अंबाला के नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टरों को वीडियो कॉल के जरिए फोरेंसिक डॉक्टरों से मदद लेनी पड़ रही है। यह रिपोर्ट पुलिस थानों और अदालतों तक जाती है जिसके आधार पर फैसले भी होते हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी फोरेंसिक डॉक्टर पर मेहरबान होकर उनसे पोस्टमार्टम नहीं बल्कि दूसरे कार्य करवा रहे हैं। इस मामले ने मुख्यालय तक दस्तक दी है।
जागरण संवाददाता, अंबाला।
अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम करने के लिए डाक्टरों को वीडियो काल कर फोरेंसिक डाक्टरों की मदद लेनी पड़ रही है। यह वह रिपोर्ट है, जो पुलिस थानों में ही नहीं बल्कि अदालतों तक जाती है, जिसके आधार पर फैसले भी होते हैं।
इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी फोरेंसिक डाक्टर पर मेहरबान होकर उनसे पोस्टमार्टम नहीं बल्कि दूसरे अन्य कार्य करवा रहे हैं। यह मामला सिर्फ अंबाला जिला ही नहीं बल्कि मुख्यालय तक जा चुका है, जबकि इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हो पाई।
अंबाला छावनी नागरिक अस्पताल के पीएमओ ने भी सीएमओ काे पत्र लिखकर फोरेंसिक डाक्टर को अंबाला छावनी अस्पताल भेजने की मांग की थी, लेकिन ऊपर से वरिष्ठ अधिकारी ने लिखित में ही इनकार कर दिया। अधिकारी ने दो टूक लिख दिया कि फोरेंसिक डाक्टर के पास कई अन्य चार्ज हैं।
ऐसे में उनको रिलीव नहीं किया जा सकता। बाद में निदेशक ने भी फोरेंसिक डाक्टर की डेपुटेशन कर दी, लेकिन जाते हुए वे सभी डेपुटेशन रद कर गए। अब आलम यह है कि अंबाला छावनी में महज एक ही फोरेंसिक डाक्टर है, जो सोमवार से लेकर शुक्रवार तक पोस्टमार्टम कर रहे हैं, लेकिन शनिवार और रविवार को दूसरे डाक्टरों को यह जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है।
शनिवार को किसी न किसी स्पेशलिस्ट डाक्टर की ओपीडी प्रभावित हो रही है। इसको लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है।
इस तरह से शहर में तैनात कर दिया था डाक्टर
अंबाला छावनी नागरिक अस्पताल में फोरेंसिक के दो डाक्टरों की तैनाती थी, जबकि अंबाला शहर में एक तैनात थे। ऐसे में अंबाला छावनी के एक डाक्टर को सीएमओ कार्यालय में अन्य कार्यों के लिए तैनात कर दिया गया। ऐसे में अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में होने वाले पोस्टमार्टम कार्यों का लोड दूसरे डाक्टरों पर आ गया।
सभी डाक्टर एकत्रित होकर पीएमओ से मिले आैर बताया कि ओपीडी प्रभावित हो रही है और मरीज भी परेशान हैं। इतना ही नहीं पोस्टमार्टम के दौरान जो दिक्कतें आ रही हैं, उसके बारे में भी बताया। इसके बाद पीएमओ ने इस बात को जायज मानते हुए सीएमओ को पत्र लिखा और डाक्टर की वापसी की मांग की। अब तक डाक्टर की वापसी नहीं हो पाई।
डायरेक्टर कार्यलय का भी रहा रोल
जब अंबाला छावनी और शहर में फोरेंसिक डाक्टर को लेकर पत्राचार किया गया था, तो ऐसे में मुख्यालय ने अपनी जिम्मेदारी दूसरे ढंग से निभा दी। पीएमओ ने डाक्टर को अंबाला छावनी में तैनात करने के लिए लेटर लिखा लेकिन मुख्यालय से डायरेक्टर ने फोरेंसिक डाक्टर की डेपुटेशन नागरिक अस्पताल अंबाला शहर में दो माह के लिए कर दी।
ऐसे में पीएमओ की सिफारिश धरी की धरी रह गई। बाद में जब डायरेक्टर रिटायर्ड हो गए तो जाते हुए उनके द्वारा की गई सभी डेपुटेशन को रद कर गए। लेकिन यहां पर फोरेंसिक डाक्टर से पोस्टमार्टम का कार्य लेना नहीं था। इसलिए उनको अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में दोबारा नहीं भेजा गया।
सूत्रों का कहना है कि शनिवार और रविवार को इन्हीं डाक्टर को पोस्टमार्टम करने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का उन पर हाथ है।
इन डाक्टरों काे करना पड़ रहा है पोस्टमार्टम
अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में अब डा. समीर, डा. संजीव गोयल, डा. रिद्धि गर्ग, डा. सुधीर, डा. रुचि, डा. विकास, डा. गुरमीत, डा. अभिषेक, डा. अंकित, डा. सुमित, डा. निधि, डा. कुलदीप, डा. पूजा शर्मा आदि को पोस्टमार्टम करना पड़ रहा है।
सीएमओ को लिखा है पत्र
डा. लोकवीर
नागरिक अस्पताल अंबाला छावनी के पीएमओ डा. लोकवीर ने कहा कि फोरेंसिक डाक्टर को वापस अंबाला छावनी भेजने के लिए सीएमओ को पत्र लिखा था। अभी आचार संहिता लगी है, जिसके कारण इन डाक्टर की वापसी अभी नहीं हो पा रही।
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