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G-20 के स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन पर Russia-Ukraine War का साया, रूस और चीन ने इस बात पर जताई आपत्ति

जी-20 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन में भी रूस-यूक्रेन युद्ध की छाया दिखाई दी। सदस्य देशों ने मंथन के बाद तैयार दस्तावेज पर सर्वसम्मति से अपनी सहमति दे दी। हालांकि रूस और चीन की आपत्तियों के चलते रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक पैराग्राफ को चेयर्स समरी (सारांस) के रूप में क्लासीफाइड कर दिया गया। पैराग्राफ में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sun, 20 Aug 2023 05:30 AM (IST)
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G-20 के स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन पर Russia-Ukraine War का साया (फोटो एएनआई)

राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। जी-20 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन में भी रूस-यूक्रेन युद्ध की छाया दिखाई दी। सदस्य देशों ने मंथन के बाद तैयार दस्तावेज पर सर्वसम्मति से अपनी सहमति दे दी।

हालांकि, रूस और चीन की आपत्तियों के चलते रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक पैराग्राफ को 'चेयर्स समरी' (सारांस) के रूप में क्लासीफाइड कर दिया गया। जबकि, शेष 24 पैराग्राफ को निर्णायक दस्तावेज का हिस्सा बनाया गया। बाकी दस्तावेज को सभी सदस्य देशों ने स्वीकार कर लिया।

पैराग्राफ में क्या था?

यूक्रेन युद्ध पर चेयर समरी घोषित किए गए पैराग्राफ में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। अधिकांश सदस्यों ने युद्ध की कड़ी निंदा की और कहा कि लोगों को इससे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ा है। विकास बाधित हो रहा है। महंगाई बढ़ने के साथ ही आपूर्ति भी बाधित हो रही है। दस्तावेज के अनुसार, ऊर्जा और खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है। वित्तीय स्थिरता का जोखिम भी बढ़ा है।

रूस ने पैराग्राफ 22 को किया खारिज

दस्तावेज के अनुसार, रूस ने पैराग्राफ 22 को इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह जी-20 जनादेश के अनुरूप नहीं है और पैराग्राफ की स्थिति को अध्यक्ष के सारांश के रूप में मान्यता देता है। रूस दस्तावेज के बाकी हिस्से से सहमत है। दस्तावेज के अनुसार, चीन का कहना था कि यह जी-20 सुरक्षा मुद्दों के लिए सही मंच नहीं है। इसी आधार पर उसने भू-राजनीतिक से जुड़ी सामग्री को शामिल करने का विरोध किया।

राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य समस्याओं का हो डिजिटल समाधान

मांडविया गांधी नगर के महात्मा मंदिर में आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में जी-20 देशों के 12 स्वास्थ्य मंत्री, 1500 हेल्थ विशेषज्ञों के बीच कोविड-19 महामारी जैसी स्थितियों से निपटने के लिए एक सुगठित, लचीली व समावेशी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सहमति बनी। ये स्वास्थ्य सुविधाएं ऐसी होंगी, जिसे छोटे व निम्न आय वाले देश भी वहन कर सकेंगे।

तीन दिवसीय सम्मेलन में बोले मनसुख मांडविया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं मंत्रियों को यह भी याद दिलाया कि भारत ने ही 2018 में जिनेवा में 71वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में डिजिटल स्वास्थ्य प्रस्ताव का नेतृत्व किया था। मांडविया ने राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य समस्याओं का डिजिटल समाधान की बात कही। उन्होंने स्वास्थ्य प्रणाली में लैंगिक समानता को ध्यान में रखते हुए महिलाओं और लड़कियों की आवश्यकताओं पर विशेष जोर दिया।

वहीं, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में स्थिर सरकार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है।

डिजिटल हेल्थ की पहल स्वास्थ्य सेवा में समानता को देता है बढ़ावा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने कहा कि वैश्विक स्तर पर डिजिटल हेल्थ की पहल स्वास्थ्य सेवा में समानता को बढ़ावा देता है। यह नैतिकता और नीति को उचित महत्व देते हुए एआई जैसे उपकरणों को शामिल कर हमारे प्रयासों को बढ़ाएगा। डिजिटल हेल्थ यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी पीछे न छूटे। स्वास्थ्य सेवाओं में आधुनिक तकनीक का उपयोग करने से इस क्षेत्र में सुरक्षित निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

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