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Gujarat Election Result: 2017 में भाजपा से दूर रहे पाटीदार, अब दिया समर्थन तो पार्टी ने रचा इतिहास

Gujarat Election 2022 गुजरात में भाजपा ने अब तक के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया। वहीं कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। भाजपा की इस विशाल जीत के पीछे पाटीदार मतदाताओं का फिर से भाजपा को समर्थन देना है।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 09 Dec 2022 08:13 AM (IST)
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Gujarat Election 2022: भाजपा को मिला पाटीदारों का समर्थन
अहमदाबाद, पीटीआइ। Gujarat Assembly Election 2022: पाटीदार समुदाय, जिसके एक वर्ग ने गुजरात में आरक्षण आंदोलन की पृष्ठभूमि में 2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ मतदान किया था, 2022 के चुनावों में सत्ताधारी दल में लौट आया। इससे पार्टी को प्रभावशाली सामाजिक समूह के वर्चस्व वाली अधिकांश सीटों को जीतने में मदद मिली।

पाटीदार निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन

भाजपा ने राज्य के पाटीदार बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, लगभग हर सीट पर जीत हासिल की है, जिसमें पटेलों की अच्छी खासी आबादी है। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के लिए मतदान 1 और 5 दिसंबर को हुआ था और वोटों की गिनती 8 दिसंबर को हुई थी।

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भाजपा ने कांग्रेस से छीनी सौराष्ट्र की कई सीटें

सौराष्ट्र क्षेत्र में, कांग्रेस ने 2017 में मोरबी, टंकरा, धोराजी और अमरेली की पाटीदार बहुल सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, ये सभी विधानसभा क्षेत्र इस बार भाजपा की झोली में चले गए। वहीं, पाटीदार बहुल सूरत में, जहां आम आदमी पार्टी कुछ सीटों को हासिल करने के लिए समुदाय पर निर्भर थी, सामाजिक समूह ने और बड़े पैमाने पर सत्ताधारी दल का समर्थन किया।

कांग्रेस ने गंवाई उंझा सीट

भगवा संगठन ने वराछा रोड, कटारगाम और ओलपाड की पाटीदार सीटों पर बड़े अंतर से जीत हासिल की। उत्तर गुजरात में, कांग्रेस ने पांच साल पहले पाटीदार बहुल उंझा सीट जीती थी, लेकिन इस बार वह यहां भाजपा से हार गई।

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2021 में भूपेंद्र पटेल बने मुख्यमंत्री

भाजपा ने 2022 के चुनाव से पहले पटेल समुदाय तक पहुंच बनाई। सितंबर 2021 में पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री विजय रूपानी की जगह भूपेंद्र पटेल को नियुक्त किया। सत्तारूढ़ दल ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को कांग्रेस से अपने पाले में लाया और उन्हें वीरमगाम विधानसभा सीट से मैदान में उतारा, जहां से उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की। राज्य और केंद्रीय स्तर पर भाजपा का सबसे बड़ा कदम, जिसने समुदाय को खुश किया, वह 'उच्च जातियों' के बीच गरीबों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग या ईडब्ल्यूएस) को नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत कोटा देना रहा।

2017 में भाजपा को मिलीं 99 सीटें

2017 के चुनाव समुदाय के लिए ओबीसी का दर्जा हासिल करने के लिए शुरू किए गए हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले कोटा आंदोलन की छाया में लड़े गए थे। 2017 के चुनावों में, 182 में से 150 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद, भाजपा को सिर्फ 99 सीटें मिलीं। पाटीदार कोटा आंदोलन और भाजपा के खिलाफ हार्दिक पटेल के बवंडर अभियान की बदौलत विपक्षी कांग्रेस तब 77 सीटों पर विजयी हुई थी।

40 सीटों पर निर्णायक भूमिका में पाटीदार में

समुदाय के अनुमान के अनुसार, गुजरात में लगभग 40 सीटें ऐसी हैं, जहां पाटीदार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ये सीटें राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में फैली हुई हैं। हालांकि पटेलों की गुजरात की आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा है, 2017 में 44 पाटीदार विधायक चुने गए, जिसने गुजरात में चुनावी राजनीति पर अपना प्रभाव दिखाया।

सौराष्ट्र में कई सीटों पर पाटीदार निर्णायक भूमिका में 

सौराष्ट्र क्षेत्र में पाटीदार मतदाताओं की सबसे ज्यादा आबादी वाली कुछ सीटों में मोरबी, टंकारा, गोंडल, धोराजी, अमरेली, सावरकुंडला, जेतपुर, राजकोट पूर्व, राजकोट पश्चिम और राजकोट दक्षिण शामिल हैं, जबकि उत्तरी गुजरात में विजापुर, विसनगर, मेहसाणा और उंझा सीटों में पाटीदार मतदाताओं की काफी संख्या है। अहमदाबाद शहर की कम से कम पांच सीटों - घाटलोडिया, साबरमती, मणिनगर, निकोल और नरोदा को भी पटेल बहुल क्षेत्र माना जाता है।

सूरत जिले की कई सीटों में पाटीदारों का वर्चस्व

दक्षिण गुजरात में, सूरत जिले की कई सीटों को पाटीदारों का गढ़ माना जाता है, जिनमें वराछा, कामरेज, कटारगाम और सूरत उत्तर शामिल हैं। 2022 के चुनावों के लिए, भाजपा ने 41 पाटीदारों को टिकट दिया था, जो कांग्रेस की संख्या से एक अधिक था। आम आदमी पार्टी ने भी समुदाय से बड़ी संख्या में सदस्यों को टिकट दिया था।

भूपेंद्र पटेल ही होंगे मुख्यमंत्री

समुदाय को खुश रखने के लिए, भगवा संगठन ने यह भी घोषणा की थी कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को इस पद पर बनाए रखा जाएगा। चुनावों से पहले, जामनगर स्थित सिदसर उमियाधाम ट्रस्ट, जो कड़वा पाटीदार संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करता है, ने मांग की थी कि भाजपा कम से कम 50 पाटीदार उम्मीदवारों को मैदान में उतारे।

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