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Chandrayaan-3: कैसे जागेंगे विक्रम और प्रज्ञान? इसरो विज्ञानी नीलेश देसाई ने खोला राज

अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने कहा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के जगाने की एक ऑटोमेटिक प्रक्रिया है और इसे पृथ्वी से दूर नहीं किया जा सकता है। नीलेश देसाई ने कहा कि सौर ऊर्जा से चलने वाले लैंडर और रोवर के चार्ज होते ही सिग्नल आ जाएंगे। हालांकि अभी तक कोई सिग्नल नहीं आया है।

By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 23 Sep 2023 08:13 PM (IST)
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का चंद्रयान-3 (फाइल फोटो)
भरूच, एएनआई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने की कोशिशें कर रहा है। हालांकि, अभी तक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर स्लीप मोड में हैं। इसी बीच अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को लेकर बड़ी जानकारी साझा की।

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नीलेश देसाई के मुताबिक, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के जगाने की एक ऑटोमेटिक प्रक्रिया है और इसे पृथ्वी से दूर नहीं किया जा सकता है।

क्या लैंडर और रोवर से मिला कोई सिग्नल?

बकौल एजेंसी, नीलेश देसाई ने कहा कि सौर ऊर्जा से चलने वाले लैंडर और रोवर के चार्ज होते ही सिग्नल आ जाएंगे। हालांकि, अभी तक कोई सिग्नल नहीं आया है और चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर से संपर्क स्थापित करने की कोशिशें जारी हैं।

इसरो विज्ञानी ने बताया कि इसरो ने ट्वीट के जरिए स्पष्ट किया कि लैंडर और रोवर के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिशें की जा रही हैं। दोनों ऑटोमेटिक प्रक्रिया के तहत जागेंगे और सिग्नल भेजेंगे। अभी तक कोई सिग्नल प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि दोनों से सिग्नल मिलने पर लोगों को सूचित किया जाएगा।

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लैंडर और रोवर के जागने की 50-50 फीसद संभावना को देखते हुए इसरो विज्ञानी ने कहा कि यदि इलेक्ट्रॉनिक्स वहां के ठंडे तापमान से बचे रहते हैं तो हमें सिग्नल प्राप्त होंगे। अन्यथा, मिशन ने पहले ही अपना काम कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि यदि विक्रम और प्रज्ञान को जागते हैं तो चंद्रमा की सतह पर प्रयोग जारी रहेंगे।

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