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Gujarat: पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता माधव सिंह सोलंकी की राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि

Gujarat पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी का रविवार शाम अहमदाबाद के पालड़ी स्थित श्मशान गृह पर अंतिम संस्कार किया गया। गुजरात पुलिस ने उनको गार्ड ऑफ ऑनर दिया तथा राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Sun, 10 Jan 2021 06:33 PM (IST)
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पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता माधव सिंह सोलंकी की राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि। फाइल फोटो
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Gujarat:पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता माधव सिंह सोलंकी का रविवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले उनकी पार्थिव देह प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर अंतिम दर्शन के लिए रखी गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी का रविवार शाम अहमदाबाद के पालड़ी स्थित श्मशान गृह पर अंतिम संस्कार किया गया। गुजरात पुलिस ने उनको गार्ड ऑफ ऑनर दिया तथा राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। सोलंकी की पार्थिव देह इससे पहले प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई। गुजरात के चार बार मुख्यमंत्री रहे माधव सिंह सोलंकी पहली बार 30 साल की उम्र में ही विधायक चुने गए थे।

गुजरात की राजनीति के दिग्गज रहे सोलंकी पिछले तीन दशक से राजनीतिक रूप से संन्यास की अवस्था में थे। शनिवार सुबह उनका निधन हो गया था। राज्य सरकार ने उनके निधन के चलते राज्य में एक दिन का शोक घोषित किया था। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित सरकार ने शनिवार को अपने सभी सरकारी कार्यक्रम रद करके मंत्रिमंडल की तत्काल बैठक बुलाकर सोलंकी को श्रद्धांजलि दी। माधव सिंह सोलंकी का शनिवार सुबह गांधीनगर में निधन हो गया। वह 93 साल के थे। गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने ट्वीट कर सोलंकी के निधन की सूचना दी। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई गणमान्य लोगों ने शोक जताया है। सोलंकी के निधन पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने एक दिन के शोक की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने दिनभर के सभी कार्यक्रम रद कर दिए। कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाकर शोक व्यक्त करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया। पत्रकार से राजनेता बने सोलंकी चुनावी रणनीति के मास्टर माने जाते थे। गुजरात में 1985 के विधानसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग का उनका एक खास फार्मूला हिट हुआ था। इसके तहत उन्होंने क्षत्रिय, अनुसूचित जाति, आदिवासी तथा मुस्लिमों को लामबंद करने का प्रयोग किया था। उस चुनाव में कांग्रेस को 182 में से 149 सीटें मिली थीं, जो रिकार्ड अब तक नहीं तोड़ा जा सका। भरूच जिले के पिलुदरा गांव के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे सोलंकी ने राजनीति में प्रवेश करने से पहले अपने कैरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी।

वह 1957 में तत्कालीन बांबे स्टेट की विधानसभा में पहली बार पहुंचे थे। उसके बाद महाराष्ट्र से अलग होकर गुजरात राज्य बनने पर वह 1960 में गुजरात विधानसभा के सदस्य बने। 1975 में गुजरात प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के बाद सोलंकी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने ही गुजरात में लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा तथा प्राथमिक विद्यालयों में मिड-डे मील की शुरुआत की थी। मिड-डे मील योजना बाद में पूरे देश में लागू की गई। सोलंकी जून, 1991 से मार्च, 1992 तक विदेश मंत्री रहे थे। लेकिन दावोस में स्विट्जरलैंड के विदेश मंत्री से मुलाकात तथा बोफोर्स मामले से जुड़ा एक पत्र कथित तौर पर स्वीडन पहुंचाने के कारण पैदा हुए विवाद की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। बीते तीन दशक से वह गांधीनगर के अपने निजी बंगले में गुमनामी में रह रहे थे। वह गुजरात से दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वह गुजरात में नरेंद्र मोदी के बाद सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे। उनके बेटे भरत सिंह सोलंकी भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।

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