर सकता है। जहां से गंगा नदी गुजरती है, वहां एक घाट बनाया गया है, जहां से पर्यटक शाम के समय बैठकर मंदिर देख सकते हैं और आरती का आनंद ले सकते हैं।

जलधाराओं के किनारे 96 घंटियां

मंदिर की ओर बहने वाली नदियों के किनारे 96 घंटियां देखी जा सकती हैं। मंदिर में दर्शनार्थी घंटियों के माध्यम से अपने मन को मंदिर और भगवान की दिव्यता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है। प्रत्येक घंटी प्रमुख स्वामी महाराज के जीवन के 96 वर्षों का प्रतिनिधित्व करती है।

इनमें से प्रत्येक घंटी सार्वभौमिक सद्भाव के लिए प्रमुखस्वामी महाराज के गंभीर प्रयासों को दर्शाती है। जिन्होंने अपना पूरा जीवन हजारों लोगों और विभिन्न समुदायों, धर्मों और संस्कृतियों के बीच सद्भाव लाने के लिए समर्पित कर दिया।

आठ मूल्यों की मूर्तियां हैं स्थापित 

इस मंदिर में जैसे ही कोई मंदिर की सीढ़ियां चढ़ता है, उसे आठ मूर्तियां मिलेंगी जो आठ शाश्वत मूल्यों का प्रतीक हैं, जो दर्शाती हैं कि मंदिर ऐसे मूल्यों की नींव पर खड़ा है। उच्च जीवन भी ऐसे ही मूल्यों पर आधारित है। जिसमें पवित्रता की मूर्ति, दान की मूर्ति, शांति की मूर्ति, ज्ञान की मूर्ति, आस्था की मूर्ति, करुणा की मूर्ति, सत्य की मूर्ति और खुशी की मूर्ति बनी हुई है।