गुजरात हाई कोर्ट ने मां की महिमा का किया वर्णन, न्यायाधीश ने स्कंद पुराण का दिया उदाहरण
गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि किशोरी पर गर्भपात करने के लिए उसके माता-पिता भी दबाव नहीं बना सकते। दुष्कर्म पीड़िता किशोरी के मां के भाव को समझाते हुए न्यायाधीश समीर दवे ने कहा मां के आंचल जैसा सुरक्षा भाव कोई नहीं दे सकता है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश समीर दवे ने कहा कि भारतीय सम्यता में मां का दर्जा ऊंचा माना गया है।
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि किशोरी पर गर्भपात करने के लिए उसके माता-पिता भी दबाव नहीं बना सकते। दुष्कर्म पीड़िता किशोरी के मां के भाव को समझाते हुए न्यायाधीश समीर दवे ने कहा मां के आंचल जैसा सुरक्षा भाव कोई नहीं दे सकता है।
न्यायाधीश ने स्कंद पुराण का दिया उदाहरण
गुजरात उच्च न्यायालय में गांधीनगर जिले के दहगाम की एक 17 वर्ष की दुष्कर्म पीड़िता के गर्भ को खत्म करने के मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश समीर दवे ने कहा कि भारतीय सम्यता में मां का दर्जा ऊंचा माना गया है। स्कंद पुराण के श्लोक नास्ति मात्र समा छाया, नास्ति मात्र समा, का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मां के समान कोई जीवन नहीं दे सकता, मां की गांद में जो सुरक्षा भाव मिलता है वह कहीं नहीं मिलता।
न्यायालय ने दी गर्भपात की अनुमति
दुष्कर्म के आरोपी ने भी गर्भपात करने का विरोध करते हुए पीड़िता से विवाह की इच्छा जताई, लेकिन न्यायाधीश ने नाबालिग पीड़िता के माता-पिता के आग्रह को मानते हुए गांधीनगर के मेडिकल अधिकारियों की देखरेख में पीड़िता के गर्भ को नष्ट करने की स्वीकृति प्रदान करते हुए न्यायालय ने कहा कि यदि पीड़िता अपने गर्भ को नहीं रखना चाहती, तो न्यायालय उसे इस बात के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
बता दें कि कि सुनवाई के दौरान न्यायाधीश दवे इससे पहले मनु स्मृति का भी उल्लेख कर चुके हैं।