'जब तक कोई भारतीय चंद्रमा पर नहीं उतर जाता तब तक...' ISRO चीफ सोमनाथ ने बताया देश का अगला मिशन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्र जांच की अपनी चंद्रयान सीरीज को जारी रखेगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बुधवार को कहा कि हम चंद्रयान सीरीज को तब तक जारी रखना चाहते हैं जब तक कोई भारतीय चंद्रमा पर नहीं उतर जाता। उससे पहले हमें कई तकनीकों में महारत हासिल करनी होगी जैसे वहां जाना और वापस आना। हम अगले मिशन में ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं।
पीटीआई, अहमदाबाद। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्र जांच की अपनी चंद्रयान सीरीज को जारी रखेगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बुधवार को कहा कि जब तक देश का कोई अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर नहीं उतरता तब तक यह जांच जारी रहेगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त में इसरो के चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत पहला देश बना है।
जब तक कोई भारतीय चंद्रमा पर नहीं उतर जाता, तब तक
इसरो चीफ सोमनाथ बुधवार को एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर अहमदाबाद में थे। उन्होंने एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा 'चंद्रयान 3 ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। डेटा एकत्र कर लिया गया है और वैज्ञानिक प्रकाशन अभी शुरू हुआ है। अब, हम चंद्रयान सीरीज को तब तक जारी रखना चाहते हैं जब तक कोई भारतीय चंद्रमा पर नहीं उतर जाता। उससे पहले हमें कई तकनीकों में महारत हासिल करनी होगी, जैसे वहां जाना और वापस आना। हम अगले मिशन में ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं।'यह है ISRO का मिशन
भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान के बारे में सोमनाथ ने कहा कि इसरो इस साल एक मानवरहित मिशन, एक परीक्षण वाहन उड़ान मिशन और एक एयरड्रॉप परीक्षण करेगा। इसरो अध्यक्ष ने कहा, 'एयरड्रॉप परीक्षण 24 अप्रैल को होगा। फिर अगले साल दो और मानव रहित मिशन होंगे और फिर मानव मिशन, अगर सब कुछ ठीक रहा, तो अगले साल के अंत तक होगा।'
गगनयान परियोजना
गगनयान परियोजना में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के एक दल को 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय समुद्री जल में उतरकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है। रॉकेट इंजनों के लिए इसरो के नव विकसित कार्बन-कार्बन (सी-सी) नोजल पर उन्होंने कहा कि यह हल्का होने के कारण पेलोड क्षमता में सुधार करेगा और इसे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान या पीएसएलवी में स्थापित किया जाएगा।किस तकनीक की बात कर रहे सोमनाथ?
सोमनाथ ने कहा कि यह वह तकनीक है जिसे हम पिछले कई वर्षों से विकसित करना चाहते थे। अब हमने इसमें महारत हासिल कर ली है, इसे बनाया है और फिर इंजन में इसका परीक्षण किया है। यह एक कार्बन-कार्बन नोजल है। यह हमें धातु की तुलना में वजन में लाभ देता है और यह हमें उच्च तापमान पर काम करने की भी अनुमति देता है। वजन कम होने से इंजन की कार्यक्षमता और पेलोड क्षमता में सुधार होता है। हम इसे पीएसएलवी में डालने जा रहे हैं।
16 अप्रैल को एक विज्ञप्ति में, इसरो ने घोषणा की कि उसने रॉकेट इंजनों के लिए हल्के सी-सी नोजल के विकास के साथ रॉकेट इंजन प्रौद्योगिकी में एक सफलता हासिल की है, जिससे पेलोड क्षमता में वृद्धि हुई है।यह भी पढ़ें: Gujarat Accident: वडोदरा-अहमदाबाद एक्सप्रेसवे पर भीषण हादसा, कार और ट्रैलर की टक्कर में 10 की मौत
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