Jaishanakar: 'आप चाहे कहीं भी फंसे हों, भारत आपके साथ खड़ा है'; भारतीयों की सुरक्षित घर वापसी पर जयशंकर का आश्वासन
विदेश मंत्री जयशंकर ने दुनिया भर में भारतीय नागरिकों की सुरक्षित घर वापसी का आश्वासन दिया और याद किया कि कैसे भारत की विदेश नीति हिंसा प्रभावित हैती से अपने नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन इंद्रावती और यूक्रेन में ऑपरेशन गंगा के तहत भारतीय नागरिकों को निकालने में सबसे आगे थी। उन्होंने कहा कि सरकार हर संकट में अपने नागरिकों के साथ खड़ी रहेगी।
एएनआई, राजकोट। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी पर भरोसा जताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि कोई भी बड़ी उपलब्धि कभी भी कड़ी मेहनत के बिना नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि देश को इस बार थोड़ा ज्यादा कोशिश करती होगी।
साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर ने दुनिया भर में भारतीय नागरिकों की सुरक्षित घर वापसी का आश्वासन दिया और याद किया कि कैसे भारत की विदेश नीति हिंसा प्रभावित हैती से अपने नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन इंद्रावती और यूक्रेन में ऑपरेशन गंगा के तहत भारतीय नागरिकों को निकालने में सबसे आगे थी।
सरकार हर संकट में अपने नागरिकों के साथ खड़ी रहेगी
उन्होंने कहा कि भारतीयों को पूरा भरोसा होना चाहिए कि सरकार हर तरह की स्थिति और संकट में उनके साथ खड़ी रहेगी, चाहे वह यूक्रेन हो, नेपाल में भूकंप हो, यमन में युद्ध हो या अन्य कोई देश हमारे नागरिकों को कभी भी उनके भाग्य पर नहीं छोड़ा जाएगा।हम इस उपलब्धि को जरूर हासिल करेंगे
गुजरात के राजकोट में एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, "हम इस उपलब्धि को जरूर हासिल करेंगे। लेकिन, कोई भी बड़ी उपलब्धि कड़ी मेहनत के बिना नहीं मिलती। इसलिए हमें इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। इस बार हमें अतिरिक्त प्रयास करना होगा क्योंकि अब तक जो हुआ है वह यह है कि संयुक्त राष्ट्र का गठन लगभग 80 साल पहले हुआ था। उस समय, पांच देश थे जिन्होंने निर्णय लिया था कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनेंगे।"
जयशंकर ने जोर देते हुए कहा कि यह बड़ी अजीब बात है कि जिन पांच देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपना नियंत्रण बनाए रखा है, उन्हीं से पूछा जा रहा है कि सुरक्षा परिषद में बदलाव होना चाहिए या नहीं।
यूएनएससी पर पांच देशों ने अपना नियंत्रण बनाए रखा है
विदेश मंत्री ने कहा, "उस समय 50 स्वतंत्र देश थे। पिछले 80 सालों में स्वतंत्र देशों की संख्या अब 193-194 तक पहुंच गई है। लेकिन, इन पांच देशों ने अपना नियंत्रण बनाए रखा है और अजीब बात यह है कि उन्हीं पांच देशों से पूछा जा रहा है कि वो परिवर्तन करना चाहते हैं या नहीं। इन पांचों देशों में से कुछ देश इस पर सहमत हैं और कुछ नहीं। कुछ अपनी स्थिति स्पष्ट रूप से रखते हैं, कुछ पिछे से अन्य दूसरी बातें करते हैं। यह सालों से होता आ रहा है।"
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।