Janmashtami Dwarkadhish Temple: जन्माष्टमी पर जानें द्वारकाधीश मंदिर की ये खास बातें, जिससे शायद आप होंगे अंजान
Shri Krishna Janmashtami 2022 मंदिर का ध्वज दिन में 5 बार बदलता 2014 में हीं हो गई 2024 तक की बुकिंग। द्वारकाधीश मंदिर को रामेश्वरम बद्रीनाथ और पुरी के बाद हिंदुओं के बीच चार धाम पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है।
By Priti JhaEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 10:38 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ऑनलाइन डेस्क। कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी द्वारका, मथुरा, वृंदावन सहित कुछ अन्य कृष्ण तीर्थों पर 19 अगस्त को मनाई जा रही है। जन्माष्टमी पर खास कर अगर द्वारका की बात करें तो... अद्भुत, अकल्पनीय घटनाएं जानने को मिलती है। ऐसा माना जाता है कि जब तक सूर्य और चंद्र रहेगा, द्वारकाधीश का नाम रहेगा। इस जन्माष्टमी पर आइये जानें कृष्ण की प्यारी नगरी द्वारकाधीश मंदिर से जुड़ी रोचक बातें जिससे बहुत से लोग हैं अंजान:-
काफी पुराना है यह भव्य मंदिर
मालूम हो कि, गोमती नदी के तट पर स्थित गुजरात राज्य में द्वारकाधीश मंदिर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। उसे 2500 साल से भी अधिक पहले बनाया गया था। द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पोते ने करवाया है। द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वह भगवान कृष्ण को समर्पित एक चालुक्य शैली की वास्तुकला का प्रमाण है। पांच मंजिला मुख्य मंदिर चूना पत्थर और रेत से निर्मित अपने आप में भव्य और अदभुत है। द्वारका शहर का इतिहास महाभारत में भी है। मान्यता के मुताबिक पुरानी वास्तुकला वज्रनाभ से बनाई गई थी। उसको भगवान कृष्ण ने समुद्र से प्राप्त भूमि पर बनाया था। भगवान कृष्ण जी को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर सबसे प्रमुख और भव्य मंदिर में से एक है।
द्वारकाधीश मंदिर चार धामों में एक
द्वारकाधीश मंदिर को रामेश्वरम, बद्रीनाथ और पुरी के बाद हिंदुओं के बीच चार धाम पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। परंपरा के मुताबिक कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने मंदिर को हरि-गृह के ऊपर बनवाया था। द्वारकाधीश मंदिर विश्व में श्री विष्णु का 108वां दिव्य देशम है जिसकी महिमा दिव्य प्रबंध ग्रंथों में की गई है।
मंदिर का ध्वज दिन में 5 बार बदलतामालूम हो कि इस बात को बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि यहां मंदिर का ध्वज दिन में 5 बार बदला जाता है। जिसका निश्चित समय है। बता दें कि द्वारकाधीश मंदिर का ध्वज 52 गज का होता है। एक मिथक के अनुसार 12 राशि, 27 नक्षत्र, 10 दिशाएं, सूर्य, चंद्र, और श्री द्वारकाधीश मिलकर 52 हो जाते हैं। इसलिए ध्वज को 52 गज का रखा जाता है। वहीं, एक अन्य मान्यता के अनुसार एक समय में द्वारका में 52 द्वार थे और ये उसी का प्रतीक है। इस ध्वज पर सूर्य और चंद्र बने हुए होते हैं और ऐसा माना जाता है कि जब तक सूर्य और चंद्र रहेगा, द्वारकाधीश का नाम रहेगा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- SomnathTempleOfficial (@SomnathTempleOfficial) 18 Aug 2022ध्वज की 2024 तक है एडवांस बुकिंगमंदिर के व्यवस्थापक के अनुसार ध्वज बदलने के लिए भक्त एडवांस बुकिंग करवाते हैं। पांच बार में एक बार शाम वाला झंडा सिर्फ तत्काल होता है। बांकी चार बार के ध्वज के लिए 2024 तक की बुकिंग 2014 में हीं हो गई है। यहां से अबोटी ब्राह्मण इसे ऊपर लेकर जाते हैं और ध्वज बदल देते हैं। मंदिर में ध्वज आरती के दौरान चढ़ाया जाता है।ध्वज बदलने में आते हैं इतना खर्च जानकारी के अनुसार ध्वज बदलने में इसके खर्च छह हजार से 15 हजार के बीच आते हैं। मालूम हो कि ध्वज की कीमत के बाद के चार हजार उन चार हजार अबोटी ब्राह्मण के बीच एक- एक रुपये के रूप में बाटें जाते हैं जो इस संस्था से जुड़े हैं।जन्माष्टमी के दिन होता खुला स्नानद्वारकाधीश मंदिर के व्यवस्थापक के अनुसार द्वारकाधीश मंदिर में सुबह छह बजे की मंगला आरती के बाद जन्माष्टमी के दिन खुला स्नान भी होता है। जो सबके लिए खुला रहता है और ये एक दिन लोगों को स्नान- श्रृंगार देखने को भी मिलता है। जन्माष्टमी के दौरान श्रृंगार के बाद मंदिर में उत्सव होता है। जन्माष्टमी के दिन 12 बजे रात से ढाई बजे तक जन्मोत्सव का उत्सव मनाया जाता है। जिसमें महाभोग भी लगाया जाता है। यह भी पढ़ें- Jagannath Temple के गुबंद पर कभी नहीं बैठता पक्षी, उल्टी दिशा में उड़ता है ध्वज; हैरान कर देंगे इससे जुड़े रहस्य