Exclusive: 1 साल की रिसर्च के बाद ऐसे बनाई भगवान की मूर्ति, पूरे परिसर को देखने में लगेंगे 3 घंटे से ज्यादा समय, ब्रह्मविहारी स्वामी ने बताई A to Z डिटेल
आज से साल 2024 की शुरुआत हो रही है। ये साल हर हिंदू के लिए यादगार रहेगा. क्योंकि इसी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा होगी। 14 फरवरी को मुस्लिम देश अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर (BAPS मंदिर) का उद्घाटन किया जाएगा। अबू धाबी में आस्था संस्कृति सद्भावना और सभ्यता का प्रतीक BAPS मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है।
किशन प्रजापति, अहमदाबाद। Hindu Temple In UAE : आज से साल 2024 की शुरुआत हो रही है। ये साल हर हिंदू के लिए यादगार रहेगा. क्योंकि, इसी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा होगी। 14 फरवरी को मुस्लिम देश अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर (BAPS मंदिर) का उद्घाटन किया जाएगा। अबू धाबी में आस्था, संस्कृति, सद्भावना और सभ्यता का प्रतीक BAPS मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है। भारत से लगभग ढाई हजार किलोमीटर दूर 27 एकड़ में हजारों भक्तों की मेहनत से और संतों के मार्गदर्शन में यह मंदिर आकार ले रहा है।
मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और BAPS प्रमुख महंत स्वामी द्वारा किया जाएगा। इस मंदिर और इसकी दिव्यता का अहसास कराने वाली खासियतों के बारे में ब्रह्मविहारी स्वामी ने गुजराती जागरण से खास बातचीत की थी। जिसका शब्दश: वर्णन हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।
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ये सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है: PM नरेंद्र मोदी
महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्ष 1997 में प्रमुख स्वामी महाराज ने अबू धाबी में एक मंदिर बनाने का सपना देखा था। जो अब 26 साल बाद आकार ले रहा है। इस मंदिर की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में रखी थी। 11 फरवरी 2018 को दुबई के ओपेरा हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण किया गया BAPS स्वामीनारायण मंदिर का मिनिएचर मॉडल अब वास्तविकता में आकार ले रहा है। उस वक्त पीएम मोदी ने कहा था, "यहां के क्राउन प्रिंस ने भारतीयों को मंदिर बनाने के लिए जगह दी है. यह सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है।" गौरतलब है कि ईश्वरचरण स्वामी और ब्रह्मविहारी स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 27 दिसंबर को अबू धाबी मंदिर का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था।"मंदिर के शिखर पर शास्त्रों की कलाकृति की है"
ब्रह्मविहारी स्वामी ने कहा, "मूल रूप से, पूरा मंदिर एक ही समदलिय मंदिर है। खजुराहो जैसे मंदिर के अनुसार पिछले 700 वर्षों से इस शैली में कोई मंदिर नहीं बनाया गया है। मण्डोवर इसका शिखर बन जाता है। दूसरे, इसके सात शिखर हैं और यदि आप इसके स्वरूप को देखें तो यह ऑलमोस्ट पिरामिडिकल यानी रोम्बिक आकार का है। हिंदू मूर्तिकला और शास्त्रों के अनुसार इस मंदिर का मानदंड अन्य मंदिरों के समान ही है। इस मंदिर में भगवान श्रीराम के शिखर पर संपूर्ण रामायण की कलाकृति की गई है। जिसमें अयोध्या, वनवास और फिर भगवान का अयोध्या वापस आना जैसे 40 प्रसंगों का वर्णन है। भगवान शिव के शिखर पर शिव पुराण की कलाकृति की गई है। इसी प्रकार राधा-कृष्ण और जगन्नाथजी के शिखर के बीच भागवतम्, महाभारत और जगन्नाथ जी की कथा की कलाकृति की गई है। इसके अलावा भगवान स्वामीनारायण के शिखर पर भगवान स्वामीनारायण की जीवनी का वर्णन किया गया है। भगवान तिरूपतिजी और पद्मावती का शिखर पर तिरूपतिजी के जीवन चरित्र की कलाकृति की गई है और भगवान अयप्पा के शिखर पर भगवान अयप्पा के जीवन चरित्र की कलाकृति की गई है।"
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