UNICEF ने बच्चों और किशोरों के लिए सड़क सुरक्षा बढ़ाने में मीडिया की भूमिका को बताया अहम, वर्कशॉप का किया आयोजन
बच्चों को सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते खतरों से बचाने के लिए प्रिंट ऑनलाइन और रेडियो के 30 से अधिक मीडिया पेशेवर यूनिसेफ द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘सड़क सुरक्षा पर राष्ट्रीय मीडिया कार्यशाला’ के लिए अहमदाबाद में एकत्र हुए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पत्रकारों की सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने की क्षमता को बढ़ाना था खासकर बच्चों और किशोरों के लिए।
डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। बच्चों को सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते खतरों से बचाने के लिए, प्रिंट, ऑनलाइन और रेडियो के 30 से अधिक मीडिया पेशेवर यूनिसेफ द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘सड़क सुरक्षा पर राष्ट्रीय मीडिया कार्यशाला’ के लिए अहमदाबाद में एकत्र हुए।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य पत्रकारों की सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने की क्षमता को बढ़ाना था, खासकर बच्चों और किशोरों के लिए और इसके लिए वकालत करने के लिए विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों और मीडिया पेशेवरों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना था।
सड़क सुरक्षा को लेकर दी गई जानकारी
कार्यशाला में भारत में सड़क सुरक्षा जागरूकता की तत्काल आवश्यकता के बारे में जानकारी दी गई, जहाँ बच्चों और किशोरों को महत्वपूर्ण जोखिमों का सामना करना पड़ता है। भारत में हर दिन सड़क दुर्घटनाओं में 42 से अधिक बच्चे और 31 किशोर मारे जाते हैं। इनमें से कई दुर्घटनाएँ स्कूलों और कॉलेजों के आस-पास होती हैं, इसलिए जागरूकता बढ़ाना और सड़क सुरक्षा उल्लंघनों के मूल कारणों का समाधान करना जरूरी है।अगस्त 2020 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने "वैश्विक सड़क सुरक्षा में सुधार" को अपनाया, सड़क सुरक्षा के लिए कार्रवाई का दशक 2021-2030 घोषित किया, जिसमें 2030 तक कम से कम 50% सड़क यातायात मौतों को रोकने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया।
UNICEF ने पेश की 2022 की रिपोर्ट
2022 यूनिसेफ की रिपोर्ट ‘दक्षिण एशिया में बाल एवं किशोर सड़क सुरक्षा’ में बताया गया है कि 2019 में 12.2 मिलियन मौतों में से 9% मौतें सिर्फ चोट लगने के कारण हुईं और इनमें से एक चौथाई मौतें सड़क यातायात दुर्घटनाओं के कारण हुईं।बच्चों और किशोरों में से 171,468 की मौत चोट लगने के कारण हुई, जिनमें से 29,859 मौतें सड़क यातायात दुर्घटनाओं और डूबने के कारण हुईं। कुल सड़क यातायात मृत्यु दर प्रति 100,000 लोगों पर 6 थी।इन दुर्घटनाओं के कारण 20 वर्ष से कम आयु के लोगों में 2.5 मिलियन विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALY) का नुकसान भी हुआ। दक्षिण एशिया में 708 मिलियन से अधिक बच्चे और किशोर हैं, इसलिए पर्याप्त आर्थिक प्रभाव को देखते हुए तत्काल सरकारी कार्रवाई जरूरी है।
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