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नई संसद में भारतीयों को गौरवान्वित करने वाला 'समुद्र मंथन' का विशाल स्कल्पचर, वर्षों तक दीवार पर रहेगा कायम

नई संसद का पीएम मोदी ने बीते दिन उद्धाटन किया। ये नई संसद आर्ट और आर्किटेक्चर का सुंदर संगम है। नए संसद भवन में भारतीय संस्कृति और कला को दर्शाने वाले कई कृति को लगाया गया है जिसमें समुद्र मंथन का स्कल्पचर हर भारतीय को अपनी संस्कृति पर गर्व करवाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Mahen KhannaUpdated: Mon, 29 May 2023 04:39 PM (IST)
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Samudra Manthan sculpture in New Parliament नई संसद में लगा समुद्र मंथन का स्कल्पचर।

किशन प्रजापति, अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल देश की नई संसद का उद्घाटन किया था। यह नई संसद आर्ट और आर्किटेक्चर का सुंदर संगम है। नए संसद भवन में भारतीय संस्कृति और कला को दर्शाने वाले कई कृति को लगाया गया है। जिसमें 9 टन से अधिक पंचधातु से बने 75 फीट चौड़ी, 9 फीट ऊंची और 7mm मोटाई वाली समुद्र मंथन का स्कल्पचर हर भारतीय को अपनी पौराणिक संस्कृति पर गर्व कराती है।

इस स्कल्पचर को बनाने वाले मूर्तिकार नरेश कुमावत ने गुजराती जागरण से विशेष बातचीत की थी। जिस में उन्हों ने इस विशाल स्कल्पचर को बनाने का अवसर कैसे मिला? उन्होंने समुद्र मंथन के कितने स्केच बनाए? और इस्तेमाल की गई तकनीक के बारे में दिलचस्प वात साझा की है।

'रिसर्च करने के बाद 10-15 स्केच बनाए'

मूर्तिकार नरेश कुमावत ने कहा, "दस महीने पहले संस्कृति मंत्रालय ने हमें नई संसद के लिए समुद्र मंथन की मूर्ति बनाने को कहा था। इसके बाद भारत सरकार द्वारा संचालित IGNCA (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र) से भी संपर्क किया गया। पहले हमने समुद्र मंथन के स्कल्पचर के लिए 10-15 अलग-अलग स्केच बनाए थे। उसके बाद हमने इस पर रिसर्च किया और अंत में हमने एक मॉडल बनाया। इसके बाद स्कल्पचर का स्टेप बाय स्टेप काम शुरू किया था।”

30 से 40 कारीगर दिन-रात कर रहे थे काम 

नरेश कुमावत ने आगे कहा कि, “इस समुद्र मंथन के स्कल्पचर को बनाने में 9 टन से अधिक पंचधातु का उपयोग किया गया है। यह समुद्र मंथन का स्कल्पचर 75 फीट चौड़ा, 9 फीट ऊंचा और 7 मिमी मोटा है। यह स्कल्पचर अलग-अलग हिस्सों में बनाया गया था। हमारे स्टूडियो में स्कल्पचर बनाने के लिए प्रतिदिन 30 से 40 कारीगर अलग-अलग शिफ्ट में दिन-रात काम कर रहे थे।”

स्थापना के लिए डिजाइन किया विशेष स्ट्रक्चर

इस स्कल्पचर को लगाने के बारे में बात करते हुए नरेशकुमावत ने कहा, “इस समुद्र मंथन का स्कल्पचर बनने के बाद इसे दीवार पर लगाने के लिए एक विशेष स्ट्रक्चर तैयार किया गया था। जो दीवार के कॉलम से बंधा हुआ था। इसके बाद उस पर स्कल्पचर को लगा दिया गया और चिपका दिया गया है। इस प्रक्रिया में त्रुटि के लिए कोई जगह नहीं थी।”

यह स्कल्पचर  मेरे लिए न भूतो न भविष्यति है- मूर्तिकार

अंत में नरेश कुमावत ने कहा कि मेरे अनुसार इस स्कल्पचर को बनाने का कारण यह है कि पौराणिक काल में समुद्र मंथन से अमृत निकला था। इसी तरह नइ संसद में गहन विचार-विमर्श के बाद देश के विकास के लिए अच्छे विचार सामने आयेंगे। मैं जीवनभर कितना भी काम कर लूं, सारा काम एक तरफ और यह काम एक तरफ। यह स्कल्पचर मेरे लिए न भूतो न भविष्यति है। हमारे प्रधानमंत्री द्वारा अगली पीढ़ी को दिया गया यह अवसर नए भारत के लिए नए लोगों की शुरुआत है।

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