Ram Nath Kovind In Gujarat: राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश ने की भगवान द्वारकाधीश की पूजा-अर्चना
Gujarat रामनवमी पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द व मुख्य न्यायाधीष एनवी रमना ने गुजरात के द्वारका मंदिर में परिवार के साथ भगवान द्वारकाधीश के दर्शन किए व पूजा-अर्चना की। राष्ट्रपति ने देश की सुरक्षा समृद्धि के साथ जनता के सुखी होने प्रार्थना की की।
By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Sun, 10 Apr 2022 06:01 PM (IST)
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने रामनवमी पर रविवार को गुजरात के द्वारका मंदिर में परिवार के साथ भगवान द्वारकाधीश के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। राष्ट्रपति ने देश की सुरक्षा, समृद्धि के साथ जनता के सुखी होने प्रार्थना की की। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने भी द्वारका मंदिर में दर्शन किए तथा नागेश्वर ज्योर्तिलिंग पर पूजा-अर्चना की। राष्ट्रपति विशेष विमान से जामनगर वायुसेना के हेलीपेड पहुंचे। यहां राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उनकी अगवानी की। यहां से राष्ट्रपति पत्नी सविता व पुत्री स्वाति के साथ सीधे द्वारका मंदिर में भगवान द्वारकाधीश के दर्शन करने पहुंचे। यहां द्वारका मंदिर ट्रस्ट की ओर से कलक्टर एमए पंड्या, धनराज नथवाणी आदि ने उनका स्वागत किया। नथवाणी ने राष्ट्रपति को भगवान द्वारकाधीश की पेंटिंग भेंट की।
मुख्य न्यायाधीश ने भी की विशेष पूजा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थानीय निदेशक नंदिनी भट्टाचार्य ने राष्ट्रपति को जगत मंदिर के स्थापत्य तथा इसके इतिहास की जानकारी दी। राष्ट्रपति ने मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा देश की सुरक्षा, समृद्धि के साथ जनता के सुखी होने की भगवान से प्रार्थना की। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना भी सपत्नी रविवार को द्वारका मंदिर पहुंचे, भगवान द्वारकाधीश के दर्शन के बाद इस दंपती ने नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचकर विशेष पूजा की। राष्ट्रपति ने ट्वीट में लिखा कि सभी देशवासियों को राम नवमी की शुभकामनाएं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन, उनकी कर्तव्यनिष्ठा और उच्च आदर्श पूरी मानवता के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा के स्रोत हैं। आइए, हम सब प्रभु राम के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान का संकल्प लें।
मध्यस्थता से बदल सकती है भारतीय न्याय तंत्र की सूरत मध्यस्थता समेत विवाद के वैकल्पिक समाधान (एडीआर) तंत्र से भारतीय कानूनी व्यवस्था की सूरत बदल सकती है, लेकिन कुछ अड़चनों के चलते इसे अभी व्यापक स्वीकार्यता नहीं मिली है। गुजरात के केवडिया में आयोजित एक सम्मेलन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द समेत विभिन्न वक्ताओं ने ये विचार व्यक्त किए। 'स्टैच्यू आफ यूनिटी' के पास टेंट सिटी में 'मध्यस्थता और सूचना प्रौद्योगिकी' पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा, 'सच कहा जाए, तो मध्यस्थता में हर कोई विजेता होता है। ऐसा कहते हुए हमें यह भी मानना होगा कि देशभर में अभी इस अवधारणा को व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है। कुछ जगहों पर तो पर्याप्त प्रशिक्षित मध्यस्थ भी नहीं हैं। कई मध्यस्थता केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं को सुधारने की सख्त जरूरत है।' सर्वसुलभ न्याय के लिए संचार माध्यमों में सुधार की जरूरत राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों की न्याय तक पहुंच व इसे सर्वसुलभ बनाने को सूचना एवं संचार माध्यमों में सुधार की जरूरत है। मध्यस्थता के रास्ते की अड़चनों को जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए, ताकि इस प्रभावी उपाय का ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि अगर वांछित परिणाम हासिल करना है तो सभी हितधारकों को मध्यस्थता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित करना होगा। उन्होंने इसे अधिक स्वीकार्य बनाने के लिए प्रशिक्षण पर भी जोर दिया।
लाखों लोगों को मंच प्रदान कर सकता है एडीआर प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एनवी रमना ने कहा कि विवाद के वैकल्पिक समाधान का विचार पूरे न्याय तंत्र के परिदृश्य को बदल सकता है। यह विवादों को सुलझाने के सबसे सशक्त तरीकों में से एक है। इसमें लाखों लोगों की शिकायतों को निपटाने के लिए एक मंच मिल सकता है। उन्होंने अदालतों के कामकाज व प्रबंधन के हिस्से के रूप में बातचीत व मध्यस्थता को अनिवार्य बनाने के लिए सक्रिय प्रयास करने की बात कही। लंबित मामलों को कम करने में भी मददगार प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि लोक अदालतों, ग्राम न्यायालयों व मध्यस्थता केंद्रों के जरिये शिकायतों का निपटारा कर अदालतों में लंबित मामलों को कम किया जा सकता है। इससे संसाधनों व समय की बचत होगी तथा विवाद समाधान प्रक्रिया व उसके परिणाम पर नियंत्रण लाने में भी मदद मिलेगी।
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