Ram Mandir: राम काज के लिए एकाकार हो रहा देश... लोग कर रहे भारी-भरकम भेंट, कोने-कोने से आ रहे उपहार
राम मंदिर को लेकर दान व भेंट करने के मामले में लोग भी बढ़-चढ़कर उत्साह दिखा रहे हैं। वडोदरा के एक किसान अरविंदभाई मंगलभाई पटेल ने एक दीपक बनाया है और इसकी क्षमता 851 किलोग्राम घी की है। वहीं यूपी के अलीगढ़ के सत्य प्रकाश शर्मा ने चार क्विंटल का ताला और चाबी राम मंदिर को दिया है। अखिल भारतीय दबगर समाज ने भी एक नगाड़ा भी भेंट किया है।
जागरण संवाददाता, वडोदरा। अन्ना! हनुमानगढ़ी इल्लाइड? पीछे से यह प्रश्न सुनते ही रितेश पलटते हैं तो पूछने वाले को लगा कि शायद वह कन्नड़ भाषा समझ नहीं पाए, लेकिन रितेश तुरंत एक ई-रिक्शा वाले को बुलाते हैं और सामने खड़े लोगों को हनुमानगढ़ी इस चेतावनी के साथ पहुंचाने को कहते हैं कि पैसे ज्यादा न लेना।
ये कनार्टक के बागलकोट निवासी जे. सोमनाथ हैं, जो छह लोगों के साथ रामनगरी आए हैं। यह दृश्य गोस्वामी तुलसीदास के उस रामराज को जीवंत करता है, जिसके लिए उन्होंने लिखा- सबु नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥ भगवान के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के पहले अनुग्रह, भक्त, भाव और भाषा के एकाकार होने के उदाहरण इस समय पग-पग पर हैं।
अयोध्या एक परिधि में बंधा भू-भाग नहीं, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राष्ट्रवाद की वह धरती है, जिस पर सनातन धर्म का कीर्ति स्तंभ टिका है। श्रीराम ने इसी नगरी से निकलकर जिस तरह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता का सूत्रपात किया था, आज पूरा देश पुन: उसी कालखंड को जी रहा है।
देश के कोने-कोने से आ रहे उपहार
अब देखिए न... प्रदेश, संप्रदाय, जाति की तमाम धाराएं सरयू तीरे एक हो रही हैं। देश के हर कोने से हार और उपहार रामलला के लिए पहुंच रहे हैं। इन उपहारों में 108 फीट लंबी अगरबत्ती, 11 सौ किलो का दीपक, सोने की चरण पादुकाएं, 10 फीट का ताला-चाबी और आठ देशों का समय एक साथ बताने वाली विशेष घड़ी यहां पहुंच चुकी है।
देश के सभी हिस्सों और विदेश से भी भगवान के चरणों में कुछ न कुछ अर्पण करने की ललक दिख रही है। राजस्थान से 600 किलो घी पहुंच चुका है तो भगवान राम की ससुराल यानी नेपाल के जनकपुर से चार हजार से ज्यादा उपहार अयोध्या आए हैं।
जूते, गहने और वस्त्र हैं शामिल
इनमें चांदी के जूते, गहने और वस्त्रों सहित कई अमूल्य उपहार हैं। नेपाल के रामजानकी मंदिर से 30 वाहनों में रखकर ये उपहार अयोध्या लाए गए। श्रीलंका से आई विशेष शिला से तो भावनात्मक लगाव की अनुभूति होती है, क्योंकि वहां से आए एक दल ने एक चट्टान उपहार के रूप में भेंट की। मान्यता है कि अपने हरण के बाद मां सीता ने अशोक वाटिका में इसी चट्टान पर बैठकर भगवान राम की प्रतीक्षा की थी।
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