'हर बात पर जनहित याचिका लगानी जरूरी नहीं...', विदेशी छात्रों पर हमले मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने क्यों कही ये बात
गुजरात यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों पर हुए हमले मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी.माई की खंडपीठ ने घटना पर स्वत संज्ञान लेने से इनकार कर दिया और कहा कि पुलिस इस पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि शहर की हर घटना जनहित याचिका का मामला नहीं है।
पीटीआई, अहमदाबाद। गुजरात यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों पर हुए हमले मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उसे जांच एजेंसी नहीं बनाया जाना चाहिए और हर घटना जनहित याचिका का मामला नहीं है।
मामले में स्वत: संज्ञान लेने से हाई कोर्ट का इनकार
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी.माई की खंडपीठ ने घटना पर स्वत: संज्ञान लेने से इनकार कर दिया और कहा कि पुलिस इस पर विचार करेगी। जानकारी के अनुसार, हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की, जब एक वकील ने इस मुद्दे को स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में उठाने का अनुरोध किया था।
'शहर की हर घटना नहीं जनहित याचिका का मामला'
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने कहा कि हमारी कोशिश है कि न्याय हो, लेकिन हमें जांच एजेंसी न बनाएं। हम ऐसा नहीं कर रहे हैं, हम अब भी खुद को याद दिलाना चाहते हैं कि हम संवैधानिक अदालत हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर ऐसा मामला आता है तो हम निश्चित रूप से संज्ञान लेंगे, लेकिन यह उन मामलों में से एक नहीं है। उन्होंने कहा कि शहर की हर घटना जनहित याचिका का मामला नहीं है।
हम जांच अधिकारी नहीं हैं- हाई कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने कहा कि इस अदालत को पुलिस का जांचकर्ता न बनाएं। हम जांच अधिकारी नहीं हैं। इससे पहले वकील केआर कोष्टी ने कहा कि पुलिस ने एफआईआर में सभी धाराएं शामिल नहीं की हैं। इस पर कोर्ट ने उन्हें कानूनी कदम उठाने के लिए कहा।क्या है मामला?
पुलिस के अनुसार, शनिवार की रात लगभग दो दर्जन लोग कथित तौर पर अहमदाबाद की गुजरात विश्वविद्यालय के छात्रावास में घुस गए थे और उन्होंने नमाज पढ़ने वाले विदेशी छात्रों पर आपत्ति जताई। साथ ही उन पर हमला भी किया गया था। इस हमले में घायल दो विदेशी छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
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