Ambala Assembly Seat: अनिज विज के सामने साख बचाने की चुनौती, परविंदर और चित्रा सरवारा के साथ कांटे का मुकाबला
Haryana Assembly Election 2024 अंबाला छावनी विधानसभा सीट से भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल विज चुनाव मैदान में हैं। विज मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी रह चुके हैं। दूसरी ओर पूर्व मंत्री चौधरी निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा इस सीट से दूसरी बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। हर बार भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला होता है।
दीपक बहल, अंबाला। Haryana Assembly Election 2024: जीटी बेल्ट का पहला विधानसभा क्षेत्र अंबाला छावनी (Ambala Assembly Seat)। भाजपा के मुखर नेता एवं पूर्व गृह मंत्री अनिल विज की गृह सीट। स्वयं को सबसे मुख्यमंत्री का दावेदार बताने वाले भाजपा प्रत्याशी अनिल विज की साख दाव पर है। इस सीट पर जीत की हैट-ट्रिक बनाने वाले विज अकेले नेता हैं।
कांग्रेस ने नए चेहरे परविंदर सिंह परी को टिकट दिया है। पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी। इस बार दृश्य कुछ अलग है। इस बार भी कांग्रेस प्रत्याशी नया चेहरा है और चित्रा सरवारा कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रही है।
पहले भी यहां कांग्रेस की गुटबाजी हावी रही
यहां हुड्डा और सैलजा के गुटों की गुटबाजी हावी रही है। कांग्रेस प्रत्याशी परमिंदर सिंह परी सैलजा के नजदीकी हैं, जबकि पूर्व मंत्री चौधरी निर्मल सिंह परिवार हुड्डा का नजदीक माना जाता है। शहर सीट पर पिता कांग्रेस के टिकट पर तो छावनी बेटी निर्दलीय लड़ रही हैं।सुषमा स्वराज ने ही कराई थी विज की एंट्री
वर्ष 1990 में सुषमा स्वराज को राज्यसभा में भेज दिया गया था। इसके बाद उपचुनाव में अनिल विज को उतारा गया था। विज ने उपचुनाव जीत लिया। तब भाजपा के दिग्गज नेता भगवानदास सहगल की पैरवी कर रहे थे, लेकिन सुषमा ने विज के नाम का समर्थन किया था।
इसलिए चर्चित सीट
इस सीट पर भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता अनिल विज चुनाव मैदान में हैं जो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी तक कर चुके हैं। दूसरी ओर पूर्व मंत्री चौधरी निर्मल सिंह की बेटी इस इस सीट पर दूसरी बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। हर बार भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला होता है।विज भी भाजपा से खफा होकर लड़ चुके तीन चुनाव
अंबाला छावनी विधानसभा से पहला चुनाव लड़कर विज भाजपा के विधायक तो बन गए, लेकिन बीच में ऐसे हालात भी पैदा हो गए, जब उनको अपनी ही विकास परिषद बनानी पड़ी। साल 1996 और 2000 का चुनाव विज ने भाजपा के टिकट पर नहीं लड़ा। वह निर्दलीय मैदान में उतरे। दोनों बार वह निर्दलीय विधायक बन गए थे। तीसरी पर चुनाव हार गये थे।
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