Parag Desai: कुत्तों के हमले में Wagh Bakri Tea Group के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई ने गंवाई जान, सुबह टहलते समय हुआ हादसा
आवारा कुत्तों का आतंक इस समय छाया हुआ है। हमने आवारा कुत्तों के हमले में कई लोगों की मौत होने की खबरें सुनी हैं। अब इसमें ताजा नाम Wagh Bakri Tea Group के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई का जुड़ गया है। सुबह टहलते समय कुत्तों ने उन पर हमला किया था जिसकी वजह से उनका निधन हो गया।
15 अक्टूबर को हुआ हादसा
उद्योग जगत में शोक की लहर
आनन-फानन में पराग को शेल्बी अस्पताल (Shelby Hospital) ले जाया गया। यहां से सर्जरी के लिए उन्हें जाइडस अस्पताल (Zydus Hospital) रेफर कर दिया गया। इसी अस्पताल में उन्होंने सोमवार को अंतिम सांस ली। उनके निधन से उद्योग जगत में शोक की लहर है।1995 में ग्रुप में शामिल हुए थे पराग
Parag Desai के पिता का नाम रसेश देसाई (Rasesh Desai) है, जो वाघ बकरी टी ग्रुप के प्रबंध निदेशक हैं। पराग ने अमेरिका के न्यूयार्क से एमबीए की पढ़ाई की थी। वे 1995 में समूह में शामिल हुए थे। पराग कंपनी के सेल्स, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट के काम को देखते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी विदिशा (Vidisha) और बेटी परीशा (Parisha) शामिल हैं। यह भी पढ़ें: Gujarat News: गुजरात में गरबा खेलते समय हार्ट अटैक से किशोर की मौत, कार्यक्रम किए गए स्थगितराज्यसभा सांसदों ने व्यक्त किया शोक
गुजरात कांग्रेस प्रमुख और राज्यसभा सदस्य शक्तिसिंह गोहिल ने पराग देसाई के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म एक्स पर लिखा,शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी पराग के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा,बहुत दुखद खबर आ रही है। वाघ बकरी टी समूह के निदेशक और मालिक पराग देसाई का निधन हो गया। गिरने के बाद उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ था। उसकी आत्मा को शांति मिलें। पूरे भारत में पूरे वाघ बकरी परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं।
कैपिटलमिड के सीईओ और संस्थापक दीपक शेनॉय ने कहा कि हमें आवारा कुत्तों से निपटने की जरूरत है। कुत्ते अक्सर लोगों पर हमला कर देते हैं। इसलिए इन्हें सड़कों से हटाने की जरूरत है।पराग देसाई की मृत्यु दुखद है और इसे टाला जा सकता था। उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए हमें वास्तव में एक सक्रिय नीति की आवश्यकता है। मैंने ऐसे कई एनजीओ (गैर सरकारी संगठन) देखे हैं, जो निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं, लेकिन धन की कमी के कारण संघर्ष करते हैं। वहीं, स्थानीय सरकारों के पास धन तो है, लेकिन वे इसे प्राथमिकता नहीं देते हैं।