Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Gujarat: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने अंग दान करने पर दिया जोर, बोले- ये भी एक प्रकार की देशभक्ति

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा है कि जैव विविधता व प्राक्रतिक संसाधनों के संरक्षण की तरह अंग दान भी एक प्रकार की देशभक्ति है। सूरत में लाइफ डोनेट संस्‍था के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस के सरसंघ चालक भागवत ने कहा कि मानव शरीर का उपयोग दूसरों के लिए जीने व मरने के लिए करना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Wed, 27 Sep 2023 10:39 PM (IST)
Hero Image
अंग दान भी एक प्रकार की देशभक्ति: मोहन भागवत (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा है कि जैव विविधता व प्राक्रतिक संसाधनों के संरक्षण की तरह अंग दान भी एक प्रकार की देशभक्ति है। ब्रेन डेड की स्थिति हो तथा शरीर के अन्‍य अंग काम कर रहे हों तो अंगदान करना मानव धर्म है।

मोहन भागवत ने की अंग दान करने की अपील

सूरत में लाइफ डोनेट संस्‍था के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस के सरसंघ चालक भागवत ने कहा कि मानव शरीर का उपयोग दूसरों के लिए जीने व मरने के लिए करना चाहिए। देश में कुछ लोग इसलिए पीड़ा सहन करते हैं चूंकि उनको स्‍वस्‍थ अंग नहीं मिल पाता है और सालों तक उनको धन खर्च करना पड़ता है।

यह भी पढ़ेंः PM Modi in Gujarat: 'मेरे पास घर नहीं पर मेरी सरकार ने लाखों बेटियों को बनाया मकान मालकिन'

भागवत ने कोविड काल का दिया उदाहरण

उन्‍होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हरेक व्‍यक्ति ने देश के लिए अपना योगदान दिया। महामारी से भारत ने सफलतापूर्वक उबरते हुए अपने पैरों पर खडा हो गया। एक स्वतंत्र देश में देशभक्ति का एक रुप सार्वजनिक जीवन के नियमों का पालन करना है। कानून का उल्लंघन नहीं करना या इसे अपने हाथ में नहीं लेना और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी शिकायतों को व्यक्त करना होता है। दूसरों के दर्द को समझते हुए उसे बांटना है चूंकि वे भी हमारे अपने हैं।

भागवत ने कहा कि अगर हम ब्रेन-डेड स्थिति में रहते हैं, और हमारे अन्य अंग सामान्य रूप से काम कर रहे हैं, तो ऐसे अंगों का उपयोग अन्य जीवित मनुष्यों के लिए करना हमारा मानव धर्म है।

अंग दान करने वाले बन जाते ईश्वरः भागवत

उन्होंने कहा कि अपना अंग स्वयं दान करने से वह व्यक्ति भगवान बन जाता है। भागवत ने कहा इंग्लैंड और अमेरिका हमारे देश की जरूरतों को पूरा नहीं करने वाले हैं। हम कदम दर कदम अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद दुनिया की जरूरतों को पूरा करने की राह पर हैं। अगर हम खुद को इस देश का नागरिक कहते हैं , तो हमारा जीवन भी ऐसा ही होना चाहिए कि हम अंगदान के संकल्‍प को नहीं भूलें।

यह भी पढ़ेंः Vibrant Gujarat: 'विदेशी निवेशकों को धमकी दी जाती थी, गुजरात मत जाओ...', वाइब्रेंट गुजरात में बोले पीएम मोदी