Chandipura Virus: संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. चेतन त्रिवेदी ने बताया चांदीपुरा वायरस का ए टू जेड, जानिए कब खत्म होगा ये वायरस
गुजरात में चांदीपुरा वायरस लगातार का कहर लगातार जारी है। इस बिमारी का सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों पर नजर आ रहा है। इस वायरस के कारण अब तक कई बच्चों की मौत हो चुकी है। गुजराती जागरण टीम ने संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ. चेतन त्रिवेदी (वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ) से बातचीत की। जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया है कि चांदीपुरा वायरस कैसे होता है।
किशन प्रजापति, अहमदाबाद। Chandipura Virus Symptoms: पिछले कुछ दिनों से गुजरात में चांदीपुरा वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। इस वायरस से 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि अन्य बच्चे अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। ऐसे में चांदीपुरा वायरस को लेकर सभी के मन में काफी भ्रम है।
इस संबंध में गुजराती जागरण टीम ने संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ. चेतन त्रिवेदी (वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ) से बातचीत की। जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया है कि चांदीपुरा वायरस कैसे होता है, इसके लक्षणों को शुरुआत में कैसे पहचाना जा सकता है, इसका इलाज कैसे किया जाता है और यह वायरस कब खत्म होगा।
चांदीपुरा वायरस की पुष्टि होने में लगता है समय
इस मामले को कन्फर्म में समय लगता है। कमर से खून के नमूने लेकर जांच के लिए भेजने के बाद पुष्टि की जाती है। जिस तरह से पेटेंट दिख रहा है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये चांदीपुरा वायरस हो सकता है। चांदीपुरा वायरस 9 महीने से 14 साल तक के बच्चे को कभी भी हो सकता है। कुछ गांवों में इस वायरस के मामले उन इलाकों से ज्यादा आ रहे हैं जहां साफ-सफाई, गंदगी और कूड़ा-कचरा है। फिलहाल ये मामले पंचमहल, सांबरकांठा और अरवल्ली से आ रहे हैं।60 प्रतिशत मामलों में वायरस के बारे में नहीं मिलती जानकारी
इस वायरस में काफी बदलाव देखने को मिलते हैं। जैसे किसी मरीज को आज किसी तरह की कोई समस्या नहीं है लेकिन कल तेज बुखार है। जो 103-104 डिग्री होता है। बुखार के बाद उल्टी होती है और कुछ देर बाद बच्चा बेहोश हो जाता है। इसे एईएस कहा जाता है। अब एईएस वायरस के साथ-साथ गैर-वायरस के कारण भी हो सकते हैं, इसलिए इसे ऑटो एंटीबॉडी कहा जाता है। इसलिए अधिकांशतः यही कहा जाता है कि यह वायरस के कारण होता है। 60 प्रतिशत मामलों में, यह एईएस वायरस का पता नहीं लगाएगा।
बिहार में फैला था लीची वायरस
इससे पहले बिहार में लीची वायरस फैला था। यह वायरस बुखार, दस्त-उल्टी, ऐंठन और बेहोशी जैसे लक्षण भी पैदा करता है। 24 घंटे के अंदर मरीज का लीवर और किडनी का पैरामीटर खराब हो जाता है। लीवर, किडनी और हृदय प्रभावित होते हैं। यानी अगर किसी बच्चे को तेज बुखार, दस्त, उल्टी, ऐंठन और बेहोशी हो, दस्त के एक या दो दौर में बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाए तो हमें तुरंत इलाज शुरू करना होगा।रेत मक्खी से वायरस शरीर में करता है प्रवेश
2010 मे आणंद-खेडा मे नए वायरस के मामले बहोत आए थे। एसा दो-चार साल मे एक बार आता है। हाल के दौर मे सोशल मीडिया की वजह से पता चलता है कि नए केस मिले हैं। जब रेत मक्खी का समय पूरा हो जाएगा तब चांदीपुरा वायरस भी चला जाएगा।
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