Move to Jagran APP

Digital Arrest: आखिर कब रुकेगा साइबर फ्रॉड, अब गुजरात में CBI अधिकारी बताकर वरिष्ठ नागरिक से ठगे 1.26 करोड़

अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा के एक अधिकारी ने कहा कि ठगों ने शिकायतकर्ता को धन हस्तांतरित करने के लिए डिजिटल अरेस्ट किया। आरोप है कि इन्होंने धोखाधड़ी के लिए अपने बैंक खातों का इस्तेमाल करने की अनुमति दी। सहायक पुलिस आयुक्त हार्दिक मकाडिया ने बताया कि इस मामले में अहमदाबाद के रहने वाले मोहम्मद हुसैन जाविद तरुण सिंह वाघेला ब्रिजेश पारेख और शुभम ठाकर को गिरफ्तार किया गया है।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 24 Oct 2024 05:48 AM (IST)
Hero Image
गुजरात में CBI अधिकारी बताकर वरिष्ठ नागरिक से ठगे 1.26 करोड़
पीटीआई, अहमदाबाद। कंबोडिया के जालसाजों ने स्वयं को सीबीआई अधिकारी और भारत का मुख्य न्यायाधीश बताकर एक वरिष्ठ नागरिक से 1.26 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा के एक अधिकारी ने कहा कि ठगों ने शिकायतकर्ता को धन हस्तांतरित करने के लिए डिजिटल अरेस्ट किया। इस मामले में चार स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि इन्होंने धोखाधड़ी के लिए अपने बैंक खातों का इस्तेमाल करने की अनुमति दी।

जालसाजों ने खुद को बताया सीबीआई अधिकारी

सहायक पुलिस आयुक्त हार्दिक मकाडिया ने बताया कि इस मामले में अहमदाबाद के रहने वाले मोहम्मद हुसैन जाविद, तरुण सिंह वाघेला, ब्रिजेश पारेख और शुभम ठाकर को गिरफ्तार किया गया है। इस महीने की शुरुआत में सीबीआइ अधिकारी होने का दावा करने वाले एक अज्ञात व्यक्ति ने वरिष्ठ नागरिक को वीडियो कॉल कर बताया कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल गलत ढंग से रुपये के हस्तांतरण के लिए किया गया है।

पीड़ित को इस तरह किया डिजिटल अरेस्ट

पीड़ित को यह भी बताया गया कि यदि वह वीडियो कॉल के जरिये जांच में सहयोग नहीं करेंगे तो पांच साल के लिए जेल जाना पड़ सकता है, लेकिन उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें गिरफ्तारी से बचाया जा सकता है। इसके बाद उसने बताया कि वीडियो काल के माध्यम से जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक अनुरोध दायर किया गया है। फिर, गिरोह के एक अन्य सदस्य ने स्वयं को मुख्य न्यायाधीश बताकर पीड़ित को फोन किया।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि फोन करने वाले ने वर्तमान मुख्य न्यायाधीश की तस्वीर को अपनी डीपी के रूप में इस्तेमाल किया। स्वयं को सीबीआइ अफसर बताने वाले व्यक्ति ने पीडि़त से कहा कि उसके मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। उससे आनलाइन पूछताछ की जाएगी। जालसाजों ने पीडि़त को अपने बैंक खातों में 1.26 करोड़ रुपये स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया, यह दावा करते हुए कि वे यह जांचना चाहते हैं कि यह पैसा अपराध की आय का हिस्सा तो नहीं है।

पीड़ित को एहसास हुआ उसके साथ धोखाधड़ी की गई

एसीपी मकाडिया ने कहा कि गिरोह के सदस्यों ने 48 घंटों के भीतर पूरी राशि वापस करने का भी वादा किया और उन्हें सुप्रीम कोर्ट की मुहर और सीबीआइ अधिकारी के हस्ताक्षर के साथ रसीद का एक नकली प्रमाण पत्र भी भेजा। अधिकारी ने कहा कि आखिरकार, पीड़ित को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी की गई है। उसने साइबर अपराध शाखा से संपर्क किया। इसके बाद सात अक्टूबर को एफआइआर दर्ज की गई।

डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध

डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार साइबर अपराध है, जिसमें पीडि़त को यह भरोसा दिलाया जाता है कि वह मनी लांड्रिंग या मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों की जांच के दायरे में है। इस दौरान पीडि़त को वीडियो काल के जरिये ठगों के संपर्क में रहना होता है और उसे पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।