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'मैंने गद्दारी नहीं की बल्कि कांग्रेस से 2017 का बदला लिया', नीलेश कुंभाणी ने सुनाया 7 साल पुराना दिलचस्प किस्सा

सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन रद्द करा चुके नीलेश कुंभाणी को कांग्रेस जहां गद्दार बता रही है वहीं नीलेश ने कहा कि मैंने इस बार के चुनाव में गद्दारी नहीं की बल्कि बदला लिया है। कांग्रेस ने 2017 में मुझे विधानसभा का पर्चा भरने की बात कहकर नामांकन से ठीक पर्चा वापस लौटने को कहा था। कांग्रेस ने मेरे साथ उस समय गद्दारी की थी।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Sat, 11 May 2024 11:00 PM (IST)
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मैंने इस बार के चुनाव में बदला लिया- नीलेश कुंभाणी (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन रद्द करा चुके नीलेश कुंभाणी को कांग्रेस जहां गद्दार बता रही है, वहीं नीलेश ने कहा कि मैंने इस बार के चुनाव में गद्दारी नहीं की, बल्कि बदला लिया है। कांग्रेस ने 2017 में मुझे विधानसभा का पर्चा भरने की बात कहकर नामांकन से ठीक पहले कलेक्टर कार्यालय से वापस लौटने को कहा था। कांग्रेस ने मेरे साथ उस समय गद्दारी की थी।

नीलेश ने कांग्रेस में पैसे देकर टिकट पाने की बात भी कही है। सूरत में नामांकन रद्द होने के बाद कांग्रेस से छह साल के लिए निष्कासित नीलेश ने कहा कि चुनाव के दौरान मैंने कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल एवं पूर्व नेता विपक्ष परेश धनाणी के लिहाज के चलते कुछ नहीं बोला। यदि मैं बोलता तो कांग्रेस को नुकसान होता।

कांग्रेस ने उस दिन मेरे साथ गद्दारी की थी

उन्होंने कांग्रेस नेताओं की ओर से गद्दार कहे जाने पर कहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें सूरत से ही पर्चा भरने को कहा गया था। वह अपने हजारों समर्थकों के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचे तो कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष ने वहां से वापस लौटने को कहा। कांग्रेस ने उस दिन मेरे साथ गद्दारी की थी। 2024 में मेरे द्वारा किया गया कृत्य उसका बदला था।

भाजपा प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया

गौरतलब है कि सूरत से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कुंभाणी का नामांकन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर फर्जी पाए जाने के बाद रद्द हो गया था। वहीं इस सीट से चुनाव लड़ रहे अन्य प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया था। इसके चलते भाजपा के प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया था। इसके बाद से कुंभाणी कांग्रेस के निशाने पर आ गए थे।

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