'अगर मैं चाहूं तो नौकरियां खा जाऊं', अफसरों पर भड़के अनिल विज; कहा- भ्रम फैलाया नायब सैनी मुझे हराना चाहते हैं
हरियाणा के परिवहन ऊर्जा और श्रम मंत्री अनिल विज ने आरोप लगाया है कि अंबाला छावनी विधानसभा चुनाव में कुछ अधिकारियों ने मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने यह अफवाह फैलाई कि नायब सिंह सैनी उन्हें हराना चाहते हैं जिससे कुछ अधिकारी बहकावे में आ गए। विज ने कहा कि वह इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
दीपक बहल, अंबाला। हरियाणा के परिवहन, ऊर्जा और श्रम मंत्री अनिल विज ने कहा कि मैं विधानसभा चुनाव छह बार जीत चुका हूं, लेकिन इस बार का चुनाव जीतने के बाद सबसे ज्यादा आनंद आ रहा है। चुनाव सिर्फ दो पार्टियों के बीच ही नहीं था, बल्कि कुछ लोग भ्रम की राजनीति भी कर रहे थे।
अनिल विज ने की दैनिक जागरण से बातचीत
अनिल विज ने कहा कि नायब सिंह सैनी मुझे चुनाव हरवाना चाहते हैं, इस तरह की चर्चाएं फैलाई गईं। बोला गया कि टिकट भी कटेगा। इन भ्रमित बातों में कुछ अफसर आ गए और उन्होंने अपना रोल प्ले किया। मैंने स्वयं देखा कि इनमें अफसरशाही भी शामिल रही। वह सोमवार को अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल के सामने बने फुटओवर एस्केलेटर ब्रिज का उद्घाटन करने के बाद दैनिक जागरण से बातचीत कर रहे थे।
विज ने नायब सैनी को बताया दोस्त
विज ने कहा नायब सैनी तो मेरे दोस्त हैं। मैंने उनको जिलाध्यक्ष बनवाया था और मेरे घर पर यह फैसला हुआ था। यदि नायब सिंह सैनी मुझे हरवाना चाहते तो मुझे टिकट ही न लेने देते। चुनाव में एक-एक सीट जरूरी थी और अंबाला कैंट की सीट तो पक्की थी, लेकिन कुछ लोगों ने बगावत की और करवाई। ऊपर से मैसेज आया है और लोगों को भ्रमित किया कि उनको टेंडर भी दिलाए जाएंगे। ऐसे लोगों का मैं इलाज करना जानता हूं और मेरे पास ऐसे लोगों के इलाज का डॉक्टर मेरा दोस्त है।यह भी पढ़ें- Rohtak News: जिला पार्षद के बेटे का अपहरण, साढ़े तीन घंटे बाद छोड़ा; भाजपा प्रत्याशी रहीं मंजू हुड्डा पर केस दर्ज
'...अगर मैं चाहूं तो नौकरियां खा जाऊं'
अफसरों पर बरसते हुए विज ने कहा कि कइयों को तो जुलाब लग गए। जब मेरी लीड बनने लगी डीसी साहब छुट्टी लेकर चले गए, आज तक नजर नहीं आए। तल्ख अंदाज में विज बोले, जिन अधिकारियों ने राजनीति की है, अगर मैं चाहूं तो उनकी नौकरियां खा जाऊंगा, क्योंकि मेरे पास पुख्ता जानकारियां हैं। मैं पहले भी चुनाव लड़ा हूं और विपक्ष की सरकार होती थी।
उन्होंने कहा कि वोट मांगने जाते थे तो जनता कहती थी विज साहब देखो गंद पड़ा है और मैं वहीं से फोन करता था, गंद उठ जाता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि खौफ था। सड़कें मंजूर करवा रखी थीं, जो बनने नहीं दी गईं। गड्ढे तक नहीं भरे गए।
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