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Kashtbhanjan Dev: 251 करोड़ रुपये के बहुमूल्य आभूषण, 175 साल पहले अर्पण की गई माला… कीजिए दर्शन

वडताल धाम द्वारा संचालित विश्व प्रसिद्ध सालंगपुर आज धनतेरस की पूर्व संध्या पर गुलजार है। हरिप्रकाश स्वामी ने हनुमान जी के सामने रखे आभूषण के बारे में बताते हुए कहा कि धनतेरस सनातन हिंदू धर्म में अनादिकाल से मनाया जाता रहा है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। आज धनतेरस के दिन दादा का भव्य श्रृंगार किया जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 09 Nov 2023 08:39 PM (IST)
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धनतेरस की पूर्व संध्या पर गुलजार है वडताल धाम द्वारा संचालित विश्व प्रसिद्ध सालंगपुर।
किशन प्रजापति, अहमदाबाद। Sarangpur Hanuman Mandir: वडताल धाम द्वारा संचालित विश्व प्रसिद्ध सालंगपुर आज धनतेरस की पूर्व संध्या पर गुलजार है। दैनिक जागरण पाठकों को कष्टभंजन देव के सामने रखे गए 251 करोड़ से अधिक आभूषणों और 175 साल पहले मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद गोपालानंद स्वामी ने जो माला हनुमान जी को सौ प्रथम अर्पण की थी उसके दर्शन करा रहा है।

इसके लिए हनुमानजी मंदिर के कोठारी विवेक सागर स्वामी के माध्यम से धर्मकिशोर स्वामी ने 10 सेवकों की मदद से 6 घंटे की मेहनत से दादा के समक्ष इस महामलून आभूषण सजाये थे। यह सभी आभूषण की विशेषताए हम यहां इन्फो ग्राफिक्स के द्वारा भी पेश कर रहे है।

 

ग्राफिक्सः हरिओम शर्मा

हनुमान जी सिर्फ भक्तों का भाव स्वीकारते है।

हरिप्रकाश स्वामी ने हनुमान जी के सामने रखे आभूषण के बारे में बताते हुए कहा

धनतेरस सनातन हिंदू धर्म में अनादिकाल से मनाया जाता रहा है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। आज धनतेरस के दिन दादा का भव्य श्रृंगार किया जाता है। कई किलो सोने-चांदी और हीरे के आभूषणों का कोई माप नहीं है। दादा की सामान्य श्रृंगार 8 से 10 करोड़ रुपए के आभूषण की होती है। इसके अलावा आभूषणों का मूल्य भी बेशुमार है। हनुमान जी भक्तों का भाव स्वीकारते हैं।

 

 हनुमान जी के समक्ष रखा गया है 251 करोड़ से ज्यादा के अलंकार

उन्होंने कहा कि पिछले 100 साल से इतिहास है कि यहां जिन भक्त का काम होता है, वह अपनी शक्ति के अनुसार दादा को कुछ न कुछ अर्पित करता है। दादा अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के दाता हैं। कंचन बरन बिराज सुबेसा... दादा स्वयं सोने के हैं। उनकी तुलना में यह कुछ भी नहीं है। हम जो मन के भाव से प्रदान करते हैं वह एक अच्छा कार्य है। इस प्रकार हनुमान जी को 251 करोड़ से अधिक के आभूषण अर्पित की गई है।

गोपालानंद स्वामी ने सबसे पहले यही माला की थी अर्पण

गोपालानंद स्वामी ने विक्रम संवत 1905 को आसो वद पंचम के दिन कष्टभंजन भगवान हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की थी। इसके बाद गोपालानंद स्वामी ने हनुमानजी को न सिर्फ अपनी माला अर्पित की बल्कि अपनी लाठी भी अर्पित की थी। इसके बाद थोड़े साल बाद संतों ने छड़ी और मोतियों को सोने से जड़ दिया है। गोपालानंद स्वामी द्वारा चढ़ाई गई सोने की माला 41 तोला सोने से मढ़ी हुई है। माला के पेंडल में मोर है। यह माला केवल धनतेरस और अन्य विशेष दिनों पर ही दादा को चढ़ाई जाती है।- हरिप्रकाश स्वामी 

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