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Morbi Bridge Collapse: नगरपालिका ने नहीं जारी किया था फिटनेस प्रमाण पत्र, जानें किस मकसद से बनाया गया था पुल

गुजरात के मोरबी में केबल पुल टूटने से अब तक 141 लोगों की मौत हो चुकी है। यह पुल मरम्मत कार्य के बाद 5 दिन पहले फिर से खोला गया था। इसे नगरपालिका की ओर से अभी तक फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं मिला था।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 31 Oct 2022 10:24 AM (IST)
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Gujarat के मोरबी में बना सस्पेंशन ब्रिज टूटा (फोटो- पीटीआई)
मोरबी, पीटीआई। Morbi Bridge Collapse in Gujarat: गुजरात के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर बना केबल पुल गिरने से अब तक 141 लोगों की मौत हो चुकी है। इस पुल को एक निजी फर्म द्वारा सात महीने के मरम्मत कार्य के बाद पांच दिन पहले जनता के लिए दोबारा खोला गया था, लेकिन इसे नगरपालिका का 'फिटनेस प्रमाणपत्र' नहीं मिला था। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

रविवार शाम हुआ हादसा

गांधीनगर से करीब 300 किलोमीटर दूर स्थित मोरबी शहर में एक सदी से भी ज्यादा पुराना पुल रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे लोगों से खचाखच भर गया था। इसी दौरान हादसा हो गया। नेवी, एनडीआरएफ, वायुसेना और सेना राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है।

गुजराती नववर्ष पर खोला गया पुल

मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला ने कहा, 'पुल को संचालन और रखरखाव के लिए 15 साल के लिए ओरेवा कंपनी को दिया गया था। इस साल मार्च में, इसे नवीनीकरण के लिए जनता के लिए बंद कर दिया गया था। 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष दिवस पर नवीनीकरण के बाद इसे फिर से खोल दिया गया था।'

फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं जारी किया गया था

उन्होंने कहा, 'नवीनीकरण कार्य पूरा होने के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था। लेकिन स्थानीय नगरपालिका ने अभी तक (नवीनीकरण कार्य के बाद) कोई फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया था।'

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'इंजीनियरिंग चमत्कार' था पुल

जिला कलेक्ट्रेट वेबसाइट पर इसके विवरण के अनुसार, यह पुल एक 'इंजीनियरिंग चमत्कार' था। पुल को 'मोरबी के शासकों की प्रगतिशील और वैज्ञानिक प्रकृति' को प्रतिबिंबित करने के लिए बनाया गया था। पुल 1880 में पूरा हुआ था। इसे बनाने में 3.5 लाख रुपये लगे, जबकि मरम्मत में 2 करोड़ से भी ज्यादा खर्च हुए।

सर वाघजी ठाकोर ने पुल बनाने का लिया निर्णय

सर वाघजी ठाकोर, जिन्होंने 1922 तक मोरबी पर शासन किया था, औपनिवेशिक प्रभाव से प्रेरित थे और उन्होंने दरबारगढ़ पैलेस को नज़रबाग पैलेस (तत्कालीन राजघरानों के निवास) से जोड़ने के लिए, उस अवधि के एक 'कलात्मक और तकनीकी चमत्कार' पुल का निर्माण करने का निर्णय लिया।

233 मीटर तक फैला है पुल

कलेक्ट्रेट की वेबसाइट के अनुसार, पुल 1.25 मीटर चौड़ा और 233 मीटर तक फैला था। इस पुल को बनाने का मकसद यूरोप में उन दिनों उपलब्ध नवीनतम तकनीक का उपयोग करके मोरबी को एक विशिष्ट पहचान देने का था।

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