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Exclusive Interview: 16 साल की उम्र में राम मंदिर निर्माण आंदोलन में नरेंद्र मोदी से जुड़े, वड़ताल के नौतम स्वामी ने बताई दिलचस्प बातें

जिस शुभ घड़ी का हर हिंदू को सदियों से इंतजार था वह अब बस कुछ ही दिन दूर है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था और विश्वास के प्रतीक भव्य और दिव्य राम मंदिर की 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों प्राण-प्रतिष्ठा होगी। इससे पहले उस वक्त इस आंदोलन की हर घटना के गवाह रहे वडताल स्वामीनारायण मंदिर के नौतम स्वामी से गुजराती जागरण ने खास बातचीत की है।

By Versha Singh Edited By: Versha Singh Updated: Wed, 17 Jan 2024 01:25 PM (IST)
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राम मंदिर को लेकर वड़ताल के नौतम स्वामी ने बताई दिलचस्प बातें
किशन प्रजापति, अहमदाबाद। जिस शुभ घड़ी का हर हिंदू को सदियों से इंतजार था वह अब बस कुछ ही दिन दूर है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था और विश्वास के प्रतीक भव्य और दिव्य राम मंदिर की 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों प्राण-प्रतिष्ठा होगी। पिछले 500 वर्षों से हिंदुओं के संघर्ष और आंदोलन के परिणामस्वरूप अयोध्या में वर्तमान राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण हुआ है। जिसमें विश्व हिंदू परिषद, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राम जन्मभूमि आंदोलन बेहद अहम था।

श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में गुजरात के कई साधु संत और नेता भी शामिल हुए थे। उस वक्त इस आंदोलन की हर घटना के गवाह रहे वडताल स्वामीनारायण मंदिर के नौतम स्वामी से गुजराती जागरण (दैनिक जागरण)ने खास बातचीत की। जिसमें उन्होंने श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में घटी यादगार घटना का जिक्र किया। जिसे हम यहां शब्दशः प्रस्तुत कर रहे हैं।

16 साल की उम्र में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ा- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बारे में बात करते हुए कहा, "मैं 16 साल का था जब विश्व हिंदू परिषद ने श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन शुरू किया था। पहली राम जानकी रथ यात्रा विश्व हिंदू परिषद ने गुजरात में निकाली थी। राम जानकी रथ यात्रा को बालासिनोर के वीरपुर में रोका गया था। तब मुझे पहली बार VHP द्वारा आयोजित हिंदू जनजागृति सभा में भाग लेना था और पथराव किया गया था।

इस बैठक के लिए, मैं और वडताल के शास्त्री सत्यनारायण दास जी एक रिक्शा में वीरपुर गए थे और बैठक में मैंने पहली बार हिंदू धर्म के बारे में बात की। इस बैठक में अहमदाबाद गीता मंदिर के तत्कालीन महंत मंगलानंद जी महाराज, के. का. शास्त्री जी और संतराम मंदिर के महंत रामदास जी महाराज का आगमन हुआ। इस प्रकार श्रीराम जानकी रथ यात्रा में मेरी सक्रिय भूमिका शुरू हुई। विश्व हिंदू परिषद में मेरा प्रवेश हुआ था।"

शिला पूजन भी करते थे और हिंदुत्व प्रवचन भी देते थे- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने आगे कहा,"इसके बाद दूसरी यात्रा थी राम ज्योति यात्रा। राम मंदिर निर्माण के लिए श्री राम शिला पूजन की यात्रा, जिसमें मुझे गांव में घर-घर जाकर राम शिला पूजन करना था।" अक्सर एक दिन में चार से पांच राम शिला पूजन किए जाते थे। मैं अहमदाबाद गीता मंदिर के महंत मंगलानंद जी महाराज, संतराम मंदिर के महंत रामदास जी महाराज, आचार्य अविचलदास जी महाराज, पालनपुर के सीताराम जी महाराज, समीना शिवानंद जी महाराज, सूरत के अमरीशानंद जी महाराज, बोटाद के स्वामी आत्मानंद जी सरस्वती जी जैसे सभी संत मेरे साथ थे।

यह मूल और सक्रिय संत थे। यह विश्व हिंदू परिषद द्वारा हिंदू जन जागरण का कार्य था। इस कार्य में हम शिला पूजन भी करते थे और हिंदुत्व प्रवचन भी देते थे। उस समय कांग्रेस की सरकार थी जो हिंदुओं के प्रति नकारात्मक सोच रखती थी, हम लोगों के सामने प्रवचन में यह सब बातें करते थे। उस समय आरएसएस, बीजेपी और वीएचपी एक साथ हिंदू जन जागरण का आयोजन कर रहे थे।"

उस समय विश्व हिंदू परिषद हिंदू जन जागरण के लिए माइक्रो प्लानिंग बना रही थी- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने कहा,"डॉ. तोगड़िया (जो उस समय VHP के महासचिव थे) उस समय विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख नेताओं में से थे। के. का. शास्त्री, दाह्याभाई शास्त्री और नटुभाई ठाकर संभागवार सौराष्ट्र, दक्षिण , मध्य और उत्तर VHP की प्रमुख शासकीय शक्तियों में से थे। नलिन छोटा पंड्या जैसे कार्यकर्ता कार्य कर रहे थे। नीति क्षेत्र की बजाय सेन्ट्रल से तय होती थी, विशेषकर अशोक सिंघल , आचार्य गिरिराज किशोर जी के नेतृत्व में विश्व हिंदू परिषद का नेतृत्व हुआ था माइक्रो-प्लानिंग। राम मंदिर निर्माण यात्रा में एक भी हिंदू जन जागरण के लिए नहीं छूटे इसकी प्लानिंग विश्व हिंदू परिषद ने की थी।"

शिला पूजन के लिए तारापुर जाते समय मस्जिद से हम पर पथराव किया गया- स्वामी नौतम

श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की यादगार घटनाओं के बारे में नौतम स्वीम ने कहा,"मुझे याद है जब श्रीराम शिला पूजन का अवसर था तो खेड़ा, आनंद, वडोदरा, भरूच, गोधरा, अहमदाबाद (कर्णावती) और राजकोट में भूपेन्द्र रोड पर स्वामीनारायण मंदिर में श्रीराम शिला का पूजन किया गया था। श्री राम शिला पूजन खेड़ा, खंभात, पेटलाड, सरसा, नडियाद, महमदाबाद और उमरेठ जैसे तालुकाओं और गांवों में गए। हम राम शिला की पूजा करने के लिए तारापुर गए।

संतराम मंदिर के महंत रामदास जी महाराज और मैं ट्रैक्टर में बैठे थे जबकि पीछे सभी लड़के नारे लगा रहे थे। सौगंध राम की खाते है हम मंदिर वहीं बनाएंगे... राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे..., जिस हिंदू का खून ना खोला है वो खून नहीं वो पानी है..., अयोध्या तो झांकी है काशी मथुरा बाकी है... के नारे लगाए जाने के बीच एक मस्जिद से पथराव हुआ। जीस में मैं और रामदास जी महाराज बडे टेबल के नीचे बचने के लिए बैठ गए थे। हालांकि, भगवान की दया से, हमें और किसी भी कार्यकर्ता को चोट नहीं आई। इसके बाद, सभी लोग नडियाद में संतराम मंदिर में उपवास पर बैठ गए। इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने पथराव करने वालों को गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा विसलोली गांव में भी पथराव हुआ।"

बदनपुर में ग्रामीणों ने शिलापूजन के दौरान मेटाडोर भरकर की पुष्प वर्षा- स्वामी नौतम

नौतम स्वीम ने कहा,"हम रात 11 बजे श्री राम शिला पूजन के लिए पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के गांव बदनपुर गए थे। हम मेटाडोर में गए और पूरे गांव ने हमारा भव्य स्वागत किया। श्री राम शिला पूजन करने के बाद जब हम निकले तो पूरा गांव जय श्री राम के नारे लगाते हुए छोडने आया था। इसके बाद हम राम शिला की पूजा करने गोधरा के लालबाग गए। यह एक ऐतिहासिक बैठक थी।

उस समय शंकर सिंह वाघेला बीजेपी में थे और बैठक में भी मौजूद थे। 500 साल पहले विक्रमादित्य द्वारा निर्मित मंदिर को बाबर ने तोड़ दिया था और देश में उसका पुनर्निर्माण किया गया। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन हिंदू जन जागरण पैदा करने और देश में हिंदुओं के प्रति गलत त्रासदियों को दूर करने के लिए था।"

आसिफ अहमदाबादी ने मुझ पर चलाई थी गोली- स्वामी नौतम- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने सूरत रैली में हुई फायरिंग को लेकर कहा,"हमने सूरत में रैली की थी। उस रैली में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष काशीराम राणा और अब गुजरात बीजेपी के सीआर पाटिल भी थे। मैं रैली का नेतृत्व कर रहा था। जिस दिन बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी, उसी दिन हम यात्रा कर रहे थे। उस दिन आसिफ अहमदाबादी नाम के एक लड़के ने मुझ पर दो रिवॉल्वर से गोलियां चलाईं और मैं थोड़ा नीचे हो गया। वह गोली मेरे पीछे एक पैदल यात्री को लग गई थी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वहां जीतू तिवारी कारी PSI थे, जो आखिरी में सेंट्रल IB में थे। उसने तुरंत आसिफ को दोनों हाथों और पैरों से पकड़ लिया। इसके बाद जिला अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई।"

मस्जिद से मारा हुआ एक पत्थर मेरी आँख पर लगा- स्वामी नौतम- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने आगे कहा, "इसी बीच भारी पथराव हुआ। उसी वक्त मस्जिद से आया एक पत्थर मेरी आंख पर लगा। मैं बेहोश हो गया और मुझे चार टांके लगे। फिर मुझे वहां से एसीपी सुधीर कुमार सिन्हाकी गाड़ी से सिविल हॉस्पिटल ले जाया गया। फिर ठीक होने के बाद मुझे रामपुरा मंदिर ले जाया गया। उस वक्त अक्सर ऐसा होता था।"

नरेंद्रभाई मोदी ने की थी श्रीराम जन्मभूमि मंदिर यात्रा की माइक्रो प्लानिंग- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने कहा, "आडवाणी जी द्वारा निकाली गई रथ यात्रा ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर यात्रा के लिए सबसे बड़ा आंदोलन प्रदान किया। इसकी माइक्रो प्लानिंग नरेंद्र भाई मोदी ने की थी। मुझे याद है कि मैं मारुति जिप्सी में शंकरसिंह वाघेला के साथ नडियाद से करमसद गया था। मंच पर आडवाणी जी ने भाषण दिया। मैंने जागो हिंदू.., रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे... जैसे नारे लगाए।"

शिलान्यास में जाते समय गिरफ्तार होने के बाद 7 दिन जेल में बिताए- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने राम मंदिर निर्माण यात्रा के दौरान जेलवास सहने के बारे में कहा, "जब 1992 में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा हटाया गया था, तब हमने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। इससे पहले 1990 में श्रीराम मंदिर के राम शिला पूजन के बाद , VHP ने आधारशिला रखने के कार्यक्रम की घोषणा की थी। जिसके लिऐ हम नडियाद से साबरमती एक्सप्रेस में जा रहे थे। मेरे साथ रामदास जी महाराज, कृष्णदास जी महाराज और अन्य संत और कार्यकर्ता भी थे। हमें आगरा के पास टूंडला में गिरफ्तार कर लिया गया। हमें टूंडला सेंट्रल में सात दिनों तक जेल में रखा और फिर हम सबको रिहा कर दिया। उस समय मुलायम सिंह का शासन था। उन्होंने कहा था कि परिंदा भी नहीं रख सके और हम  शिलान्यास तक नहीं पहुंच सके।" 

समय हिंदुत्व की अलख जगाने वाले नेता के तौर पर सरकार ने मुझे प्रोटेक्शन दिया था- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने कहा, "मुलायम सिंह उस समय अयोध्या में मुख्यमंत्री थे। उन्होंने बड़ी संख्या में कारसेवकों की हत्या की थी। उनके शवों को रेत की बोरियों से बांधकर सरयू नदी में फेंक दिया गया था। इन कारसेवकों का अस्थि कुंभ कार्यक्रम सभी जगह आयोजित किया गया था। इसमें मैं और स्वामी विज्ञानानंद जी पूरे छोटा उदयपुर जिले में शामिल हुए थे। महाराज ने यात्रा की थी।

मुझे याद है कि 1990 में भरूच में सोनेरी महल क्षेत्र में मैंने कारसेवकों के अस्थि कुंभ कार्यक्रम का समापन समारोह किया था। जिसमें हम नर्मदा नदी में एक किलोमीटर अंदर गए और कारसेवकों के अस्थि कुंभ को विसर्जित किया था। उस समय हिंदुत्व की अलख जगाने वाले नेता के तौर पर सरकार ने मुझे प्रोटेक्शन दिया था।"

नरेंद्र भाई मोदी ने भी कहा कि स्वामीजी, आप भी पहले प्रवचन दीजिए- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने कहा, "जब नरेंद्र भाई मोदी ने कश्मीर यात्रा का आयोजन किया था, तब मुरली मनोहर जोशी राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उस समय जब आनंदीबेन पटेल सूरत में प्रवचन देने के लिए खड़ी हुईं, तो सभी ने आग्रह किया कि नौतम स्वामी द्वारा प्रवचन दिया जाना चाहिए। उस समय नरेंद्रभाई मोदी ने भी कहा, स्वामीजी, आप भी पहले प्रवचन करे। मुझे अच्छी तरह याद है जब आडवाणी जी उससे पहले रथयात्रा पर निकले थे, मैं करमसद तक यात्रा में शामिल हुआ था। वहां मैं अविचलदास जी महाराज, रामदास जी महाराज, हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी मंच पर थे। इस यात्रा का आयोजन नरेंद्र भाई ने किया था।"

देश में VHP पर प्रतिबंध के बाद अशोक सिंघल जी को 11 लाख रुपये दिए गए थे- स्वामी नौतम

इस बारे में नौतम स्वामी ने कहा, "इसके बाद 1992 में जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई तो पूरे देश में VHP  पर प्रतिबंध लगा दिया गया और बैंक खाते जब्त कर लिए गए। उस वक्त मैं रामपुरा मंदिर में कोठारी था। मैंने अशोक जी सिंघल को लैंडलाइन पर फोन किया और कहा कि इतना बड़ा आंदोलन कैसे चलाओगे? उन्होंने कहा- संतों के आशीर्वाद से चलेगा। तो मैंने कहा हम भी आशीर्वाद देना चाहते हैं। आप सूरत आइए हम आपकी आर्थिक मदद करना चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा नौतम स्वामीजी मैं आऊंगा। उसके बाद अशोक जी आए और उसी समय मैंने अशोक सिंघल को फोन किया और रामपुर मंदिर में कार्यालय शुरू किया और 11 लाख 11 हजार 111 रुपये का कैश दिया। इस तरह मेरी सक्रिय भूमिका रही गुजरात के जागृत संत। संतों सहित।"

खुशी इस बात की है कि श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर बनकर तैयार हो गया है- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने कहा, "मुझे खुशी है कि मैं भारत की स्वतंत्रता के बाद के महत्वपूर्ण आंदोलन में भाग ले सका। मुझे विशेष खुशी है कि श्री राम के जन्मस्थान पर एक मंदिर बनकर तैयार हो गया है। इस मंदिर के लिए, राम शिलाओं को एकत्र किया गया था। गुजरात और अहमदाबाद में बापूनगर के विजय चौक जब इसे लाया गया, तो लोगों को जबरदस्त दर्शन हुए, आचार्य धर्मेंद्र जी, अशोक सिंघल जी, उमा भारती जी और साध्वी साध्वी ऋतंभरा सहित बड़ी भीड़ में मैं सबसे कम उम्र का साधु था। मंच से मैंने नारे भी लगाए। जैसे रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे।"

नरेंद्र मोदी साहब के नेतृत्व में हो रहा है जनजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने कहा, "मेरा मानना है कि आने वाली सदियों तक श्रीराम मंदिर पर ध्वजा फहराती रहेगी, इसलिए हिंदू धर्म की शताब्दी शुरू होगी। हिंदू धर्म शांति का प्रतीक है, हिंदू धर्म विकास का पर्याय है, हिंदू धर्म सद्भाव का पर्याय है। यदि हिंदू धर्म है, तो यह देश एकजुट और अविभाज्य है। हिंदू धर्म भारत की नींव है। यह भारत के करोड़ों हिंदुओं के बीच भगवान श्री राम की आस्था की एकता और अखंडता का प्रतीक बन रहा है। जन्मभूमि पर मंदिर नरेंद्र मोदी साहब के नेतृत्व में बन रहा है। नरेंद्र भाई के बिना कभी यह संभव नहीं होता। अमित भाई शाह के बिना यह संभव नहीं था। आने वाले सैकड़ों वर्षों तक श्रीराम मंदिर सूर्य और यश की गाथा गाएगा। महान श्रीराम मंदिर वह है जहां खून की एक भी बूंद बहाए बिना अदालत द्वारा फैसला सुनाया गया है।"

कई संतों और महंतों ने श्री राम जन्मभूमि का खुले दिल से समर्थन किया- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने कहा, "मुझे श्री राम जन्मभूमि के उद्घाटन का निमंत्रण मिला है। तब मुझे कई संतों की याद आती है। दक्षिण गुजरात के अंदर स्वामी अमरीशानंद महाराज, सूरत के राम विलास दास जी, जयारामदास जी महाराज, अहमदाबाद कर्णावती के रामावतारदास जी महाराज, पालनपुर के सीतारामदास जी महाराज, अमरदास खारवाला, स्वामी आत्माराम, सरस्वती जी सहित कई संतों ने इसमें बलिदान दिया है।

हमारे वडताल मंदिर का एक छोटा सा पार्षद मेरे साथ आता था। 1989 में जब मैं लालबाग, गोधरा में रामशिला पूजन के लिए गया था, तो राजू भगत मेरे साथ थे। एक छोटू भगत मुझे याद है कि वह कलोल से थे। उन्होंने इसमें बहुत सक्रिय भूमिका निभाई थी। कई संतों और महंतों ने पूरे दिल से श्री राम जन्मभूमि का समर्थन किया था।"

राम मंदिर का झंडा फहराने पर कारसेवकों को मिलेगी सच्ची श्रद्धांजलि- स्वामी नौतम

नौतम स्वामी ने कहा,"विश्व हिंदू परिषद के कई कार्यकर्ताओं ने बलिदान दिया है और अपना शरीर भी खोया है। मुझे राम जन्मभूमि के लिए कार सेवा करने वाले कारसेवक और गोधरा रेलवे स्टेशन पर पेट्रोल डालकर जलाए गए शहीद कारसेवकों की भी याद आ रही है। जब राम मंदिर का झंडा फहराएगा तब सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी। मैं भगवान राम से प्रार्थना करता हूं कि जब राम मंदिर का झंडा फहराएगा तब सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आपके मंदिर द्वारा किया गया हिंदू जन जागरण का कार्य इस देश को आगे ले जाए हिंदू राष्ट्र। यह देश हिंदुओं का था। इसे लाखों वर्षों से हिंदुओं ने संरक्षित रखा है।"  

नरेंद्रभाई मोदी हाथ श्री रामलला की मूर्ति प्रतिष्ठा होगी उस समये खुशी की कोई सीमा नहीं होगी- स्वामी नौतम

अंत में नौतम स्वामी ने कहा, "जो गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, माही और चंद्रभागा को अपनी मां मानता है। वह भगवान शंकर, सूर्य, पृथ्वी, गायत्री, अग्नि की पूजा करता है। जो गाय को अपनी मां मानता है और जो ओंकार की पूजा करता है। एक हिंदू हैं। उन्हें गौरवान्वित करने का दिन 22 जनवरी है। उस शुभ घड़ी में जब नरेंद्र भाई मोदी श्री रामलला की मूर्ति स्थापित करेंगे। हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि जिन लोगों ने आंदोलन और यात्रा में भाग लिया स्वर्णिम भारत बनाने के विकास के लिए, महापुरुषों ने जिन लोगों को सींचा है, भगवान उन सभी पर कृपा करें। जय श्री राम, जय श्री स्वामीनारायण।"

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