Congress President Election: शशि थरूर बोले, कांग्रेस को साफ्ट हिंदुत्व की जरूरत नहीं
Congress President Election शशि थरूर का कहना है कि कांग्रेस को समावेशी कार्यकर्ता की व्यापक भागीदारी व कांग्रेस के मूल सिद्धांत पर चलने वाला संगठन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व अपनाने की जरूरत को भी नकारा है।
By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Wed, 12 Oct 2022 09:40 PM (IST)
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Congress President Election: कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों से खिन्न नजर आए। उनके प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ प्रदेश अध्यक्ष व अन्य वरिष्ठ नेता होते हैं, लेकिन जब वे राज्यों में कांगेस प्रतिनिधियों से मिलने जा रहे हैं तो बड़े नेता उनसे किनारा कर लेते हैं।
प्रदेश अध्यक्षों व वरिष्ठ नेताओं से काफी खिन्न नजर आए थरूर
गुजरात कांग्रेस प्रदेश कार्यालय राजीव गांधी भवन में पत्रकारों से चर्चा के दौरान थरूर ने कहा कि गुजरात व अन्य राज्यों में उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष, नेता विपक्ष या अन्य वरिष्ठ नेताओं का नहीं होना उन्हें अखर रहा है। साथ ही, थरूर ने यह भी कहा कि वे पार्टी में बदलाव के लिए लड़ रहे हैं इसलिए यह बात लाजमी है कि वर्तमान में ऊंचे ओहदों पर आराम फरमा रहे लोग उनका साथ क्यों देंगे। जबकि उनका एजेंडा ही पार्टी में जड़मूल से परिवर्तन का है।
थरूर ने यह भी कहा
थरूर का कहना है कि कांग्रेस को समावेशी, कार्यकर्ता की व्यापक भागीदारी व कांग्रेस के मूल सिद्धांत पर चलने वाला संगठन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व अपनाने की जरूरत को भी नकारा है। थरूर ने राजस्थान कांग्रेस में बगावत के बारे में कहा कि नेताओं को अधिकार दिए जाते हैं तो उन पर एक जिम्मेदारी भी आती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ऐसी बयानबाजी करें जिससे विरोधी दल भाजपा को लाभ हो, ऐसा नहीं होना चाहिए।जी 23 समूह के नेताओं को कभी एक कमरे में बैठे नहीं देखा
अध्यक्ष के चुनाव के बाद जी 23 समूह के नेताओं की रणनीति के बारे में थरूर ने कहा कि यह कोई संगठन नहीं था, कोरोना के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष तक अपनी बात पहुंचाने की भावना से करीब सौ नेता सहमत थे, जिनमें से 23 नेताओं ने दस्तखत कर पत्र कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा। उनका दावा है कि उन्होंने इन 23 नेताओं को कभी एक कमरे में बैठे नहीं देखा।
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