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Railway News: चार साल में 428 एक्सप्रेस और मेल ट्रेनें बढ़ीं, 580 पैसेंजर रेलगाड़ी पटरी से ‘गायब’

Railway News चार साल में मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की संख्या औसतन प्रतिदिन 428 बढ़ जाने से जहां यात्रियों को बड़ी सुविधा मिल रही है वहीं पैसेंजर ट्रेनों की संख्या औसतन प्रतिदिन 580 घट गईं। पहले जहां पैसेंजर ट्रेनों में कम से कम 10 रुपये में यात्रा हो जाती थी अब यह किराया कम से कम 30 रुपये तक पहुंच गया है।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Mon, 04 Sep 2023 06:52 AM (IST)
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Railway News: चार साल में 428 एक्सप्रेस और मेल ट्रेनें बढ़ीं, 580 पैसेंजर रेलगाड़ी पटरी से ‘गायब’

अंबाला, दीपक बहल। चार साल में मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की संख्या औसतन प्रतिदिन 428 बढ़ जाने से जहां यात्रियों को बड़ी सुविधा मिल रही है, वहीं पैसेंजर ट्रेनों की संख्या औसतन प्रतिदिन 580 घट गईं। इन चार वर्षों में पैसेंजर ट्रेनों का किराया भी कई गुणा बढ़ने से यात्रियों की जेब पर असर पड़ रहा है।

रेल मंत्री की बैठक में घटने और बढ़ने वाली ट्रेनों का आंकड़ा पेश किया

पहले जहां पैसेंजर ट्रेनों में कम से कम 10 रुपये में यात्रा हो जाती थी, अब यह किराया कम से कम 30 रुपये तक पहुंच गया है। कुछ पैसेंजर ट्रेनों के ठहराव बंद कर दिए गए और उनको मेल-एक्सप्रेस का दर्जा दे दिया गया है। दूसरी ओर, पैसेंजर ट्रेनों की संख्या में काफी कमी कर दी गई हैं। पिछले दिनों रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की बैठक में घटने और बढ़ने वाली ट्रेनों का आंकड़ा पेश किया गया।

एक्सप्रेस ट्रेनों की स्थिति में काफी बदलाव आया है।

ट्रेनों की संख्या बढ़ने से यात्रियों की सुविधाएं बढ़ीं, लेकिन जिनको पैसेंजर से स्पेशल में बदला गया, उनका दर्जा न तो वापस पैसेंजर का हुआ और न ही इनका किराया कम किया गया। मेल और एक्सप्रेस ट्रेन की यह स्थिति: मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की स्थिति में काफी बदलाव आया है।

प्रतिवर्ष औसतन चलने वाली ट्रेनों की संख्या में इजाफा हुआ है। साल 2019-20 के दौरान प्रतिवर्ष/प्रतिदिन औसतन 1604 ट्रेनें पटरी पर दौड़ती रहीं।

इसके बाद कोरोना की स्थिति आई तो 2020-21 में इनकी संख्या घटकर 524 रह गई। इसके बाद 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 1530 हुआ, जबकि 2023-24 में यह 1929 तक पहुंच गया।

2020-21 यह गिरकर 113 रह गई।

चालू वित्त वर्ष 2023-24 की बात करें तो 15 अगस्त 2023 तक मेल और पैसेंजर ट्रेनों का आंकड़ा प्रतिदिन औसतन 2032 का पहुंच गया है।

कोरोना से पहले और कोरोना के बाद की स्थिति में प्रतिवर्ष/प्रतिदिन औसत चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों की संख्या में काफी कमी आई है। साल 2019-20 ऐसी ट्रेनों की संख्या 3312 थी, जबकि 2020-21 यह गिरकर 113 रह गई।

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