Ambala News: रेलवे में एक और टिकट घोटाला: ब्लैंक टिकट को लंबी दूरी की बनाकर राजस्व में सेंध
रेलवे में एक ओर टिकट घोटाला हो गया। अनरिजर्व टिकटिंग सिस्टम (यूटीएस) से रेलकर्मी ने ब्लैंक टिकटें निकालकर उनको लंबी दूरी की बनाकर सरकारी खजाने में सेंध लगाई और अफसर बेखबर रहे। बुकिंग क्लर्क अपनी जेबों में रुपये डालते रहा।
अंबाला, जागरण संवाददाता : रेलवे में एक ओर टिकट घोटाला हो गया। अनरिजर्व टिकटिंग सिस्टम (यूटीएस) से रेलकर्मी ने ब्लैंक टिकटें निकालकर उनको लंबी दूरी की बनाकर सरकारी खजाने में सेंध लगाई और अफसर बेखबर रहे। बुकिंग क्लर्क अपनी जेबों में रुपये डालते रहा। इस मामले की भनक लगते ही अंबाला रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) हरिमोहन ने बुकिंग क्लर्क को सस्पेंड कर विभागीय जांच बिठा दी।
जांच में पता चलेगा की घोटाला कब से चल रहा था
जांच में कुछ ब्लैंक टिकटें भी मिली है जिसके आधार पर आगे जांच की जा रही है। इस घोटाले की गाज कामर्शियल इंस्पेक्टर पर भी गिरी है। सुपरविजन में नाकामी देखते हुए उसको सीएमआइ पद से हटा दिया गया है। अब जांच में पता चलेगा कि यह घोटाला कब से चल रहा था। यह घोटाला अंबाला रेल मंडल के उकलाना स्टेशन पर हुआ। बता दें इससे पहले भी इस तरह का खेल का रहस्योद्घाटन हो चुका है जिसकी विजिलेंस जांच कर रही है। अभी जांच चल ही रही थी कि एक ओर खेल ने अफसरों को कटघरे में खड़ा कर दिया।
लोगों को फर्जी टिकेट भर के दी जाती
इस तरह से करते थे घोटाला उदाहरण के लिये अनरिजर्व टिकटिंग सिस्टम (यूटीएस) से कम दूरी की 30 रुपये वाली टिकटें रेलकर्मी निकाल लेते थे। कंप्यूटर पर इस तरह से कमांड देते थे कि टिकट पर सिर्फ आठ डिजिट का रेल नंबर छपे और कहां से कहां तक कितने रुपये की हैं ये न छपे। फिर इस खाली टिकट पर हाथ से लिखकर मोहर लगा दी जाती थी। इस तरह से रेलकर्मी सोनम (पंजाब) से कम दूरी की कई ब्लैंक टिकटें निकाल लेते थे जिसकी प्रत्येक टिकट की कीमत 30 रुपये है। जब उकलाना से लंबी दूरी के लिये कोई यात्री टिकट मांगता था तो उसे ब्लैंक टिकट भरकर दे दी जाती थी।
एक टिकट चार यात्रियों को जारी की जा सकती
एक टिकट चार यात्रियों को जारी की जा सकती हैं। उदाहरण के लिए उकलाना से धुरी की 30 रुपये की ब्लैंक टिकट एक निकाली जाती थी। लेकिन ये टिकट उकलाना से मथुरा की चार यात्रियों की बन जाती थी। एक यात्री का किराया 150 रुपये है जो 4 यात्रियों का 600 रुपये हो जाता है। ऐसे कर्मी 570 रुपये अपनी जेब में डालकर सरकार को चूना लगाते हैं। उपलाना से पहले संगरूर धुरी और बरवाला में भी ऐसा ही हुआ।
यूटीएस से कमान संगरूर से सुनाम की दे दी जाती थी
पहले इस तरह किया था खेल पहले संगरूर रेलवे स्टेशन पर रेल कर्मी संगरूर से सुनाम की ब्लैंक टिकट निकाल लेते थे। जब ब्लैंक टिकटें निकाली जाती थी, तो कार्टेज को हटा दिया जाता था और यूटीएस से कमान संगरूर से सुनाम की दे दी जाती थी। इस रूट का तीस रुपये किराया रेलवे के खजाने में जमा कराया जाता था, जबकि ब्लैंक टिकट को लंबी दूरी की टिकट बना दिया जाता था। टिकट ट्रैवलिंग इग्जामिनर (टीटीई) को चेकिंग के दौरान ऐसी ही टिकटें मिली, जिसके बाद खेल खुला था।
रेलवे की ओर से मंगवाए जा रहे नए प्रिंटर्स
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए रेलवे की ओर से मंगवाए जा रहे हैं नए प्रिंटर जिस तरह से ब्लैंक टिकटों को लेकर यह फर्जीवाड़ा हुआ है, उसे रोकने के लिए रेलवे ने भी अपनी तैयारी की है। इसके लिए नए प्रिंटर मंगवाए जा रहे हैं। दावा किया जा रहा है यह नए प्रिंटर इस तरह का फर्जीवाड़ा रोकेंगे। इसके लिए जल्द ही यह यह प्रिंटर रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध होंगे।