Gujarat: GPSC ने महिला उम्मीदवार को इंटरव्यू के लिए बुलाया 300 किमी दूर, हाई कोर्ट ने आयोग को लगाई फटकार
गुजरात हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य लोक सेवा आयोग को पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता के लिए फटकार लगाई है। दरअसल महिला उम्मीदवार ने कहा था कि वह बच्चे को जन्म देने के दो दिन बाद इंटरव्यू के लिए उपस्थित होने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में कोर्ट ने जीपीएससी को नोटिस जारी कर 12 जनवरी तक जवाब मांगा है।
पीटीआई, अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य लोक सेवा आयोग को 'पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता' के लिए फटकार लगाई है। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मामले की सुनवाई के दौरान की जिसमें गुजरात लोक सेवा आयोग (GPSC) ने एक महिला उम्मीदवार के इंटरव्यू को स्थगति करने या कोई विकल्प प्रदान करने का अनुरोध ठुकरा दिया था।
दरअसल, महिला उम्मीदवार ने कहा था कि वह बच्चे को जन्म देने के दो दिन बाद इंटरव्यू के लिए उपस्थित होने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में कोर्ट ने जीपीएससी को नोटिस जारी कर 12 जनवरी तक जवाब मांगा है।
'याचिका में हस्तक्षेप की जरूरत'
न्यायमूर्ति निखिल कारियल की कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका में हस्तक्षेप की जरूरत है। कोर्ट ने आयोग को सहायक प्रबंधक (वित्त और लेखा) श्रेणी -2 के पद के लिए इंटरव्यू के परिणाम घोषित नहीं करने का भी निर्देश दिया, जिसके लिए महिला ने आवेदन किया था। कोर्ट ने कहा,याचिका में उठाई गई शिकायत सबसे पवित्र प्राकृतिक प्रक्रियाओं में से एक यानी बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया के प्रति प्रतिवादियों की पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता को दर्शाती है।
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असंभव होगा 300 किमी की यात्रा करना
बता दें कि याचिकाकर्ता ने 2020 में जीपीएससी द्वारा विज्ञापित पद पर चयन के लिए लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसको एक या दो जनवरी, 2024 को इंटरव्यू की तारीखों के बारे में 18 दिसंबर, 2023 को सूचित किया गया था। उसी दिन याचिकाकर्ता ने एक ईमेल के जरिये सूचित किया कि वह गर्भवती है और उसकी प्रसव तिथि जनवरी 2024 के पहले हफ्ते में है और उसके लिए गर्भावस्था के अंतिम चरण में लगभग 300 किमी दूर गांधीनगर की यात्रा करना असंभव होगा।क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता महिला ने 31 दिसंबर, 2023 को बच्चे को जन्म दिया और फिर जीपीएससी को एक ईमेल लिखा जिसमें याचिकाकर्ता ने बताया कि उसने अभी-अभी एक बच्चे को जन्म दिया है। याचिकाकर्ता महिला ने अनुरोध किया कि इंटरव्यू को या तो स्थगित कर दें या फिर कोई वैकल्पिक समाधान दिया जाए।जीपीएससी ने अपने जवाब में याचिकाकर्ता महिला को दो जनवरी को इंटरव्यू में मौजूद रहने के लिए कहा। साथ ही कहा कि उस तारीख के बाद कोई और समय नहीं दिया जाएगा।
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।कोर्ट ने क्या कुछ कहा?
हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि कोई की सुविचारित राय में प्रतिवादियों द्वारा ऐसा उत्तर पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता को दर्शाता है, विशेष रूप से तब जब यह स्पष्ट था कि याचिकाकर्ता जो एक मेधावी उम्मीदवार थी, बच्चे को जन्म देने के बाद तीसरे दिन इंटरव्यू में हिस्सा लेने में शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होगी। कोर्ट ने कहा,ऐसी स्थिति में जब उम्मीदवार ने उचित अनुरोध किया था तो यह जीपीएससी पर निर्भर था कि या तो इंटरव्यू को स्थगित कर दिया जाए या फिर ऑनलाइन इंटरव्यू जैसा वैकल्पिक समाधान दिया जाए, यदि यह नियमों के मुताबिक स्वीकार्य हो।