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Exclusive: '30 साल पहले तैयार हुआ था राम मंदिर का मॉडल, आज सपना हो रहा साकार', शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा से खास बातचीत

अगले साल 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। करोड़ों लोगों का सपना साकार होने वाला है। आज से 30 साल पहले राम मंदिर का डिजाइन तैयार हुआ था और उसी डिजाइन के आधार पर राम मंदिर का भव्य निर्माण हो रहा है। गुजराती जागरण की टीम ने डिजाइन बनाने वाले चंद्रकांत सोमपुरा से खास बातचीत की।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Sat, 23 Dec 2023 06:01 PM (IST)
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राम मंदिर का डिजाइन बनाने वाले चंद्रकांत सोमपुरा से खास बातचीत।

किशन प्रजापति, अहमदाबाद। अयोध्या में राम मंदिर का पूरा देश को वर्षों से बेसब्री से इंतजार था, उसकी प्राण-प्रतिष्ठा होने में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। सालों की जद्दोजहद के बाद अयोध्या में राम मंदिर का काम अपने अंतिम चरण में है। 30-35 साल पहले मूल रूप से पालीताणा और अब अहमदाबाद के रहने वाले चंद्रकांत सोमपुरा ने राम मंदिर निर्माण आंदोलन के दौरान VHP अध्यक्ष अशोक सिंघल के अनुरोध पर राम मंदिर का डिजाइन बनाया था। कई वर्षों बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चंद्रकांत सोमपुरा के बनाए डिजाइन के मुताबिक अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है। ये हरेक देशवासीओं के लिए गर्व की बात है।

गुजराती जागरण की टीम ने चंद्रकांत सोमपुरा से खास बातचीत की। जिसमें उन्होंने मंदिर का डिजाइन कैसे और कब बनाया गया और मंदिर के गर्भगृह, भगवान की मूर्ति, कलाकृति और निर्माण की विशेषताएं क्या हैं, इसके बारे में विस्तृत जानकारी साझा की। जिसे यहां शब्दशः प्रस्तुत किया गया है।

'30-35 साल पहले अशोक सिंघल ने राम मंदिर का डिजाइन तैयार करने को कहा था'

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा कि 30-35 साल पहले VHP अध्यक्ष अशोक सिंघल ने मुझसे राम मंदिर का डिजाइन तैयार करने को कहा था। उस वक्त VHP ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने का फैसला किया था। डी डी बिरला ने कहा कि आप अशोक सिंघल के साथ अयोध्या जाएं और जगह देखकर मंदिर का डिजाइन तैयार करें। इसके बाद मैं अशोक सिंघल के साथ अयोध्या गया और उसके बाद उन्होंने मुझे बताया कि वह मंदिर कैसे बनाना चाहते हैं।

'पहली बार कदम गिनकर मापी राम मंदिर की जगह'

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, इसके बाद जहां ढांचा था वहां सरकार ने हमें टेप से माप लेन से इनकार कर दिया। इसलिए हमने कदम गिनकर माप लिया था। माप लेने के बाद हम लोग बाहर आये और प्रभु श्रीराम की कृपा से जब नक्शा आया तो वास्तविक माप हमारे द्वारा कदम से लिए गये माप से कुछ ही फुट आगे-पीछे था। फिर हमने उसके अनुसार राम मंदिर के दो या तीन प्लान बनाए। जिसमें से अशोक सिंघल ने एक प्लान चुना और मॉडल बनाने को कहा। मॉडल बनाने के बाद सभी को यह पसंद आया और फिर हरिद्वार के कुंभ मेले में जब मॉडल को सभी साधु-संतों के सामने रखा गया तो सभी को इस मंदिर का डिजाइन पसंद आया।

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'राम मंदिर में एक गर्भगृह और पांच मंडप बनाए गए हैं'

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, पहले मंदिर में गर्भगृह था। सामने गुड मंडप और नृत्य मंडप थे। अत: सामान्य मंदिर का निर्माण इसी प्रकार किया जाता है। इस तरह नए मंदिर का मॉडल तैयार किया गया। जब यह निर्णय लिया गया कि इस मंदिर को बड़ा बनाना है तो मैंने मंदिर के सामने एक मंडप बढ़ाया और पीछे दो मंडप बनाये जिससे कुल मिलाकर पांच मंडप और एक गर्भगृह बना। ये सब हुआ है नगरशैली में। श्रीराम मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय है। अर्थात भगवान विष्णु के आठ अवतार हैं, तदनुसार आठ दिशाएं हैं। जिसके कारण गर्भगृह को अष्टकोणीय बनाया गया है। इसके शीर्ष पर शिखर, मंदिर, गुड मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप और प्रार्थना मंडप भी नागर शैली में बने हैं।

नगरशैली में शास्त्रों के अनुसार बनाया गया मंदिर

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, हम कई पीढ़ियों से मंदिर का निर्माण कर रहे हैं। सोमनाथ मंदिर मेरे दादाजी ने बनवाया था, तो हम जानते हैं कि मंदिर कैसे बनता है और अगर विष्णुजी का मंदिर है तो वहां क्या होना चाहिए, अगर शिवजी का मंदिर है तो वहां क्या होना चाहिए। मेरे दादाजी ने मंदिर शास्त्र पर 16 पुस्तकें लिखी हैं, जिनके अनुसार हम मंदिर का निर्माण करते हैं।

L&T को काम देने का फैसला पहले से ही था

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, जब अशोक सिंघल थे तब L&T के निदेशक ने कहा था कि हम इस मंदिर का काम करना चाहते हैं। इसके बाद अशोक सिंघल ने कहा कि काम शुरू होने के बाद हम L&T से काम कराएंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब काम शुरू हुआ तो L&T को मंदिर बनाने का ठेका दिया गया। L&T हमारे निर्देशानुसार हमारी प्लान के मुताबिक काम करती है। मेरा बेटा हर 15 दिन में वहां जाता है। हमारे तीन-चार आदमी वहां मौजूद हैं। इसके अलावा हम काम करने के लिए जरूरी सुझाव भी देते हैं। इस प्रकार मंदिर का कार्य हो रहा है।

વી઼ડિયોઃ 30 વર્ષ પહેલાં VHP પ્રમુખના કહેવાથી બનાવ્યું હતું મોડેલ, આજે એ જ ડિઝાઈન મુજબ 2000 કરોડથી વધુના ખર્ચે અયોધ્યામાં બની રહ્યું છે ભવ્ય મંદિર #ayodhya #AyodhyaDham #ayodhyarammandir #AyodhyaRamTemple #ayodhyarammandirnirman Posted by Gujarati Jagran on Friday, 22 December 2023

2000 करोड़ से ज्यादा की लागत से तैयार होगा मंदिर और कॉरिडोर

चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया कि पहले मंदिर का डिजाइन बनाते समय तय हुआ था कि पूरा मंदिर 400 करोड़ रुपये में बनेगा। इसके बाद मंदिर का विस्तार किया गया, कोरिडोर बनाने का निर्णय लिया गया, परिसर में धर्मशाला बनाने का निर्णय लिया गया और अन्य केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया, तो मेरे अनुसार, खर्च 2000 करोड़ रुपये से अधिक होगा।

भक्त गर्भगृह में विराजित श्री राम भगवान के दर्शन 25 फीट की दूरी से कर सकेंगे

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा कि हर मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए बड़ी कतार लगती है। कुछ मंदिरों में तो भगवान के दर्शन करने में एक दिन, यहां तक ​​कि दो दिन भी लग जाते हैं, लेकिन हमने कोशिश की है कि अगर मंदिर में प्रवेश के समय लंबी लाइनें भी लगी हों तो दो-तीन घंटे में अलग-अलग लाइनों से भगवान के दर्शन आसानी से हो जाएंगे। प्रत्येक भक्त मंडप से 25 फीट की दूरी से गर्भगृह में विराजमान भगवान के दर्शन कर सकेगा।

मंदिर का निर्माण बंसी पहाड़पुर के पत्थर से हुआ

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, मंदिर के निर्माण में बंसी पहाड़पुर के पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। यह पत्थर गुलाबी रंग का है और सेन्ड स्टोन है। चूंकि सेन्ड स्टोन में सबसे अधिक मजबूती होती है, इसलिए मंदिर का निर्माण इसी पत्थर से कराने का निर्णय पहले से ही लिया गया था। कई लोगों ने सुझाव दिया कि इतना बड़ा मंदिर संगमरमर के पत्थर से बनाया जा सकता है, तो हमने कहा कि अशोक सिंघल के रहते बंसी पहाड़पुर का पत्थर का काम बर्बाद हो जाएगा। अत: यह पत्थर का बना होना चाहिए। इसके अलावा गर्भगृह अन्य पत्थरों से भी बनाया जा सकता है। इसके बाद सभी ने निर्णय लिया और बंसी पहाड़पुर में पत्थर का मंदिर बनाया जा रहा है।

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गर्भगृह में श्री राम की मूर्ति की ऊंचाई सवा पांच फीट होगी

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, अगले साल 22 जनवरी को ग्राउंड फ्लोर में बने मुख्य मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। भगवान श्रीराम की मूर्ति की ऊंचाई सवा पांच फीट होगी। इसके के बाद गणपति और हनुमानजी की मूर्ति स्थापित की जाएगी। मंदिर के सामने गरुड़जी की मूर्ति होगी। मंदिर के ऊपर दूसरी मंजिल पर जब प्राण प्रतिष्ठा होगी तो वहां राम दरबार की मूर्ति स्थापित की जाएगी। जिसमें भगवान श्रीराम-सीता, लक्ष्मणजी और हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी।

पूरा मंदिर परिसर अगले दो वर्षों में पूरा हो जाएगा

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, श्री राम भगवान मूर्ति प्रतिष्ठा के बाद मंदिर को पूरा करने में एक साल और कॉरिडोर को पूरा करने में एक साल लगेगा। इस प्रकार, अगले दो वर्षों में राम मंदिर और गलियारा तैयार हो जाएगा।

मंदिर के 250 स्तंभों में से प्रत्येक में 16 देवताओं की मूर्तियां

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, हर मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियां होती हैं। मंदिर में विष्णु के दस अवतार, 64 योगी, 52 शक्तिपीठ और सूर्य भगवद के 12 रूप हैं। प्रत्येक स्तंभ में लगभग 16-16 मूर्तियां हैं। मंदिर में ऐसे 250 खंभे हैं, जिनमें से प्रत्येक में भगवान की एक मूर्ति है।

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, पीएम मोदी साहब इसमें सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं, लेकिन PMO के नृपेंद्र मिश्रा से बातचीत होती है। इसके अलावा जब भूमि पूजन हुआ तो योगीजी से भी मुलाकात हुई थी। लेकिन मंदिर के फैसले को लेकर उनसे कोई मुलाकात नहीं हुई।

मंदिर के चारों ओर प्लिन्थ पर रामायण की नक्कासी

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा कि मंदिर की प्लीन्थ 3 फीट ऊंची है और मंदिर के घूमते 250-300 फीट तक है। जिसमें भगवान के जन्म सहित संपूर्ण रामायण का वर्णन किया गया है। यह अभी पूरा नहीं होगा अगले दो साल में बनकर तैयार हो जायेगा।

तीन मूर्तिकार तैयार कर रहे हैं भगवान राम की मूर्ति

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा कि फिलहाल तीन कलाकार अयोध्या में तीन मूर्तियां बना रहे हैं। एक है ब्लैक, दूसरा है जेड ब्लैक और एक है व्हाइट। ये तीनों मूर्तियां अगले 29 तारीख को तैयार हो जाएंगी। मंदिर ट्रस्ट तय करेगा कि इनमें से किसी मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया जाएगा।

30 साल पहले बनी डिजाइन के मुताबिक मंदिर बनने पर आपको कैसा लग रहा है?

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, पहले छोटा सा मंदिर था, आज सबसे बड़ा मंदिर बन रहा है। सवाल यह है कि क्या कोई ऐसा मंदिर बनाएगा या नहीं? मंदिर का परिसर भी बहुत बड़ा है। इस मंदिर का कॉरिडोर भी बहुत बड़ा है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह भगवान श्री राम की जन्मभूमि है। नरसिम्हारावजी ने मुझसे कहा कि झगड़ा चल रहा है। अपना ढांचा रखें और मंदिर 20-25 फीट की दूरी पर बनाएं। VHP से बातचीत के बाद उन्होंने कहा कि भगवान का जन्म 6x3 खटियां पर हुआ है। इसलिए अगर हमें वह जगह नहीं मिली तो यहां या विदेश में मंदिर बनाने का कोई मतलब नहीं है। अगर राम जन्मभूमि मंदिर यहां नहीं बनेगा तो कहीं भी नहीं बनेगा। इसके बाद इसे टाल दिया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज वहां मंदिर बन रहा है, यह हर हिंदू के लिए गर्व की बात है।

एक बात कहनी है कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि मेरे दादाजी ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया। इसके बाद हमने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, अम्बाजी और पावागढ़ मंदिर भी बनाये। यहीं पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। यह मेरे और मेरे परिवार के लिए गर्व की बात है कि हमें मंदिर निर्माण का काम मिला।

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