द्वापर का वैभव देख दंग रह जाएगी दुनिया
specialty of mythical Dwarka city दुनिया की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक द्वारका को लेकर एक बार फिर पुरातत्ववेत्ताओं में रुचि पैदा हुई है।
द्वारकापुरी, शत्रुघ्न शर्मा। पौराणिक द्वारका नगरी के एक हिस्से बेट द्वारका (समुद्र में बने टापू पर स्थित) तक दर्शनार्थियों को आसानी से पहुंचाने के लिए समुद्र पर केबल ब्रिज बनेगा। समुद्र के गर्भ में छिपे द्वारका मंदिर को सीसीटीवी से भी देखने की व्यवस्था की जाएगी। महाभारत के 36 साल बाद ही द्वारकापुरी समुद्र में विलीन हो गई थी। दुनिया की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक द्वारका को लेकर एक बार फिर पुरातत्ववेत्ताओं में रुचि पैदा हुई है। कार्बन डेटिंग व रडार स्कैनिंग से इस प्राचीन नगरी की पुष्टि हो चुकी है।
9000 साल पुराना यह उत्कृष्ट नगर 4000 साल पहले समुद्र में समा गया था। पहले माना जा रहा था कि ईसा पूर्व भारत में उच्च कोटि की कोई सभ्यता नहीं रही होगी लेकिन कार्बन डेटिंग से अब यह स्पष्ट हो गया कि द्वारका 9000 साल पुरानी नगरी है। हिमयुग के बाद जलस्तर 400 फीट बढ़ जाने से इस पौराणिक नगरी के समुद्र में डूबने की भी बात कही जाती है। पौराणिक कथाओं को सच करने वाले सुबूत इसी द्वारका में गत कुछ दशकों में मिले हैं। 560 मीटर लंबी दीवार और 30 बुर्ज के अवशेष अरब सागर में मिले हैं। यहां जो दीवारें, नालियां व मूर्तियां मिलीं हैं, वे प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव निर्मित हैं। पुरातत्ववेत्ता एसआर राव बताते हैं कि 19वीं सदी में अरब सागर में बर्तन, गहने, इमारतों के अवशेष और कुछ लकड़ी की कलाकृतियों जैसे टुकड़े मिले थे। ये हड़प्पा और मेसोपोटामिया से भी प्राचीन सभ्यता के अवशेष हैं।
महाभारत के 36 साल बाद ही द्वारकापुरी समुद्र में हुई विलीन
माना जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने यहां 12 योजन भूमि पर नगर बसाया था। समुद्र की अनंत गहराई में डूबी द्वारका गोमती नदी (गुजरात) व अरब सागर के संगम पर बसी समृद्ध नगरी थी। समुद्र में विलीन हो जाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण बैकुंठधाम चले गए।
सैकड़ों किलोमीटर की दीवार से घिरी थी द्वारका
वर्तमान की बेट द्वारका जहां स्थित है, उसी समुद्र के भाग में प्राचीन नगर बसा था। शोधकर्ता मितुल चतुर्वेदी बताते हैं कि द्वारका एक शहर नहीं पूरा राज्य था। इसकी दीवार 700 किलोमीटर दूर भरूच व सूरत तक मिलती है।
खोदाई में मिली 560 मीटर की दीवार
पुरातत्व अन्वेषक आलोक त्रिपाठी ने खोदाई में मिली 560 मीटर की दीवार में से 50 मीटर को अध्ययन के लिए चुना। वह बताते हैं कि गहराई में मिले स्तंभ, गोल आकृतियां, प्राचीन दीवार, पत्थर और नगर रचना के बेजोड़ नमूने एक अदभुत देवलोक का आभास कराते हैं। इसी प्राचीन द्वारका नगरी का सीसीटीवी से द्वारकाधीश मंदिर पर सीधा प्रसारण करने की गुजरात सरकार की योजना है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी बताते हैं कि अभी बेट द्वारका जाने के लिए नाव का उपयोग करना पड़ता है लेकिन अब सरकार 100 करोड़ की लागत से केबल ब्रिज बनवा रही है ताकि बेट द्वारका तक दर्शनार्थी आसानी से पहुंच सकें। (क्रमश :)